एमपी हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने DIG मयंक अवस्थी पर कार्रवाई के आदेश दिए हैं। अदालत ने पुलिस महानिदेशक (DGP) से यह भी पूछा कि क्या ऐसे अधिकारी विभाग में बने रहने योग्य हैं? हाईकोर्ट ने आदेश में कहा कि मयंक अवस्थी ने दतिया में एसपी रहते हुए हत्या के एक मामले में कॉल डिटेल की जानकारी छुपाई थी। इस कारण मामले की निष्पक्षता पर सवाल उठे।
5 लाख की क्षतिपूर्ति देने का निर्देश
कोर्ट ने डीआईजी को 5 लाख रुपए क्षतिपूर्ति राशि जमा करने के निर्देश भी दिए हैं। साथ ही विभागीय जांच और अवमानना की कार्रवाई करने को कहा है। दरअसल इस मामले में मानवेंद्र सिंह नाम के आरोपी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि उसे झूठे केस में फंसाया गया है और उसके मोबाइल डाटा को जानबूझकर नष्ट किया गया।
हाईकोर्ट ने डीजीपी से जवाब तलब किया
कोर्ट ने राज्य के पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाना (DGP Kailash Makwana) से स्पष्ट जवाब मांगा है कि क्या मयंक अवस्थी जैसे अधिकारी को विभाग में बने रहना चाहिए या नहीं। इस पर चार सप्ताह में जवाब मांगा गया है।
क्या है पूरा मामला
पूरा मामला दतिया के हत्या केस से जुड़ा हुआ है। जहां हत्या के आरोपी मानवेंद्र सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि पुलिस ने उन्हें झूठे केस में फंसाया है। साथ ही मोबाइल कॉल डाटा जानबूझकर नष्ट किया गया। इसमें तत्कालीन एसपी मयंक अवस्थी पर आरोप लगाए कि उन्होंने कोर्ट में गलत जानकारी दी। याचिका में यह भी कहा गया कि इससे जांच की दिशा ही भटक गई।
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अब कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई होगी
कोर्ट ने अब इस मामले में आदेश दिया कि डीआईजी पर विभागीय जांच शुरू की जाए, कोर्ट को गुमराह करने पर अवमानना की कार्रवाई हो। याचिकाकर्ता को हुई क्षति के लिए 5 लाख क्षतिपूर्ति की जाए।
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