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ग्वालियर में नगर निगम और स्मार्ट सिटी द्वारा एक महीने पहले बनाई गई सड़कें अब सुरंग जैसी हालत में नजर आ रही हैं। हाल ही में हुई बारिश के बाद महल रोड में एक गहरा गड्ढा दिखाई दिया, जो धीरे-धीरे एक सुरंग की तरह प्रतीत हो रहा था। यह सड़क केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के महल (जयविलास पैलेस) तक जाती है और महज एक महीने पहले ही बनी थी। इस घटना ने न केवल ग्वालियरवासियों को हैरान किया है, बल्कि इसे लेकर सवाल उठने लगे हैं कि आखिर इस सड़क की गुणवत्ता और निर्माण में किस प्रकार की लापरवाही बरती गई है।
4.30 करोड़ पानी में...
महल रोड को 19 करोड़ रुपए के वाटर ड्रेनेज प्रोजेक्ट के तहत माधव नगर से चेतकपुरी तक बनाया गया था। इस सड़क की लागत लगभग 4.30 करोड़ रुपए थी और यह सिंधिया के महल की बाउंड्री के साइड से अचलेश्वर तक जाती है।
हालांकि, यह सड़क मानसून से पहले ही कई बार धंस चुकी है। पिछले दस दिनों में यह सड़क 10 बार धंस चुकी है, जो कि निर्माण में गंभीर लापरवाही का संकेत है।
इस सड़क के निर्माण में स्थानीय निवासियों को 6 महीने तक वन-वे ट्रैफिक की समस्या का सामना करना पड़ा था। अब एक महीने में ही सड़क की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं।
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सड़क धंसने से कई वाहन उसमें फंसे
मंगलवार की सुबह महल रोड के धंसने के बाद कई वाहन उसमें फंस गए। इनमें से एक ट्रक भी फंस गया, जिससे सड़क पर यातायात पूरी तरह से प्रभावित हो गया। सूचना मिलने के बाद संबंधित विभाग ने तत्काल कार्रवाई करते हुए हिटैची और रोलर का उपयोग किया और गड्ढों में गिट्टी भर दी। हालांकि, सड़क का बार-बार धंसना यह साफ करता है कि कहीं न कहीं निर्माण में बड़ी लापरवाही हुई है।
भ्रष्टाचार का लगा आरोप
इस घटना को लेकर राजनीतिक दल भी सक्रिय हो गए हैं। आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस ने इस निर्माण में भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी का आरोप लगाया है। AAP के जिलाध्यक्ष अमिताभ पांडेय ने कहा कि यह सड़क केवल धंसी नहीं है, बल्कि यह भ्रष्टाचार और लापरवाही का प्रमाण है।
स्थानीय निवासी अर्जुन शर्मा ने भी इस सड़क के धंसने पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्हें ऐसा लगा जैसे वह सड़क नहीं, बल्कि एक सुरंग से गुजर रहे हैं। यह बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि सड़क की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
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कलेक्टर ने किया जांच कमेटी का गठन
ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए दो सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी 5 दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।
19 करोड़ का वाटर ड्रेनेज प्रोजेक्ट
यह सड़क 19 करोड़ रुपए के वाटर ड्रेनेज प्रोजेक्ट के तहत बनाई गई थी, जिसमें पाइपलाइन डालने के कारण सड़क को छह महीने तक बंद रखा गया था। हालांकि, इतने बड़े प्रोजेक्ट के बावजूद सड़क की स्थिति आज भी खराब है, जिससे स्थानीय लोगों को परेशानी हो रही है।
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