ग्वालियर में अनुकंपा नियुक्ति का फर्जीवाड़ा, एक पिता की दो बार माैत, तीन बार मिली अनुकंपा नियुक्ति
ग्वालियर के पीएचई विभाग में अनुकंपा नियुक्ति देने में फर्जीवाड़ा किया गया। कर्मचारी के जीवित रहते बेटे को अनुकंपा नियुक्ति की गई, इसके बाद परिवार के दो ओर लोगों को भी अनुकंपा दे दी गई। अब इस मामले में जांच व सेवा समाप्ति की कार्रवाई की जा रही है।
ग्वालियर में पीएचई (लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग) में अनुकंपा नियुक्ति के नाम पर एक बड़ा फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। एक व्यक्ति की मौत को तीन अलग-अलग लोगों को नौकरी देने के रूप में इस्तेमाल किया गया। यह कहानी पंप अटेंडर भूप सिंह की है, जिनकी पहले कागजों में मौत हुई, जिसके बाद उनके बड़े बेटे रवि को अनुकंपा नियुक्ति मिली। भूप सिंह उस समय जीवित थे और विभाग में कार्यरत थे।
फर्जीवाड़ा यहीं नहीं रुका। जब असल में भूप सिंह की मौत हुई, तो छोटे बेटे पुष्पेंद्र को भी अनुकंपा नियुक्ति दी गई। इस तरह एक ही पिता की मौत का आधार दो बार नौकरी देने के लिए उपयोग किया गया। और फिर जब रवि की असली मृत्यु हुई, तो उसकी पत्नी उमा को भी नौकरी दी गई।
ऐसे हुआ अनुकंपा नियुक्ति फर्जीवाड़ा
बड़ा बेटा रवि:
रवि को 5 सितंबर 2008 को पीएचई विभाग में हेल्पर के पद पर नियुक्त किया गया। रवि के नियुक्ति आदेश में कहा गया था कि उसके पिता भूप सिंह की मृत्यु 2007 में हो चुकी थी। यह पूरी जानकारी झूठी थी, क्योंकि भूप सिंह उस समय जीवित थे और उसी विभाग में काम कर रहे थे।
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छोटा बेटा पुष्पेंद्र:
जब भूप सिंह की वास्तविक मृत्यु 30 अक्टूबर 2021 को हुई, तब छोटे बेटे पुष्पेंद्र को 10 फरवरी 2023 को चौकीदार के रूप में अनुकंपा नियुक्ति मिली।
बड़ी बहू उमा:
रवि की मृत्यु के बाद, उमा राजपूत ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया। 12 जून 2022 को रवि की मौत के बाद, उमा को 5 अक्टूबर 2023 को सहायक केमिस्ट के पद पर नियुक्ति दी गई। यह नियुक्ति भी पूरी तरह से फर्जी थी।
ऐसे समझें अनुकंपा पर अनुकंपा के इस फर्जीवाडे़ को
ग्वालियर में पीएचई विभाग में अनुकंपा नियुक्ति के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ, जिसमें एक पिता की मृत्यु को आधार बना तीन लोगों को नौकरी दी गई।
पहले भूप सिंह के जीवित रहते उनके बड़े बेटे रवि को मृत बताकर फर्जी अनुकंपा नियुक्ति दी गई, जबकि भूप सिंह विभाग में काम कर रहे थे।
जब असल में भूप सिंह की मृत्यु 2021 में हुई, तो छोटे बेटे पुष्पेंद्र को अनुकंपा नियुक्ति दी गई।
रवि की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी उमा को भी अनुकंपा नियुक्ति मिली, जिससे यह मामला और गंभीर हो गया।
जांच के बाद यह फर्जीवाड़ा साबित हुआ, और उमा को सेवा समाप्ति का नोटिस जारी किया गया, एफआईआर की कार्रवाई जारी है।
14 साल की फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र से नौकरी
यह पूरा मामला एक ही पद पर बार-बार अनुकंपा नियुक्ति को उजागर करता है। जबकि विभाग में एक ही पद पर एक से अधिक बार अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान ही नहीं है। इधर पहली बार फर्जी अनुकंपा नियुक्ति बड़े बेटे रवि को दी गई नियुक्ति पूरी तरह से फर्जी और कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर ही गई थी, लेकिन इस मामले में भी विभाग द्वारा ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
बडे़ बेटे रवि द्वारा फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र के आधार पर वर्ष 2008 से 2022 तक लगातार नौकरी की। इस दौरान उन्होंने विभाग से वेतन सहित अन्य आर्थिक लाभ भी लिए। 12 जून 2022 को रवि की मौत हुई।
मुख्य अभियंता, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (ग्वालियर परिक्षेत्र) आरएलएस मौर्य ने बताया कि उमा राजपूत के नियुक्ति आदेश की जांच की जा रही है और यह फर्जी पाया गया है। जांच पूरी होने के बाद एफआईआर दर्ज की जाएगी। उमा राजपूत को 13 मई को सेवा समाप्ति का नोटिस जारी किया गया है।