छत्तीसगढ़ कांग्रेस में दिल्ली का असर,दिग्गजों के साथ न लंच,न डिनर, मलाईदार पोस्टिंग के बाद किसे मिलीं जेल की सलाखें

कांग्रेस में दिल्ली की नई रणनीति, दिग्गजों से परहेज, और प्रशासनिक अधिकारी निरंजन दास की जेल यात्रा के बारे में जानें। छत्तीसगढ़ के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों की ऐसी ही अनसुनी खबरों के लिए पढ़िए द सूत्र का साप्ताहिक कॉलम सिंहासन छत्तीसी।

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Arun Tiwari
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RAIPUR. कांग्रेस इन दिनों नई रणनीति पर काम कर रही है। इस रणनीति में दिग्गज नेताओं से परहेज बरतने को कहा गया है। अब इसका कितना असर होता है यह तो जिला अध्यक्षों के चयन से पता चल जाएगा। वहीं सत्ता की चमक में आंखें इतनी चौंधियाती हैं कि ये दिखाई नहीं देता कि ये चमक दमक जेल की सलाखों तक ले जाएगी।

छत्तीसगढ़ में वैसे तो यह कई अफसरों के साथ हुआ है लेकिन हम आपको ऐसे आईएएस के बारे में बता रहे हैं जिनकी पांचों उंगलियां हमेशा घी में रहीं और सिर कढ़ाई में। यहां तक कि रिटायरमेंट के बाद भी उनको मलाई मिलती रही। अब वे जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गए हैं। यहां के अफसरों का मामला तो कमाल का है।

आदिवासियों के लिए म्यूजियम बनाने निकले और टच दे दिया लग्जरी। राजनीति और प्रशासनिक गलियारों की ऐसी ही अनसुनी खबरों के लिए पढ़िए द सूत्र का साप्ताहिक कॉलम सिंहासन छत्तीसी।        

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कांग्रेस में दिग्गजों से परहेज : 

कांग्रेस में गुटबाजी पुराना मर्ज है। कांग्रेस के सभी खलीफा पार्टी के प्रमुख पदों पर अपने अपने शागिर्द बैठा देते हैं। लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। जिला अध्यक्ष तय करने के लिए दिल्ली ने अपने सिपहसालार तैयार किए हैं। इन सिपहसालारों को साफ साफ फरमान सुना गया है।

इनसे कहा गया है कि वे न तो दिग्गज नेताओं के साथ लंच करेंगे न ही डिनर करेंगे। छत्तीसगढ़ दौरे के दौरान न तो किसी को नाश्ते पर बुलाया जाएगा और न ही किसी के यहां नाश्ते पर जाना है। यानी जिला अध्यक्ष का चयन किसी की सिफारिश से नहीं बल्कि कार्यकर्ताओं की रायशुमारी से होगा।

पर्यवेक्षकों की ये पूरी रिपोर्ट सीधे दिल्ली जाएगी। दिल्ली से ही तय होगा कि कौन होगा कांग्रेस का जिला अध्यक्ष। अब कार्यकर्ताओं के बीच यही चर्चा है कि क्या पर्यवेक्षक दिग्गजों के साये बच पाएंगे। लेकिन उनको उम्मीद है कि चलो कुछ तो ठीक होगा।   

मलाई खाकर फिसले, जेल की फर्श पर धड़ाम :

कहते हैं सत्ता और सिस्टम में मलाईदार पोस्टिंग ही असली ‘एलिवेटर’ है जो कभी आसमान पर पहुंचा देती है, तो कभी सीधा जमीन पर पटक देती है। गिरफ्तार आईएएस निरंजन दास की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। राज्य प्रशासनिक सेवा से आईएएस बने निरंजन दास का जलवा दोनों दौर में देखा गया-बीजेपी के राज में भी और कांग्रेस के राज में भी।

