मुख्यमंत्री से मिलने जा रहे हरदा ब्लास्ट पीड़ितों को पुलिस ने रास्ते में रोका, लाठीचार्ज करने का भी आरोप

हरदा में पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट के बाद पीड़ित परिवार जब न्याय की उम्मीद में 150 किलोमीटर की पदयात्रा कर राजधानी भोपाल पहुंचे, तो उन्हें पुलिस ने रास्ते में ही रोक दिया। पीड़ितों ने पुलिस पर लाठी से पीटने का आरोप लगाया है।

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Vikram Jain
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BHOPAL. मध्य प्रदेश के हरदा में पटाखा फैक्ट्री में हुए ब्लास्ट में पीड़ित परिवारों को भोपाल पुलिस ने 150 किमी की न्याय यात्रा के दौरान मिसरोद में रोक लिया। पीड़ित परिवार उचित मुआवजे की मांग को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मिलने के लिए भोपाल आ रहे थे, लेकिन पुलिस उन्हें रोका और बल प्रयोग कर वापस भेज दिया। पीड़ित परिवारों ने पुलिस प्रशासन पर लाठी से पिटाई करने का आरोप लगाया है। वहीं पुलिस का कहना है कि सुरक्षा कारणों के चलते उन्हें रोका गया है, लेकिन पीड़ित परिवार इसे न्याय की आवाज दबाने की कोशिश बता रहे हैं।

5 दिन की पदयात्रा कर भोपाल पहुंचे थे पीड़ित

दरअसल, मध्य प्रदेश के हरदा जिले में 6 फरवरी 2024 को पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट हुआ था, जिसमें 13 लोगों की जान चली गई थी, इस हादसे में कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। इस घटना के पीड़ित परिवार अब तक उचित मुआवजे के लिए संघर्ष कर रहे हैं। मंगलवार को 5 दिन में 150 किमी की पदयात्रा के बाद पीड़ित भोपाल पहुंचे रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें राजधानी भोपाल जाने से पहले मिसरोद में रोक लिया। इसको लेकर इन लोगों ने पुलिस के रवैये को लेकर सवाल उठाए हैं।

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पीड़ितों का आरोप- पुलिस ने किया लाठीचार्ज

पीड़ितों का कहना है कि वे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से उचित मुआवजे की मांग करने जा रहे थे। पीड़ित परिवारों का आरोप है कि  पुलिस ने न्याय यात्रा को बलपूर्वक रोका और लाठीचार्ज किया। पुलिस ने करीब 30 बुजुर्ग, महिलाओं और बच्चों को बस में बैठाया और वापस हरदा भेज दिया। पुलिस ने पीड़ितों को आगे नहीं जाने दिया। पीड़ित सीएम से मिलने के लिए अड़े रहे। एक पीड़ित ने बताया कि उसे और उसके परिवार को बहुत मारा गया। बस में बैठाए गए परिवारों ने पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। एक पीड़ित का कहना है कि पुलिस के लाठीचार्ज में बुजुर्ग-बच्चों समेत कई लोगों को चोटें आई हैं।

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पीड़ित बोले- नहीं मिला उचित मुआवजा

हरदा पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट के पीड़ित परिवारों का आरोप है कि उन्हें अब तक उचित मुआवजा नहीं मिला है। उनके मकान क्षतिग्रस्त हो गए हैं। पीड़ित परिवार अब तक उचित मुआवजे के अभाव में संकट में जीवनयापन कर रहे हैं। एनजीटी कोर्ट के अनुसार मुआवजे की राशि तो मिली थी, लेकिन वह काफी कम है। पीड़ितों ने यह भी बताया कि उनके घर पूरी तरह से नष्ट हो गए थे और वे शेल्टर हाउस में रह रहे हैं। उन्हें एनजीटी के मुआवजे के आधार पर घर बनाने में समस्या आ रही है। हमारी मांग है कि 1500 रुपए स्क्वायर फीट के हिसाब से हमें मुआवजा दिया जाए।

सरकार से उचित मुआवजा देने की मांग

पीड़ितों का कहना है कि कलेक्टर ने उन्हें 42 बार मीटिंग के लिए बुलाया और आश्वासन दिया कि मुआवजा मिलेगा, लेकिन अब तक उन्हें कोई समाधान नहीं मिला। पीड़ित परिवारों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने भी वादा किया था कि मुआवजा मिलेगा, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ है।

नहीं किया गया कहीं भी लाठीचार्ज

मामले में पुलिस थाना प्रभारी मनीषराज सिंह भदौरिया ने पीड़ितों के आरोपों से इनकार किया है। थाना प्रभारी का कहना है कि पुलिस ने लाठीचार्ज नहीं किया है। पीड़ितों को सुरक्षित तरीके से बस में बैठाकर हरदा वापस भेजा गया है।

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कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर साधा निशाना

इस मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने एक्स पर लिखा कि "क्या मध्य प्रदेश में तानाशाही चल रही है, जहां आम लोग मुख्यमंत्री से अपनी बात नहीं कर सकते?" उन्होंने इस घटना को लेकर सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की है ताकि पीड़ित परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाए।

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5 मुख्य बिंदुओं से समझें पूरा मामला 

हरदा पटाखा फैक्ट्री में ब्लास्ट के पीड़ित परिवारों को पुलिस ने भोपाल जाने से रोका और लाठीचार्ज किया।

✅  पीड़ित परिवारों का आरोप है कि उन्हें उचित मुआवजा नहीं मिला है और पुलिस ने उनकी आवाज दबाने की कोशिश की।

✅  पीड़ित परिवारों ने मुख्यमंत्री से उचित मुआवजे की मांग की, लेकिन उन्हें पुलिस ने वापस भेज दिया।

✅  कलेक्टर और अधिकारियों ने आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं हुआ है।

✅  पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने सरकार पर निशाना साधा है, उन्होंने कहा, "क्या मध्य प्रदेश में तानाशाही चल रही है, जहां आम लोग मुख्यमंत्री से अपनी बात नहीं कर सकते?

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