इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए) की स्कीम 171 से 13 संस्थाओं और निजी भूस्वामियों की जमीन मुक्त होने जा रही है। इसका प्रारूप भी जारी हो चुका है और डिमांड राशि 5.84 करोड़ रुपए भी भरी जा चुकी है। लेकिन इस मामले में अब पर्दे के पीछे से फिर भूमाफिया सक्रिय हो चुके हैं और कई शिकायतें धड़ाधड़ हो रही हैं। इस पूरे खेल से निपटने के लिए अब कलेक्टर आशीष सिंह ने मामले की जांच अपर कलेक्टर आईएएस गौरव बैनल को दे दी है।
सहकारिता की भूमिका संदिग्ध
इस मामले में सबसे ज्यादा कटघरे में तो खुद सहकारिता विभाग ही आ रहा है। देवी अहिल्या श्रमिक कामगार सहकारी संस्था की श्री महालक्ष्मी नगर कॉलोनी के अध्यक्ष विमल अजमेरा को केवल 12 दिन एजीएम देरी से कराने के आरोप में पद से हटाने के आदेश संयुक्त पंजीयक सहकारिता बीएल मकवाना ने जारी कर दिए। इस मामले में कलेक्टर सिंह को मंगलवार को सदस्यों ने शिकायत कर दी और इसे भूमाफियाओं के साथ सहकारिता विभाग की मिलीभगत बताते हुए अध्यक्ष को हटाने के पीछे संस्था को अस्थिर करने की साजिश बताया।
रजिस्ट्री वाले सदस्यों को हटाने के लिए खेल
सदस्यों ने कलेक्टर को कहा कि यह पूरा खेल 25-30 साल पहले ही जमीन की रजिस्ट्री करा चुके सदस्यों को हटाने और रसीद वालों को अंदर करने के लिए खेला जा रहा है। सदस्यों ने कहा कि एक नई अलग-अलग कई सूचियां सदस्यों की बनाई जा रही है और जिन्होंने पूरी राशि जमा नहीं की, आधी रसीद भरी है, उन्हें अंदर लाने के लिए कोशिश विभाग के ही कुछ अधिकारी कर रहे हैं। इसी कोशिशों के लिए ही अध्यक्ष पद से अजमेरा को हटाने के आदेश हुए। अजमेरा को नोटिस दिया था कि उनको सहकारिता एक्ट 1960 की धारा 49(1) के तहत वित्तीय साल समाप्ति के 6 माह पहले एजीएम करना था यानी 30 सितंबर तक, लेकिन उन्होंने यह 14 अक्टूबर को कर नियम का उल्लंघ किया है। इसके बाद अजमेरा को केवल इसी कारण से हटा दिया था। इस पर कलेक्टर ने भी आश्चर्य जताया और सहकारिता वालों से पूछा कि यह नियम है तो इस नियम के तहत आज तक कितने अध्यक्षों को आपने हटाया है, इस पर वह कोई जवाब नहीं दे सके। इसके बाद कलेक्टर ने पूरे मामले की जांच के लिए बैनल को जिम्मा सौंप दिया है।
इधर राशि जमा होने पर भी नोटिस
सहकारिता विभाग यही नहीं रुका उन्होंने संस्था के पूर्व अध्यक्ष अजमेरा के साथ ही उपाध्यक्ष मनोज काला और प्रबंधक अनिल महाडिक को इस बात के लिए भी नोटिस थमा दिया है। साथ ही उन्हें बताया है कि आपके द्वारा सदस्यों की राशि का दुरुपयोग कर इसे आईडीए के खाते में जमा कराने की शिकायत मिली है। यह शिकायत गिरधारी लाल शर्मा और कपिल भारद्वाज द्वारा की गई है। सदस्यों का कहना है कि यह राशि संस्था ने आईडीए को स्कीम से मुक्ति के एवज में जमा की गई है। पूरी राशि चेक से आईडीए के खाते में ही गई है।
30 साल बाद मिलना है प्लाट
आईडीए की स्कीम 171 से 30 साल बाद प्लाट धारकों को मुक्ति मिलना है। शुरू से ही इसे लेकर अड़ंगे रहे हैं, लेकिन जब विधायक महेंद्र हार्डिया की लगातार मांग और संभागायुक्त दीपक सिंह, कलेक्टर आशीष सिंह की पहल से आईडीए सीईओ आरपी अहिरवार द्वारा यह काम किया गया तो इसे लेकर अब अड़ंगे लगाए जाने शुरू हो गए हैं। इसमें भूमाफियाओं के साथ ही सहकारिता विभाग की सांठगांठ के भी आरोप लग रहे हैं।
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