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Photograph: (the sootr)
BHOPAL. राज्य सरकार,लिकर किंग विजय माल्या से जुड़ी कंपनी को गोविंदपुरा इंडस्ट्रीज एरिया में आवंटित डेढ़ लाख वर्गफीट लीज की जमीन बिकने के मामले की जांच कराएगी। एमएसएमई विभाग की इस गड़बड़ी को 'द सूत्र' ने बीते दिनों उजागर किया था। इस पर संज्ञान लेते हुए मंत्री कश्यप ने जांच की बात कही।
एमएसएमई मंत्री चैतन्य काश्यप ने आज अपने विभाग की दो साल की उपलब्धियों व अगले तीन साल की कार्ययोजना को लेकर पत्रकार वार्ता की। इस दौरान एक सवाल के जवाब में उन्होंने ऐसा हुआ है तो यह वाकई गंभीर मामला है। हम इसकी तह तक जाने का प्रयास करेंगे।
नस्ती विभाग के पास,द सूत्र से मांग
उक्त प्रकरण से जुड़े तमाम दस्तावेज द सूत्र ने आरटीआई के माध्यम से एमएसएमई विभाग से ही हासिल किए।इनके आधार पर ही गड़बड़ी को उजागर किया, लेकिन प्रेस कांफ्रेंस में आज सवाल आने पर विभाग के प्रमुख सचिव राघवेंद्र सिंह ने कहा कि आपके पास कोई दस्तावेज हैं तो दें,जांच करा ली जाएगी।
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तीन साल में ही लीज हो गई थी निरस्त
माल्या बैंकों के हजारों करोड़ रुपए डुबाने के बाद देश से साल 2016 से फरार है। उसकी गैर हाजिरी में उद्योग विभाग के अफसरों ने साल 2004 में उसकी कंपनी शॉ वालेस अब मे.यूनाइटेड स्प्रिटस को गोविंदपुरा में शराब बाटलिंग के लिए 1.45 लाख वर्ग फीट जमीन आवंटित की थी। तय शर्तों का पालन नहीं होने व शुल्क अदा नहीं करने पर साल 2007 में उद्योग विभाग ने जमीन की लीज निरस्त कर दी।
17 अफसरों ने नहीं दिखाई रुचि
साल 2007 से 2021 तक उद्योग (अब एमएसएमई) संचालनालय में एम. गोपाल रेड्डी, दीपक खांडेकर, विनोद चंद्र सेमवाल, वीएल कांताराव, अनुपम राजन, दीपाली रस्तोगी समेत 17 संचालक/आयुक्त हुए। लेकिन इनमें किसी ने भी शॉ वालेस की लंबित अपील केस में कोई रुचि नहीं ली। सितंबर 2021 में वरिष्ठ अधिकारी पी.नरहरि के आयुक्त बनते ही शॉ वालेस की 16 साल पुरानी लीज अपील की नस्ती को पंख लग गए।
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सरकार चुनाव मोड में, इधर लीज बहाली
शराब कंपनी की निरस्त लीज की बहाली के लिए ऐसा वक्त चुना गया,जब चुनाव सिर पर थे। सरकार पूरी तरह चुनावी मोड में आ चुकी थी। इसी बीच,9 सितंबर 2023 को लीज की बहाली हुई। ठीक एक माह बाद ​प्रदेश में चुनाव आदर्श आचार संहिता लागू हो गई।
जांच एजेंसियों की कवायद को किया नजरअंदाज
हैरत की बात, यह कि एक ओर ईडी, सेबी, सीबीआई, एसएफआईओ व आयकर जैसी जांच एजेंसियां भगोड़े माल्या की कुंडली खंगालने में जुटी थी। कई जगह उसकी संपत्ति भी सीज की गई, लेकिन प्रदेश के जिम्मेदार अफसर इससे बेखबर रहे। उन्होंने जांच एजेंसी का सहयोग करने की जगह आरोपी से जुड़ी रही कंपनी के लीज की बहाली में ज्यादा रुचि दिखाई।
दो बार बिकी जमीन, डीटीआईसी ने भी दिखाई फुर्ती
इधर,चुनाव आचार संहिता हटते ही लीज धारक कंपनी की ओर से इसे बेचने की कवायद शुरू हुई। डिजियाओ की ओर से 4 जनवरी 2024 को एक सादा आवेदन पत्र जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र (डीटीआईसी) के ​तत्कालीन महाप्रबंधक कैलाश मानेकर को दिया गया। मानेकर ने भी आवेदन मिलने के चंद मि​नट बाद ही आवेदक को एक जवाबी पत्र थमाते हुए जरूरी औपचार​किता पूरी करने के निर्देश दिए।
