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किशोर वाधवानी ने हाईकोर्ट में लगाई याचिका। Photograph: (the sootr)
INDORE. सेंट्रल जीएसटी विभाग के डीजीजीआई (डायरेक्टोरेट ऑफ जीएसटी इंटेलीजेंस) के छापे के बाद जांच में घिरे गुटखा किंग किशोर वाधवानी (Kishore Wadhwani) अब हाईकोर्ट की शरण में हैं। बीते दो महीने में उनके द्वारा यह दूसरी याचिका लगाई गई है। पहली याचिका लगाई और फिर उसे खुद ही विड्रा कर लिया था।
पहले याचिका यह थी, अब यह लगी
किशोर वाधवानी ने पहली याचिका एमसीआरसी 53221/2024 याचिका लगाई थी, इसके तहत उनके खिलाफ थाना तुकोगंज में डीजीजीआई की इंदौर यूनिट द्वारा कराई गई एफआईआर को क्वैश करने का आवेदन था। लेकिन इस याचिका को वाधवानी ने वापस ले लिया था। इसके बाद रिट पिटीशन 40019/24 दायर की गई। इस मामले में मंगलवार को सुनवाई हुई थी, जिसमें पक्षकार ने जवाब के लिए समया मांगा। अब इसे अगले सप्ताह सुना जाएगा।
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हाईकोर्ट इस केस में हो चुका नाराज
वाधवानी द्वारा लगाई गई इसी रिट पिटीशन में एक मामले में हाईकोर्ट जांच का भी आदेश दे चुका है। दरअसल, यह याचिका लगने के बाद उनके अधिवक्ता ने 16 दिसंबर को यह केस लिस्टिंग के लिए आवेदन किया, हाईकोर्ट ने इससे इनकार कर दिया। इसके बाद भी इसे रजिस्टर्ड कर लिया गया। हाईकोर्ट ने लिखित में आदेश दिए कि प्रिंसिपल रजिस्ट्रार इसकी जांच कराएं और इसकी रिपोर्ट सबमिट करें कि यह मैटर किस तरह बिना मंजूरी के लिस्ट हो गया। इसके पहले 13 दिसंबर को इस केस को 7 जनवरी के लिए लिस्ट किया गया। इसी लिस्टिंग के अनुसार सात जनवरी को इसकी सुनवाई हाईकोर्ट ने की थी।
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वाधवानी ने इन्हें बनाया है पक्षकार
किशोर वाधवानी ने अपनी रिट पिटीशन में मध्य प्रदेश शासन तुकोगंज पुलिस, केंद्र सरकार वित्त मंत्रालय, एडिशनल डायरेक्टर जनरल डायरेक्टोरेट ऑफ जीएसटी इंटेलीजेंस (डीजीजीआई) भोपाल, एडिशनल असिस्टेंट डायरेक्टर डीजीजीआई रीजनल यूनिट इंदौर, अंकुर बारिया एडिएशनल असिस्टेंट डायरेक्टर डीजीजीआई इंदौर को पक्षकार बनाया है।
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तुकोगंज थाने में यह है केस
डीजीजीआई द्वारा किशोर वाधवानी की फैक्ट्री पर ऑपरेशन कर्क के तहत छापा मारा गया था। इसमें यह भी पाया गया कि उनके द्वारा अपने अखबार का दुरूपयोग किया गया, इसका सर्कुलेशन अधिक दिखाया गया, सरकार से सब्सिडी ली गई। इन मामले में फरवरी 2021 में तुकोगंज थाने में केस दर्ज कराया गया। वाधवानी ने पहले इसी एफआईआर को क्वैश करने का आवेदन लगाया, फिर इसे वापस ले लिया और अब रिट पिटीशन इसी मामले में दायर की गई है।
इनका तर्क है कि एक ही मामले में दो केस नहीं हो सकते हैं, डीजीजीआई टैक्स डिमांड का नोटिस दे रही है और दूसरी कार्रवाई करते हुए पुलिस में भी केस दर्ज कर रही है। एक ही मामले में दो केस संभव नहीं है। इस मामले में हाईकोर्ट में डीजीजीआई ने जवाब पेश कर दिया है।
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