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RAIPUR: देशभर में छत्तीसगढ़ का नाम बदनाम करने वाले बहुचर्चित शराब घोटाले को लेकर केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी ने कोर्ट में चार्जशीट पेश की है, इसमें कई चौंकाने वाले और सनसनीखेज खुलासे हो रहे हैं। ईडी ने अपनी चार्जशीट में कुछ स्क्रीन शॉट्स भी लगाए हैं, जो कांग्रेस की भूपेश सरकार में बड़े-बड़े पदों पर बैठे IAS अफसरों के बीच हुई बातचीत से जुड़े हैं, इनमें 'बिग बॉस' नाम के वॉट्सएप ग्रुप पर हुई चैटिंग का स्क्रीन शॉट भी है, जिसमें एक व्यक्ति तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की डिप्टी सेक्रेटरी सौम्या चौरसिया से चैट कर रहा है कि मध्यप्रदेश के हनीट्रैप केस की डायरी में आईएएस रजत कुमार का भी नाम है।
रजत कुमार सीनियर आईएएस अधिकारी हैं। वे फिलहाल सामान्य प्रशासन विभाग में सचिव हैं। इस मामले में जब 'द सूत्र' ने रजत कुमार से बात की तो उन्होंने बेहद साफगोई से कहा कि वो नहीं जानते कि ये चैट किसने लिखी? क्यों लिखी और उनका नाम कैसे आया? द सूत्र ये जानकारी ईडी की चार्जशीट में दर्ज चैट्स के आधार पर कर रहा है, लेकिन इसमें भी एक बात पूरी तरह साफ है कि आईएएस रजत कुमार को शराब घोटाले के बहाने हनीट्रैप में घसीटने की कोशिश की गई है। उनका दूर-दूर तक हनीट्रैप जैसे मामले से कोई लेना-देना नहीं है।
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पढ़िए 'द सूत्र' की ये खास खबर
ईडी के आरोप पत्र के मुताबिक, शराब घोटाले को अंजाम तक पहुंचाने के लिए ‘बिग बॉस’ नाम से एक वॉट्सऐप ग्रुप बनाया गया था, जिसमें चैतन्य बघेल, अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा, सौम्या चौरसिया और पुष्पक जैसे खास लोग जुड़े थे। ग्रुप में एक जगह सौम्या लिखती हैं कि “जय विल गिव यू मनी”... जय यानी उनके निज सचिव जय कोसले... फिर पुष्पक लिखता है कि हनी ट्रैप केस में छत्तीसगढ़ के एक आईएएस अधिकारी रजत कुमार का भी नाम है और जब सौम्या ने जानकारी का सोर्स पूछा तो पुष्पक ने कहा कि वो थोड़ी देर में बताएगा। जैसे ही वॉट्सएप चैट बाहर आई तो सूबे के
प्रशासनिक गलियारों में हलचल मच गई।
अब इसमें खास तथ्य यह है कि इसमें जिन आईएएस रजत कुमार का जिक्र है, वे वर्ष 2005 बैच के आईएएस ऑफिसर हैं और दिल्ली में डेप्युटेशन पर भी रह चुके हैं। फिलहाल उनके पास सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) जैसे अहम विभाग का अतिरिक्त प्रभार है। हालांकि चैट से ये जानकारी नहीं मिलती है कि मामले में उनका नाम क्यों और किस तरह जुड़ गया? कहा जा रहा है कि ये चैट दुष्प्रचार के लिए बाहर लाई गई। सीधे तौर पर रजत कुमार की भूमिका कहीं भी नजर नहीं आती है। रजत कुमार ने द सूत्र से बातचीत में खुद पूरी स्थिति साफ की है।
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रजत तब दिल्ली में पोस्टेड थे
रजत कुमार ने कहा कि ये बातें उन्होंने भी सुनी हैं, लेकिन चैट किसने की, कब की, उनका नाम कब, किसने, कहां और कैसे जोड़ा, ये सब उन्हें नहीं पता। बकौल IAS रजत जिस हनीट्रैप केस की बात की जा रही है, वो उन्हें नहीं मालूम और ये जिस वक्त का मामला है, उस वक्त को दिल्ली में पदस्थ थे। इन सब बातों से उनका कोई लेना देना नहीं है।
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षड्यंत्र और दुष्प्रचार का बड़ा अड्डा था ग्रुप
इधर, ईडी के मुताबिक यह वॉट्सऐप ग्रुप षड्यंत्र और दुष्प्रचार का बड़ा अड्डा था। खासकर ऐसे अधिकारियों के खिलाफ, जो इनके दबाव में नहीं आते थे। ग्रुप चैट से पता चलता है कि ग्रुप के लोग मनगढ़ंत, झूठी कहानियां गढ़कर दुष्प्रचार करते थे। ईडी ने यह भी स्पष्ट किया है कि किस तरह लोग षड्यंत्र रचते थे और कल्पनाओं के आधार पर डायरी को अपने हथियार रूप में इस्तेमाल करते थे। बिग बॉस गैंग ने इसी डायरी से अधिकारियों के खिलाफ षड्यंत्र रचने का काम किया।
बहुचर्चित हनीट्रैप केस क्या है?
मध्यप्रदेश में 2019 में एक बड़ा हनीट्रैप रैकेट सामने आया था, जिसमें कई दिग्गज नेताओं और सीनियर आईएएस अधिकारियों के नाम सामने आए थे।
मामले में एक सरकारी डायरी से 13 आईएएस अधिकारियों की लिस्ट मिली थी, जिनके नामों के सामने कोड और टिक मार्क्स थे, जो संदिग्ध गतिविधियां दर्शाते हैं। तब भी IAS रजत कुमार का नाम सामने नहीं आया था। हनीट्रैप कांड एक गुप्त और हाई-प्रोफाइल ब्लैकमेलिंग मामला था। बाद में कई अधिकारियों के नामों की जांच हुई, लेकिन सार्वजनिक तौर पर किसी पर आरोप सिद्ध नहीं हुए। साथ ही मामला बेहद संवेदनशील भी था, इसलिए मीडिया में सभी नामों का खुलासा नहीं हो सका।