किशोर वाधवानी ने GST चोरी का 500 करोड़ अखबार और दूसरे धंधे में लगाए, आसाराम से जुड़ी लिंक

गुटखा किंग और 'दबंग दुनिया' अखबार के मालिक किशोर वाधवानी और उनके भतीजे नीतेश वाधवानी गंभीर कानूनी मुश्किलों में फंस गए हैं। 10 फरवरी 2021 को डीजीजीआई भोपाल की इंदौर यूनिट के आवेदन पर तुकोगंज थाने में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।

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Sanjay Gupta
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इंदौर के गुटखा किंग और दबंग दुनिया प्रालि अखबार के कर्ताधर्ता किशोर वाधवानी बड़ी मुश्किल में आ गए हैं। डीजीजीआई (डायरेक्टर जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलीजेंस) भोपाल की इंदौर यूनिट के आवेदन पर तुकोगंज थाने में वाधवानी और उनके भतीजे नीतेश वाधवानी के खिलाफ 10 फरवरी 2021 में चार सौ बीसी और अन्य गंभीर धाराओं में एफआईआर हुई थी। इसे निरस्त करने के लिए लगा हाईकोर्ट में आवेदन खारिज हो गया है। साथ ही मामले में पुलिस को दो माह में पूरी जांच के आदेश दिए गए हैं। कोर्ट में सुनवाई के दौरान जांच एजेंसियों ने वाधवानी को लेकर गंभीर खुलासे भी किए हैं।

क्या है मामला ?

वाधवानी एलोरा टोबेको कंपनी (ETCL) के प्रोपराइटर हैं। इस कंपनी पर डीजीजीआई की इंदौर यूनिट ने जून 2020 में छापे मारे। छापे में भारी मात्रा में पान मसाला, गुटखे के कारोबार में जीएसटी चोरी सामने आई। इसके बाद इनके खिलाफ दो हजार करोड़ के टैक्स डिमांड नोटिस जारी हुए। यह चोरी उन्होंने जुलाई 2017 से जून 2020 की अवधि में की थी। इस पर विभाग ने उन्हें 15 जून 2020 को गिरफ्तार किया, बाद में उनकी जमानत हुई। इस जांच के दौरान सामने आया कि वाधवानी जो दबंग दुनिया अखबार में भी डायरेक्टर हैं, उन्होंने अपने अखबार की सेल 60 हजार से एक लाख दिखाई जबकि 6 से 8 हजार मात्र थी। इस दौरान उन्होंन फर्जी इनवॉइस जनरेट किए और जीएसटी चोरी का 500 करोड़ रुपए दबंग दुनिया अखबार और अन्य बिजनेस में खपाए। अखबार में फर्जी विज्ञापन के फर्जी इनवॉइस के जरिए करोड़ों रुपए खपाया। अखबार की जांच में 904 फर्जी इनवॉइस जारी हुए। डीजीजीआई ने इस मामले में किशोर वाधवानी और उनके भतीजे नीतेश वाधवानी पर 10 फरवरी 2021 में आईपीसी धारा 420, 467, 468, 471, 120 बी के तहत केस दर्ज करा दिया। 

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वाधवानी ने एफआईआर क्वैश के लिए आवेदन लगाया

वाधवानी ने इस मामले में एफआईआर क्वैस के लिए रिट अपील दायर की। इसमें कहा गया कि एक ही मामले में दो एफआईआर नहीं हो सकती है, जीएसटी विभाग ने उन पर जीएसटी चोरी पर पहले ही अपराध दर्ज किया है, जिसमें उन्हें जेल भेजा गया और बाद में बेल हुई। लेकिन फिर पुलिस में भी धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया। इसलिए थाने में दर्ज हुई एफआईआर को क्वैश किया जाए। 

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हाईकोर्ट बेंच ने यह दिए आदेश

