इंदौर विकास प्राधिकरण की स्कीम 171 से 13 सोसायटी मुक्त होने जा रही है। इसके पहले ही इसमें अब एक और अड़ंगा आ गया है। आईडीए ने प्लॉट धारकों को मूल राशि के साथ ही जीएसटी भरने का भी पत्र थमा दिया है।
इतनी राशि भरनी होगी अतिरिक्त
आईडीए ने शुरुआत में प्रारूप जारी करते हुए सभी सोसायटी को उनकी जमीन के अनुसार राशि भरने की सूचना जारी कर दी। बाद में जानकारों की टीम ने बताया कि इसमें जीएसटी भी जुड़ेगा, बिना जीएसटी के आईडीए का साफ्टवेयर यह राशि स्वीकार ही नहीं करेगा। इसके बाद मूल राशि 5.84 करोड़ रुपए पर जीएसटी की भी गणना की गई और यह राशि 82.53 लाख रुपए निकली। अब यह राशि भी सोसायटी के प्लॉट धारकों को देय होगी।
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प्लॉट धारक भरने के लिए हैं तैयार
उधर, प्लॉट धारक और सोसायटी वालों का कहना है कि सालों बाद हमारे घर का सपना पूरा हो रहा है। अब जीएसटी का भी मुद्दा आया है तो उसे सुलझाएंगे, यदि भरना जरूरी है तो इसे भरेंगे भी। इस स्कीम के दायरे में 13 से ज्यादा सोसायटी के छह हजार से ज्यादा प्लॉट धारक आ रहे हैं, जिन्हें सालों बाद इस स्कीम से मुक्ति मिलेगी।
प्रारूप जारी होने से खुश हैं पीड़ित
अक्टूबर अंत में प्रारूप जारी होने के बाद सभी पीड़ितों ने विधायक महेंद्र हार्डिया, कलेक्टर आशीष सिंह और आईडीए सीईओ आरपी अहिरवार को माला पहनाकर सम्मान किया था। सीएम डॉ. मोहन यादव की सरकार को धन्यवाद दिया था। एमआईसी सदस्य राजेश उदावत के साथ ही संभागायुक्त व आईडीए प्रशासक दीपक सिंह को भी इसके लिए धन्यवाद दिया गया। साथ ही इस मुहिम में लगातार दमदारी से आवाज उठाने के लिए पीड़ितों ने 'द सूत्र' को भी धन्यवाद दिया। पुष्पविहार कॉलोनी संघर्ष समिति के एनके मिश्रा, ओपी तिवारी, राजेश तोमर, नीरज माहेश्वरी, देवेंद्र सिंह रघुवंशी, न्याय नगर संस्था से रितेश रघुवंशी, श्री महालक्ष्मी नगर से प्रभात मंत्री व अन्य इस मुहिम में लगे हुए थे।
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साल 2020 में हुआ था फैसला
स्कीम से मुक्ति के लिए साल 2020 में आदेश हुआ था, जिसमें कहा गया था कि जहां 10 फीसदी से कम विकास काम हुआ है, वहां आईडीए खर्च राशि लेकर स्कीम मुक्त कर दें। इसके लिए बाद में नियम आए, लेकिन प्रारूप नहीं आया। 'द सूत्र' ने दमदारी के साथ यह मुद्दा उठाया। सभी स्तरों पर बात की, पीड़ितों ने हर मंच पर अपनी बात रखी। वह 30 साल से एक घर बनाने के लिए तरस रहे थे। अब यह संकल्प पूरा हुआ।
15 हजार करोड़ की है जमीन
दो महीने में स्कीम की 115 हेक्टेयर जमीन मुक्त हो जाएगी। इसके लिए सोसायटी व भू धारकों को कुल 5.84 करोड़ की राशि भरना है। आज इस जमीन की कीमत 15 हजार करोड़ रुपए से अधिक है।
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इस तरह चला भूखंडधारकों का संघर्ष
आईडीए ने साल 1991-92 में स्कीम 132 लागू की थी। इसमें आपत्ति लगी और मामला कोर्ट गया और वहां से स्कीम निरस्त हो गई। आईडीए के बाद भी मुआवजा देने योग्य राशि नहीं थी। बाद में आईडीए ने यहां 2009 में स्कीम 171 लागू कर दी। इसमें 13 संस्थाओं के हजारों पीड़ित उलझ गए। लगातार स्कीम खत्म करने की मांग हुई। इसी दौरान भूमाफिया इसमें आ गए और जमीनों को खरीदना बेचना शुरू कर दिया। फरवरी 2020 में सरकार ने फैसला लिया जिसमें कोई काम नहीं हुआ वह रात 12 बजे से लैप्स होती है, जिसमें दस फीसदी से कम काम हुआ। इसमें विकास खर्च की राशि भरकर स्कीम मुक्त होगी।
इसी स्कीम 171 के लिए प्रस्ताव पास हुआ कि 5.84 करोड़ रुपए भरना होगा। बाद में सीएम शिवराज सिंह चौहान की सरकार में नियम बने और प्रारूप पास कर राशि जमाकर स्कीम लैप्स करने का नियम आया। हालांकि, इसके बाद से ही मामला अटका हुआ था। इसमें कलेक्टर आशीष सिंह ने पहल की और विधायक महेंद्र हार्डिया ने भी लगातार मांग रखी। इसके बाद आईडीए सीईओ अहिरवार ने टीम लगाकार इसमें सहकारिता विभाग से लिस्ट ली और प्रशासन से जांच कराने के बाद प्रारूप बनवाया। इस संभागायुक्त के आईडीए चेयरमैन दीपक सिंह हैं उन्होंने भी पॉजीटिव रुख अपनाया और मंजूर किया। इसके बाद यह प्रारूप जारी हुआ।
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