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ग्वालियर की जनपद पंचायत भितरवार में मनरेगा योजना के नाम पर बड़ा घोटाला सामने आया है। इस घोटाले का आरोप पूर्व सरपंच सरबदी बाई पर है। सरपंच के परिवार के पास दो SUV गाड़ियां और एक आलीशान पक्का मकान है। इसके बावजूद वे और उनके परिवार के आठ सदस्य सरकारी पोर्टल पर मनरेगा मजदूर के रूप में दर्ज हैं। सभी सदस्यों को हजारों रुपये का भुगतान मजदूरी के नाम पर हुआ है।
जॉब कार्ड बने पूरे खानदान के नाम
सरबदी बाई, उनके पति पंजाब सिंह यादव, बेटा आकाश यादव समेत कुल आठ लोगों के नाम से जॉब कार्ड बने हैं। नियमों के अनुसार, जिनके पास चार पहिया वाहन होता है, उन्हें मनरेगा के तहत मजदूरी नहीं दी जा सकती। इसके बावजूद इनके परिवार को सरकारी पोर्टल पर मजदूरी के रिकॉर्ड में शामिल किया गया।
COSTAK Portal पर दर्ज मजदूरी का पूरा हिसाब
सरकारी COSTAK पोर्टल से मिली जानकारी के मुताबिक, पूर्व सरपंच सरबदी बाई ने 17 जून से 7 जुलाई 2024 तक सड़क निर्माण में मजदूरी की है। उसी दौरान उनके बेटे धर्मेंद्र यादव और बहू अलका यादव को भी एक ही कार्य में मजदूरी करते दिखाया गया है।
जनपद पंचायत भितरवार के सीईओ एलएन पिप्पल ने इस पूरे मामले पर कहा कि पूर्व सरपंच और उनके परिवार के मजदूरी करने की उन्हें कोई जानकारी नहीं है। मजदूरी देने का काम ग्राम रोजगार सहायक और सचिव का होता है।
बजरंग बली सप्लाय: फर्म भी बेटे के नाम
ग्राम पंचायत में जो भी निर्माण सामग्री जैसे सरिया, खिड़की, सीमेंट, ट्रैक्टर सफाई आदि के लिए भुगतान हुआ, उसका अधिकतर काम बजरंग बली कंस्ट्रक्शन एंड सप्लाय नामक फर्म को दिया गया।
इस फर्म को 9 नवंबर 2024 को 92.60 रुपए प्रति किलो की दर से सरिया के लिए भुगतान किया गया था। जांच में सामने आया कि इस फर्म के संचालक खुद सरबदी बाई का बेटा आकाश यादव और केदार सिंह हैं। इस फर्म ने GST में एक भी रुपया जमा नहीं किया और फिलहाल इसका खाता निलंबित है।
परिवार के इन सदस्यों के नाम पर बने Job Card
पंजाब सिंह यादव (पति)
सरबदी बाई (पूर्व सरपंच)
आकाश यादव (पुत्र)
बीरबल यादव (भाई)
श्रीपदी बाई (पत्नी बीरबल)
ज्योति (बीरबल की बेटी - शादीशुदा)
धर्मेंद्र यादव (बीरबल का पुत्र)
अलका यादव (पत्नी धर्मेंद्र)
बिल्डिंग मटेरियल का काम भी जारी
पूर्व सरपंच के पति पंजाब सिंह ने इस पूरे मामले पर कहा हम सभी लोग मजदूरी करते हैं। अभी हम गौशाला में काम कर रहे हैं। हमारा कोई सदस्य सरकारी सेवा में नहीं है। पहले 240 दिहाड़ी मिलती थी, अब 262 रुपए मिलती है। मेरा बेटा पिछले एक साल से बिल्डिंग मटेरियल का व्यापार कर रहा है।
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