अगले एक-डेढ़ महीने में शराब कंपनी के नाम आवंटित यह बेशकीमती भूमि एक नहीं,दो बार बिकी। यह दर्शाता है कि जमीन की लीज बहाली कराने के पीछे संबंधित कंपनी की मंशा भोपाल में उद्योग फिर शुरू करने की कतई नहीं रही। बताया जाता है कि इस बात से विभागीय अफसर भी पूरी तरह वाकिफ थे। लेकिन उन्होंने कंपनी की इस कारगुजारी का कोई ​विरोध नहीं किया।
अब हर्ष पैकेजिंग व गुरुकृपा इंटरप्राइजेज हैं मालिक
मे.यूनाइटेड स्प्रिटस लि. ने अपनी समूची जमीन का सौदा भोपाल की ही एक फर्म मेसर्स हर्ष पैकेजिंग कंपनी से किया। क्रेता-विक्रेता के बीच अनुबंध की प्रक्रिया पूरी होते ही डीटीआईसी ने भी जमीन का नामांतरण,लीज व पंजीयन मे.हर्ष पैकेजिंग के नाम करा दिया।
इसके चंद दिनों बाद ही हर्ष पैकेजिंग ने अपनी माली हालत का हवाला देते हुए संबंधित जमीन का 20 हजार वर्गफीट का एक हिस्सा मे.गुरुकृपा इंटर प्राइजेज को बेच दिया।
दफ्तर में बैठ तैयार हो गई निरीक्षण रिपोर्ट
जमीन को खुर्द-बुर्द कराने में डीटीसीआई की भूमिका शुरुआती दौर से संदिग्ध रही। प्रकरण की निरीक्षण रिपोर्ट इसकी बानगी है। जिसे विभाग के तत्कालीन निरीक्षक एफ एम चुगताई ने तैयार किया। चुगताई अब रिटायर हो चुके हैं।
चुगताई ने अपनी रिपोर्ट में मौके पर 22 कर्मचारियों को काम करते हुए व मशीनों को चलते हुए बताया,जबकि कंपनी में उत्पादन वर्षों से बंद था। मध्यप्रदेश विद्युत मंडल का दिसंबर 2024 का ​कंपनी के नाम दिया गया बिल इसकी बानगी है।
इसमें सिर्फ 195 यूनिट बिजली की खपत होना बताया गया है। जबकि एक घरेलू कनेक्शन में बिजली का खर्च इससे कहीं ज्यादा होता है। कंपनी ने स्वयं उत्पादन बंद होने के कारण जीएसटी अदा नहीं करने की जानकारी लिखित में विभाग को दी है।
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जिम्मेदारों की भूमिका सवालों के दायरे में
जमीन की लीज बहाली से लेकर इसके दो बार बिकने तक जिम्मेदारों की मंशा सवालों के दायरे में है। यह पता होते हुए भी कि कंपनी माल्या से संबंद्धता के चलते विवादों व जांच के दायरे में है। उसकी मंशा भोपाल में उद्योग को पुन:शुरू करने की भी नहीं। इसके बावजूद पहले उसकी लीज बहाली,इसके बाद जमीन के सौदेबाजी में तत्परता के साथ सहयोग करना प्रकरण में ऊपर से नीचे तक सांठगांठ की ओर इशारा करते हैं।
मे. यूनाइटेड स्प्रिटस, DIAGEO से माल्या का नाता
करीब 9 हजार करोड़ रुपए की हेराफेरी व मनी लांड्रिंग केस में एक जमाने के लिकर किंग विजय माल्या मार्च 2016 से देश से फरार हैं। वर्ष 1886 में स्थापित शॉ वालेस एंड कंपनी लिमिटेड भारत की पुरानी शराब कंपनी थी। जिसे माल्या की कंपनी यूनाइटेड ब्रेवरीज ग्रुप (UB Group) ने 2005 में अधिग्रहीत कर लिया।
बाद में शॉ वालेस के कुछ प्रमुख ब्रांड मे. यूनाइटेड स्पिरिट्स लिमिटेड (USL) में विलय कर दिए गए। इस तरह USL भारत की सबसे बड़ी शराब उत्पादक कंपनी बन गई और माल्या शराब उद्योग के किंग कहलाए।
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डियाजिओ ने कमाया करोड़ों का मुनाफा
UB Group में माल्या की हिस्सेदारी 55–60 % थी। साल 2012–2013 में विदेशी कंपनी डियाजिओ (DIAGEO) की एंट्री हुई। यह धीरे-धीरे माल्या के यूबी ग्रुप पर पूरी तरह काबिज हो गई। गोविंदपुरा का यह भूखंड भी इन्हीं कंपनियों के नामांतरण में घूमता रहा। अंततः डियाजिओ (DIAGEO) के अधिकृत प्रतिनिधियों ने करोड़ो रुपए में जमीन का सौदा कर मुनाफा कमाया।
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