MP के अतिथि शिक्षकों को बड़ा झटका, हाईकोर्ट के आदेश के बाद DPI का एक्शन

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के आदेश के बाद DPI ने साफ कर दिया है कि अतिथि शिक्षक नियमित नहीं होंगे। यानी शिक्षा मंत्री ने जो कुछ कहा था उस पर अब आधिकारिक तौर पर मुहर लग चुकी है। अतिथि शिक्षक अब अतिथि ही रहेंगे। पढ़िए 'द सूत्र' की खास रिपोर्ट...

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Ram Krishna Gautam
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BHOPAL. आप हमारे यहां मेहमान बनके आओगे तो घर पर कब्जा करोगे क्या, ये बयान तो आपको याद ही होगा। जो हाल ही में 18 सितंबर को सूबे के शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने दिया था, इस पर जमकर बवाल भी मचा था। वहीं मंत्रीजी के इसी बयान के बाद अतिथि शिक्षकों ने मामले ने सियासी रूप ले लिया था। हालांकि, बड़े स्तर पर अतिथियों के विरोध के बाद मंत्रीजी ने खेद जताकर माफी भी मांग ली थी। इसके बाद अतिथियों ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के घर पहुंचकर उन्हें पुराने वादे याद दिलाए। जिस पर शिवराज ने फिर नया वादा किया कि वो अपनी पुरानी घोषणाएं पूरी करवाएंगे। शिवराज के नए वादे के बाद अतिथियों की उम्मीदें फिर से जी उठी थीं, लेकिन अब अतिथियों की उम्मीदें पूरी नहीं हो पाएंगीं। उनकी सबसे बड़ी मांग यानी नियमितीकरण पर फैसला आ गया है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद DPI ने साफ कर दिया है कि अतिथि शिक्षक नियमित नहीं होंगे। यानी शिक्षा मंत्री ने जो कुछ भी कहा था उस पर अब आधिकारिक तौर पर मुहर लग चुकी है। यानी अतिथि शिक्षक अब अतिथि ही रहेंगे।

हाईकोर्ट के निर्देश के बाद DPI ने जारी किए पत्र

मध्यप्रदेश के अतिथि शिक्षकों पर स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह के इस बयान पर हाईकोर्ट ने आधिकारिक तौर पर मुहर लगा दी है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद लोक शिक्षण संचालनालय यानी DPI ने पत्र जारी कर साफ कर दिया कि अब अतिथि शिक्षक नियमित नहीं होंगे। डीपीआई के पत्र के चौथे पॉइंट में लिखा है कि अतिथि शिक्षकों को सीधे नियमित करने का कोई प्रावधान नहीं है। यानी अब पूरी तरह स्पष्ट हो गया कि अतिथि शिक्षकों की सबसे बड़ी मांग यानी नियमितीकरण का चैप्टर क्लोज हो गया है। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद DPI ने अलग-अलग पत्र जारी किए हैं। इन पत्रों में मध्यप्रदेश के अलग-अलग जिलों के उम्मीदवारों की याचिका पर हाईकोर्ट की टिप्पणी की जिक्र किया गया है। DPI ने तय किया है कि अब अतिथि शिक्षकों का नियमितीकरण नहीं होगा। उन्हें सिर्फ सीधी भर्ती में 25 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। हाईकोर्ट के फैसले के बाद हजारों अतिथि शिक्षकों को तगड़ा झटका लगा है। 

70 हजार से ज्यादा शिक्षकों के पद खाली हैं

सरकारी आंकड़ों के अनुसार मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों में 70 हजार से ज्यादा शिक्षकों के पद खाली हैं। जिसे लेकर कई  अतिथि शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर नियमित करने की मांग की थी। उन्होंने हाईकोर्ट में पक्ष रखा था कि वो शिक्षक पात्रता परीक्षा क्वालिफाय कर चुके हैं और डीएड-बीएड पास हैं। उन्हें तीन से लेकर 15 साल तक पढ़ाने का अनुभव है, अतिथि शिक्षकों ने ये तर्क भी दिया दूसरे राज्यों में अतिथि शिक्षकों को नियमित किया गया है। इस आधार पर मध्यप्रदेश के अतिथि शिक्षकों को भी नियमित किया जाए।

सेवा शर्तों के मुताबिक नहीं किया जा सकता नियमित 

हाईकोर्ट ने जिन याचिकाकर्ताओं की अपील पर आदेश जारी किए हैं उनमें झाबुआ के भूपेंद्र सिंह, अलीराजपुर के बीरजा बघेल, नीमच के फिरोज मंसूरी, देवास के राजेश चंद्रवंशी और बड़वानी के सुनील पिपलोद शामिल हैं। हाईकोर्ट के निर्देशों के पालन में DPI ने बताया कि मध्यप्रदेश राज्य स्कूल शिक्षा की सेवा शर्तें और भर्ती नियम 2018 और संशोधित नियम 01 दिसंबर 2022 के मुताबिक सीधी भर्ती के जरिए खाली पद भरने के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा से शिक्षक भर्ती का प्रावधान है। इसमें 25 फीसदी पद अतिथि शिक्षकों के लिए आरक्षित की जाएंगी। जिन उम्मीदवारों ने न्यूनतम तीन शैक्षणिक सत्रों और कम से कम 200 दिन सरकारी स्कूलों में पढ़ाया है उनके लिए आरक्षित पदों की पूर्ति नहीं हो पाने की स्थिति में खाली पदों की पूर्ति दूसरे पात्रताधारी अभ्यर्थियों से की जाएगी। DPI ने आगे बताया कि सेवा शर्तों के मुताबिक अतिथि शिक्षकों को नियमित नहीं किया जा सकता है। 

नियमितीकरण के सभी रास्ते बंद

अब आपको हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई और फैसले के बारे में बताते हैं। दरअसल, मध्यप्रदेश के BEd डिग्री होल्डर्स और शिक्षक पात्रता परीक्षा पास सैकड़ों उम्मीदवारों ने समय-समय पर हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। याचिका के जरिए अतिथि शिक्षकों को नियमित करने की मांग की गई थी। याचिकाओं की सुनवाई के दौरान अक्टूबर 2023 को हाईकोर्ट ने स्कूल शिक्षा विभाग को नियमानुसार कार्यवाही के आदेश दिए थे। हाईकोर्ट के आदेश के बाद लोक शिक्षण संचालनालय ने पत्र जारी कर स्पष्ट कर दिया कि अतिथि शिक्षकों को नियमित करने का कोई प्रावधान नहीं है। यानी हाईकोर्ट ने अब अतिथि शिक्षकों के नियमितीकरण के रास्ते बंद कर दिए हैं।

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