MP के अतिथि विद्वानों को हाईकोर्ट से बड़ी राहत, मेरिट को लेकर सुनाया ये फैसला

मध्यप्रदेश के हजारों अतिथि विद्वानों को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने फैसला सुनाया कि 5 अक्टूबर 2023 से पहले कार्यरत अतिथि विद्वानों की मेरिट अब पुराने 2019 के कैटेगरी सिस्टम से ही तय होगी

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Rohit Sahu
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मध्यप्रदेश के अतिथि विद्वानों के लिए कोर्ट से बड़ी राहत की खबर सामने आई है। हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए साफ कहा है कि 5 अक्टूबर 2023 से पहले कार्यरत अतिथि विद्वानों की मेरिट पुराने नियमों यानी 17 दिसंबर 2019 के सर्कुलर के अनुसार ही तय होगी। इसके साथ ही कोर्ट ने नई चयन प्रक्रिया में पुराना कैटेगरी सिस्टम दोबारा लागू करने के निर्देश दिए हैं। 

2019 के सर्कुलर में क्या था?

दरअसल में, साल 2019 के सर्कुलर में अतिथि विद्वानों की योग्यता के आधार पर उन्हें चार कैटेगरी में बांटा गया था। इसमें C-1 श्रेणी में नेट और पीएचडी योग्यताधारी शिक्षक सबसे ऊपर माने जाते थे, जबकि C-4 में केवल पोस्ट ग्रेजुएशन डिग्री रखने वाले शिक्षक सबसे नीचे रखे गए थे।

इसी आधार पर जब नियमित विद्वानों की नियुक्ति होती थी, तो सबसे पहले C-4 कैटेगरी के विद्वानों को हटाया जाता था। लेकिन अक्टूबर 2023 में सरकार ने नया सर्कुलर जारी कर इस व्यवस्था को खत्म कर दिया और केवल पीजी अंकों के आधार पर मेरिट बनाने का नियम लागू कर दिया।

याचिकाकर्ता ने रखे ये तर्क

इस बदलाव के खिलाफ डॉ. दिनेश कुमार चतुर्वेदी और अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। उनका तर्क था कि इस नई व्यवस्था से शिक्षा की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा क्योंकि अब शैक्षणिक योग्यता की बजाय सिर्फ अंकों से मेरिट तय होगी। कोर्ट ने इस मामले को गंभीर मानते हुए दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं और साफ आदेश दिया कि जब तक नया सर्कुलर संशोधित नहीं होता, तब तक 2019 वाली पुरानी कैटेगरी प्रणाली लागू रहेगी।

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पुराने विद्वानों पर ही लागू होगा आदेश

साथ ही कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि 2023 सर्कुलर में भी ‘फॉलआउट’ यानी हटाए जाने की प्रक्रिया पुरानी कैटेगरी के हिसाब से ही तय की जाए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह आदेश सिर्फ उन अतिथि विद्वानों पर लागू होगा जो 5 अक्टूबर 2023 से पहले नियुक्त या कार्यरत थे। 

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नए उम्मीदवारों के लिए सरकार चाहें तो अलग से प्रक्रिया बना सकती है। यह फैसला उन शिक्षकों के लिए बड़ी राहत है, जो NET और PhD जैसी उच्च योग्यता के बावजूद नई व्यवस्था में बाहर किए जा सकते थे।

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