BHOPAL. मध्य प्रदेश सरकार को ग्वालियर हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने आंगनबाड़ी केंद्रों में भोजन वितरण का काम स्व सहायता समूहों से छीनकर सहायिकाओं से कराने के सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है। साथ ही इस मामले में 4 सप्ताह में जवाब मांगा है। मामले में कोर्ट से स्टे लगने के बाद योजना के लागू होने पर असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है।
स्व सहायता समूहों ने दी आदेश को चुनौती
दरअसल, महिला व बाल विकास विभाग ने आदेश था कि आंगनबाड़ी केंद्रों में भोजन बांटने का काम स्व सहायता समूहों से लेकर सहायिकाओं को दिया जाएगा। यह पायलट प्रोजेक्ट 15 अगस्त से लागू होना था, जिसके बाद सरकार के इस आदेश को स्व सहायता समूहों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
समूहों से जुड़ी महिलाएं गरीब
सीनियर एडवोकेट एमपीएस रघुवंशी ने बताया कि मुरैना के 15 और दतिया के 29 स्व सहायता समूहों ने इस आदेश के खिलाफ ग्वालियर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। सुनवाई में कोर्ट को बताया गया कि स्वसहायता समूहों में काम करने महिलाएं गरीब हैं, ऐसे में स्वसहायता समूहों से भोजन वितरण का काम छिन जाने से इससे जुड़ी महिलाओं को परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
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कोर्ट ने 4 सप्ताह में मांगा जवाब
मामले में सुनावाई के बाद कोर्ट ने सहमति जताते हुए प्रदेश सरकार के आदेश को लागू करने पर रोक लगा दी। साथ ही 4 सप्ताह में जवाब देने का आदेश दिया है। बता दें कि एमपी में आंगनबाड़ी केंद्रों में भोजन वितरण की जिम्मेदारी स्वसहायता समूहों के पास है, लेकिन जुलाई के पहले सप्ताह में महिला व बाल विकास विभाग ने बदलाव का आदेश निकाला, इसमें बताया गया कि मिशन सक्षम आंगनबाड़ी और पोषण स्कीम के तहत 12 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के रुप में आंगनबाड़ी केंद्रों में सहायिकाओं के माध्यम से भोजन वितरण कराया जाएगा।
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