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BHOPAL. उच्च शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में जीपीएफ और डीपीएफ श्रेणी के डेटाबेस के संशोधन के निर्देश दिए हैं। ये निर्देश कोष एवं लेखा संचालनालय की गाइडलाइन के आधार पर दिए हैं।
संचालनालय द्वारा 1 जनवरी 2005 के पूर्व के अधिकारियों- कर्मचारियों को एनपीएस से जीपीएफ- डीपीएफ कैटेगरी में अपडेट किए जाने के बाद डेटाबेस के परीक्षण कराया जा रहा है। इस संबंध में 6 अगस्त को विभागों को पत्र भी भेजे गए हैं जिसमें एक माह समय दिया गया था।
इसलिए जारी किए गए निर्देश
मध्य प्रदेश में कर्मचारियों को 1 जनवरी 2005 के बाद की नियुक्ति के आधार पर अलग कैटेगरी में परिभाषित किया है। क्योंकि इस अवधि के बाद नियुक्ति पाने वाले कर्मचारियों के लिए अलग पेंशन व्यवस्था लागू की गई है।
इस अवधि के बाद के अधिकारी और कर्मचारियों को एनपीएस में शामिल किया गया है। कोष एवं लेखा आयुक्त द्वारा IFMIS डेटाबेस में ऐसे कर्मचारियों की कैटेगरी का परीक्षण कराया जा रहा है।
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शिकायतों पर होगी कसावट
क्योंकि नेशनल सिक्योरिटी डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) द्वारा पूर्व में नेशनल पेंशन सिस्टम के तहत जारी प्रॉन नंबर यानी स्थायी सेवानिवृत्ति खाता संख्या को जीपीएफ और डीपीएफ श्रेणी में बदला गया है।
इस कारण कर्मचारियों द्वारा पेंशन योजनाओं से संबंधित शिकायतें सामने आ रही हैं। इन श्रेणियों में गड़बड़ी कर्मचारियों की पेंशन पर असर डाल सकती है। इसी को लेकर आयुक्त कोष एवं लेखा विभाग द्वारा विभाग प्रमुखों को पत्र भी भेजे गए हैं।
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प्राचार्यों को सौंपी जिम्मेदारी
उच्च शिक्षा आयुक्त प्रबल सिपाहा ने प्रदेश के सभी सरकारी कॉलेजों के प्राचार्यों को डेटाबेस संशोधन के परीक्षण करने के निर्देश दिए हैं। आयुक्त की चिट्ठी के आधार पर अब कॉलेजों में प्राध्यापक और अन्य कर्मचारियों के डेटाबेस का परीक्षण शुरू कर दिया गया है। जीपीएफ और डीपीएफ कैटेगरी में आने वाली त्रुटि को दुरुस्त किया जा रहा है।