सुनवाई के बाद हाईकोट डबल बेंच जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस गजेंद्र सिंह ने आदेश दिए कि इस मामले में जांच चल रही है और दो एफआईआर होने के मामले में दखल देने का कोई कारण नहीं बनता है। अभी तक पुलिस ने जांच क्यों नहीं की, यह भी हाईकोर्ट ने पूछा, इस पर बताया गया कि काफी इनवॉइस है और कई लोगों से पूछताछ होना है इसलिए इसमें दिक्कत आ रही है। इस पर हाईकोर्ट ने दो माह में पुलिस को जांच पूरी करने के आदेश दिए।  

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आसाराम और वाधवानी की लिंक ऐसे सामने आई

द सूत्र ने हाल ही में खुलासा किया था कि जमानत पर बाहर आए आसाराम का इंदौर आने के पीछे का मकसद है रुपए की वसूली करना। इसमें एक चाय कंपनी, एक स्कूल संचालक और एक अखबार संस्थान प्रमुख है। बताया जाता है कि यह राशि आसाराम द्वारा इन्हें ब्याज पर और धंधे में लगाने के लिए दी गई, लेकिन उनके जेल जाने के बाद यह डूबत खाते में आ गई। इस दौरान आसाराम ने जमानत में बाहर आने पर इंदौर में रहने के दौरान कई लोगों से इसे लेकर मुलाकात भी की। अब हाईकोर्ट मामले की सुनवाई में आसाराम के गुरुकुल विद्यालय और वाधवानी के बीच लिंक आई है। जांच एजेंसियों ने ऑन रिकॉर्ड कागज पर बताया कि दबंग दुनिया में दो करोड़ 40 लाख रुपए का फर्जी इनवॉइस के जरिए गुरुकुल विद्यालय का फर्जी विज्ञापन चलना बताया गया। जब गुरुकुल विद्यालय एडमिन से इसकी जानकारी ली गई तो उन्होंने पुलिस को बताया कि कोई विज्ञापन नहीं दिया गया। यह गुरूकुल आसाराम आश्रम के सामने स्थित है और इसमें ऑन रिकार्ड आसाराम को अपनी प्रेरणा बताया गया है यह उनके सानिध्य में ही चलता है। जब स्कूल एडमिन विज्ञापन देने स मना कर रहा है तो फिर बात आती है कि यह राशि दो करोड़ 40 लाख रुपए किसकी थी।  आसाराम से जुड़े स्कूल का विज्ञापन फर्जी कैसे बताकर 2.40 करोड़ खपाए गए। यह ब्लैक कमाई किसकी थी। इन सभी मामले के जांच पुलिस अभी कर रही है। 

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मित्र मंडल के नाम पर जारी हुए फर्जी इनवॉइस

जांच से सामने आया है कि कुल 904 इस तरह के फर्जी इनवॉइस है, जो फर्जी विज्ञापन के लिए जारी हुए थे और इसके जरिए अखबार में करोड़ों की ब्लैक कमाई खपाई गई। इसमें विज्ञापन मुख्य तौर पर मित्र मंडल के नाम से जारी हुए हैं, जिनके कोई अते-पते जांच एजेंसियों को नहीं मिल रहे हैं। एक चाय संचालक के बड़े विज्ञापन के इनवाइस सामने आए थे, लेकिन यह असल में मिले ही नहीं, बाद में इन चाय संचालक के अलग से एक मैगजीन व अन्य विज्ञापन प्रकाशित हुए और जांच एजेंसी को कहा गया कि हमने तो इसके लिए यह राशि ली थी। यह सभी जांच में हैं। 

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गुरुकुल विद्यालय की प्रेरणा आसाराम

गुरुकुल विद्यालय खंडवा रोड पर आसाराम के आश्रम के सामने ही स्थित है। इस स्कूल की वेबसाइट पर मुख्य प्रेरणा स्त्रोत इंस्पिरेशन संत आसाराम को बताया गया है। स्कूल परिसर में हर जगह पर उन्हीं की फोटो, नाम लिखे हुए हैं।

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