नॉन-आईएएस होने के बावजूद वे तीन साल तक भिलाई निगम के कमिश्नर रहे और फिर तीन साल नगरीय प्रशासन के डायरेक्टर। कलेक्टर की कुर्सी भी गरियाबंद में दो साल तक संभाली। कांग्रेस शासनकाल ने तो उनकी किस्मत ही पलट दी। नगरीय प्रशासन के सचिव से लेकर रिटायरमेंट के अगले ही दिन उन्हें संविदा में वह सब मिला, जिसका सपना सचिव भी मुश्किल से देखते हैं।

आबकारी सचिव, आबकारी कमिश्नर, पंजीयन सचिव, नॉन के एमडी और ब्रेवरेज कॉरपोरेशन के एमडी-एक साथ पांच मलाईदार पोस्टिंग! पांचों उंगलियां घी में और सिर कढ़ाई में। संविदा में किसी सचिव को शायद ही ऐसा ‘जैकपॉट’ मिला हो।

लेकिन किस्मत हमेशा मेहरबान नहीं रहती। ईडी की रेड ने उनकी हवाई रफ्तार पर ऐसा ब्रेक लगाया कि सालभर की संविदा पोस्टिंग का आधा वक्त तो इधर-उधर भागदौड़ में ही बीत गया। और अब IAS निरंजन दास पहुंच गए सलाखों के पीछे। 

15 करोड़ का म्यूजियम-17 करोड़ की मूर्तियां : 

नवा रायपुर के सेक्टर-24 में बन रहा ट्राइबल म्यूजियम अब चर्चा में है। वजह है इसका फूला हुआ बजट और मूर्तियों का मेला। शुरुआत में केंद्र सरकार ने 2018 में इस म्यूजियम के लिए 15 करोड़ का टेंडर जारी किया था। लेकिन समय बीता और टेंडर की रकम भी बढ़ती गई,पहले 25 करोड़, फिर 45 करोड़ और अब जाकर खर्च 50 करोड़ तक पहुंच चुका है। इसमें से साढ़े पांच करोड़ रुपए सिर्फ डिजिटल वर्क पर खर्च होने हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में शुरू हुआ यह काम अब अपनी दिशा से भटकता नजर आ रहा है। दरअसल, 45 करोड़ के टेंडर में अकेले 17 करोड़ की मूर्तियां लगाई जा रही हैं। हालात इतने ‘कलात्मक’ हो गए कि जब केंद्रीय प्रतिनिधि निरीक्षण करने पहुंचे तो उन्हें कहना पड़ा, “म्यूजियम बना रहे हैं या मूर्तियों का होटल? ट्राईबल टच रहना चाहिए, वरना ये तो लग्जरी होटल जैसा दिखेगा।”

रिटायरमेंट के बाद क्या बिजली गिराएंगे मुख्य सचिव : 

रिटायरेंट के बाद क्या बिजली गिराएंगे मुख्य सचिव अमिताभ जैन। यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि उनके रिटायरमेंट का वक्त बेहद नजदीक आ गया है। दरअसल बात ये है कि 2017 में मुख्य सूचना आयुक्त सरजियस मिंज रिटायर हुए, तो तकरीबन डेढ़ साल तक यह पद खाली रहा।

उस वक्त चर्चाओं में था कि तत्कालीन मुख्य सचिव विवेक ढांड सीआईसी बनेंगे। लेकिन जैसे ही रेरा अस्तित्व में आया, ढांड ने सीआईसी की कुर्सी पर से अपना नाम वापस ले लिया और सीधे सूबे की सबसे ‘पावरफुल’ रिटायरमेंट पोस्टिंग-रेरा चेयरमैन बन बैठे। इसके बाद एमके राउत को सीआईसी बनाया गया। अब राउत को रिटायर हुए तीन साल हो चुके हैं और एक बार फिर सीआईसी का पद खाली पड़ा है।

इस बीच, मौजूदा मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने भी सीआईसी के लिए इंटरव्यू दिया था। लेकिन मामला कुछ और है। खबर है कि अमिताभ जैन अब बिजली विनियामक आयोग के चेयरमैन बनने की राह पर हैं। 19 सितंबर को हेमंत वर्मा के त्रिपुरा जाने के बाद इस पद पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। ऐसे में अमिताभ को यह नई जिम्मेदारी मिल सकती है।

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