HC ने पूछा- कहां गया स्टॉक? ठेकेदार और अधिकारियों से जवाब तलब और वरिष्ठ अधिवक्ता पर भी उठे सवाल

जबलपुर में सालीवाड़ा शराब दुकान से जब्त हजारों लीटर शराब के स्टॉक की गुमशुदगी का मामला गंभीर रूप लेता जा रहा है। हाईकोर्ट ने इसे अब महज ठेके का विवाद नहीं, बल्कि गबन और भ्रष्टाचार की संभावना मानते हुए स्पष्टीकरण मांगा है।

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Neel Tiwari
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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट।

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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत की डिविजिनल बैच के समक्ष आबकारी विभाग द्वारा जब्त की गई हजारों लीटर शराब के स्टॉक की गुमशुदगी का मामला गंभीर रूप लेता जा रहा है। न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि यह अब महज एक ठेके का विवाद नहीं रहा, बल्कि इसमें गबन और भ्रष्टाचार की संभावनाएं स्पष्ट नजर आ रही हैं। अदालत ने कमिश्नर एक्साइज, असिस्टेंट एक्साइज कमिश्नर जबलपुर, जबलपुर कलेक्टर और ठेकेदार आकर्ष जायसवाल (सालीवाड़ा शराब दुकान) से पूछा है कि यदि स्टॉक वास्तव में सुपुर्द किया गया था, तो वह गया कहां? और यदि नहीं किया गया, तो फिर पंचनामे क्यों बनाए गए?

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झूठ, गलतबयनी और 6.50 लाख रुपए का भुगतान

दरअसल, 4 अप्रैल 2025 को सालीवाड़ा शराब दुकान के ठेकेदार आकर्ष जायसवाल की ओर से प्रबंधक पुनीत चौरसिया हाईकोर्ट में उपस्थित हुए। उन्होंने शुरुआत में यह दावा किया कि 31 मार्च 2024 और 01 अप्रैल 2024 को जब छह पंचनामे बनाए गए, उस समय वे वहां मौजूद नहीं थे, और उन्हें यह नहीं पता कि कितना स्टॉक उन्हें सौंपा गया। लेकिन इसके कुछ क्षण बाद ही उन्होंने अपने ही बयान से पलटते हुए कहा कि वे उस समय वहां मौजूद थे, पर उन्हें कोई स्टॉक प्राप्त नहीं हुआ। इस विरोधाभास पर अदालत ने कड़ी आपत्ति जताई और पूछा कि जब स्टॉक मिला ही नहीं, तो फिर 6.50 लाख रुपए का आबकारी शुल्क किस आधार पर जमा किया गया? और वह भी तीन अलग-अलग ई-चालानों के माध्यम से?

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कोर्ट में 'हंगामा', वरिष्ठ अधिवक्ता पर गिरी गाज

आकर्ष जायसवाल की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता नरिंदर पाल सिंह रूपराह से जब अदालत ने यह पूछा कि क्या उनके मुवक्किल इस समय न्यायालय में मौजूद हैं, तो उन्होंने इसका जवाब देने के बजाय ऊंची आवाज में चिल्लाकर बातें करना शुरू कर दिया। उन्होंने कोर्ट पर यह भी आरोप लगाए कि उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया जा रहा है। जबकि याचिका कर्ता के पक्ष को बोलने दिया जा रहा है। उनका आचरण इतना असंयमित था कि न्यायालय को यह कहना पड़ा कि यह व्यवहार किसी वरिष्ठ अधिवक्ता की गरिमा के अनुकूल नहीं है। चूंकि यह पूरी कार्यवाही हाईकोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग में रिकॉर्ड हो रही थी, इसलिए अदालत ने महापंजीयक को निर्देश दिए हैं कि पूरी रिकॉर्डिंग को फुल बेंच के समक्ष प्रस्तुत किया जाए, ताकि यह तय किया जा सके कि अधिवक्ता रूपराह को वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में बनाए रखा जाए या नहीं। साथ ही, उन्हें तब तक चीफ जस्टिस की इस बेंच के समक्ष पेश होने से रोक दिया गया है।

25 लाख रूपए का चेक और शराब स्टॉक की गुमशुदगी 

आकर्ष जायसवाल द्वारा याचिकाकर्ता को 25 लाख रूपए का चेक 7 अप्रैल 2025 को सौंपा गया और साथ ही सीपीसी की धारा 23 नियम 3 के अंतर्गत एक संयुक्त आवेदन प्रस्तुत किया गया। लेकिन ठेकेदार के प्रतिनिधि स्वयं यह कह रहे हैं कि उन्हें कोई स्टॉक नहीं मिला, तो फिर यह बड़ी राशि किस बात के एवज में दी गई? हाईकोर्ट ने इस विरोधाभास को गंभीरता से लेते हुए पूछा कि क्या यह समझौता स्टॉक के बदले में किया गया या किसी अन्य कारण से?

