IDA से मुक्त हो रही स्कीम 171 जमीन में भूमाफिया दीपक मद्दा की सांठगांठ वाली 50 करोड़ की जमीन भी शामिल

दीपक जैन उर्फ ​​दिलीप सिसोदिया की इस बार दिवाली अच्छी मन रही है। वजह यह है कि एक तो उसे सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई, दूसरी तरफ स्कीम 171 से आईडीए जो जमीन छुड़ा रहा है, उसमें मद्दा की मिलीभगत वाली जमीन है।

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Sanjay gupta
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भूमाफिया दीपक मद्दा उर्फ दीपक जैन उर्फ दिलीप सिसौदिया की दिवाली इस बार हैप्पी वाली हो रही है। कारण है कि पहले तो सुप्रीम कोर्ट से जमानत मंजूर हो गई, उधर आईडीए जो जमीन स्कीम 171 से मुक्त कर रही है इसमें एक जमीन मद्दा की सांठगांठ वाली है। पर्दे के पीछे इस जमीन का खिलाड़ी और कोई नहीं बल्कि मद्दा ही है और इस जमीन की कीमत 50 करोड़ से ज्यादा की है। 

यह है वह जमीन

यह जमीन है ग्राम खजराना के सर्वे नंबर 85/1/3 (0.061 हेक्टेयर), सर्वे नंबर 85/1/4 (0.133 हेक्टेयर) और 85/2/2 (0.255 हेक्टेयर) की। कुल जमीन 0.449 हेक्टेयर की है यानी एक एकड़। इस जमीन की मुक्ति के लिए भू स्वामी को आईडीए में विकास शुल्क के खर्चे के बतौर मात्र 2.26 लाख रुपए भरना है, इसके बाद यह जमीन स्कीम से मुक्त हो जाएगी, जिसकी कीमत आज की तारीख में 50 करोड़ रुपए से ज्यादा की है। 

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किसके नाम पर है जमीन?

यह जमीन राजस्व रिकार्ड में डायमंड इन्फ्रास्ट्रक्चर तर्फे अजय पिता कैलाशचंद जैन के नाम पर है। राजस्व रिकार्ड के आधार पर ही आईडीए ने यह जमीन का रिकार्ड प्रारूप में अपलोड किया है। यह अजय जैन और कोई नहीं बल्कि दीपक मद्दा के बहुत ही करीबी मित्र है और मद्दा ने ही उन्हें एक समझौते के तहत जमीन दिलवाई थी। जैसा कि स्कीम 171 की कई जमीनों में मद्दा की भूमिका रही और इसी आधार पर उस पर केस भी दर्ज हुआ था। उसी तरह इस जमीन में भी मद्दा की भूमिका रही है। 

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अब जमीन की क्या है स्थिति?

अब भले ही राजस्व रिकार्ड में यह जमीन अजय जैन डायमंड इन्फ्रास्ट्रक्चर के नाम पर हो, लेकिन यह जमीन साल 2018 में ही तीसरे पक्षकार को बेची जा चुकी है, यानी अब अजय जैन भी इसके मालिक नहीं है। राजस्व रिकार्ड में इस जमीन का नामांतरण नहीं हुआ है, इसके चलते अजय जैन ही चल रहे हैं। बताया जा रहा है कि यह जमीन जिस तीसरे व्यक्ति को गई है वह भी सोसायटी की जमीन के किसी बड़े खिलाड़ी से जुड़ा हुआ है और इसलिए उन्होंने यह जमीन आईडीए स्कीम में फंसे होने के बाद भी खरीदी थी। जैन ने द सूत्र को बताया कि उनका इस जमीन से अब कोई वास्ता नहीं है वह इसे बेच चुके हैं।

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