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गवाहों के नहीं आने पर जमानती वारंट, कोर्ट की सख्ती

पंचनामों पर हस्ताक्षर करने वाले आकर्ष जायसवाल के तीन प्रतिनिधियों अमोल गुप्ता, विकास सिंह और धर्मेंद्र शिवहरे को पहले ही समन भेजा गया था, लेकिन वह कोर्ट में हाज़िर नहीं हुए। इस पर अदालत ने तीनों के विरुद्ध 25 हजार के जमानती वारंट जारी कर दिए, जिन्हें जबलपुर पुलिस अधीक्षक के माध्यम से निष्पादित किया जाएगा। यह स्पष्ट करता है कि कोर्ट इस पूरे प्रकरण को अब एक आपराधिक जांच के नजरिए से देख रही है।

आबकारी अधिकारी कोर्ट में पेश, स्टॉक सौंपने की पुष्टि

कमिश्नर एक्साइज के अधीन कार्यरत आबकारी उप निरीक्षक पी.आर. वारकड़े, आबकारी आरक्षक रमेश इनवती और डी.एस. मार्को अदालत में उपस्थित हुए और उन्होंने साफ तौर पर कहा कि आकर्ष जायसवाल के प्रतिनिधि स्टॉक प्राप्त करने के समय मौके पर मौजूद थे और उनके हस्ताक्षर पंचनामों पर मौजूद हैं। उन्होंने यह भी बताया कि न्यायालय में उपस्थित होने की सूचना उन्होंने अमोल गुप्ता, विकास सिंह और धर्मेंद्र शिवहरे को दे दी थी, फिर भी वे कोर्ट नहीं आए।

लाइव रिकॉर्डिंग बनेगी साक्ष्य, वरिष्ठ अधिवक्ता की भूमिका संदेह के घेरे में

हाईकोर्ट ने महापंजीयक (आईटी) को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि 07 अप्रैल 2025 को न्यायालय क्रमांक 1 में हुई कार्यवाही की लाइव रिकॉर्डिंग को संरक्षित रखा जाए। इस रिकॉर्डिंग को आगे चलकर फुल बेंच के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा, जहां यह तय होगा कि नरिंदर पाल सिंह रूपराह को वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में बनाए रखा जाना उचित है या नहीं। यह दर्शाता है कि अदालत अब केवल मामले के तथ्यों ही नहीं, बल्कि न्यायालय की मर्यादा से जुड़ी हर बात को भी गंभीरता से ले रही है।

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9 अप्रैल की सुनवाई पर सबकी नजर

हाईकोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख बुधवार 9 अप्रैल 2025 तय की है। यह सुनवाई बेहद महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि इसमें यह तय हो सकता है कि हजारों लीटर शराब का स्टॉक आखिर गया कहां और इसके पीछे कौन-कौन लोग जिम्मेदार हैं। कमिश्नर एक्साइज, असिस्टेंट एक्साइज कमिश्नर जबलपुर, जबलपुर कलेक्टर और ठेकेदार आकर्ष जायसवाल को अब अदालत के समक्ष स्पष्ट और प्रमाणिक स्पष्टीकरण देना होगा।

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5 मुख्य बिंदुओं से समझें पूरा मामला 

✅ सालीवाड़ा शराब दुकान से शराब स्टॉक की गुमशुदगी का मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है।

✅ ठेकेदार आकर्ष जायसवाल के बयान में विरोधाभास पर कोर्ट ने कड़ी आपत्ति जताई।

✅ 25 लाख रुपए का चेक सौंपने के बावजूद, सवाल उठ रहे हैं कि यह राशि किस कारण दी गई।

✅ गवाहों की अनुपस्थिति पर कोर्ट ने जमानती वारंट जारी किए हैं, और इसे आपराधिक जांच के तौर पर देखा जा रहा है।

✅ आबकारी अधिकारियों ने कोर्ट में स्टॉक की पुष्टि की, लेकिन ठेकेदार के प्रतिनिधियों ने इसे नकारा।

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