MP हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, अमेरिकी पिता को नहीं दी बेटे की कस्टडी, विदेशी अदालत का आदेश बेअसर

MP हाईकोर्ट ने अमेरिकी पिता की बेटे की कस्टडी याचिका खारिज की। कोर्ट ने कहा, बच्चे का हित सर्वोपरि है और मुलाकात का निर्णय मां की इच्छा पर निर्भर करेगा। विदेशी अदालत का आदेश भारत में बाध्यकारी नहीं।

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Rohit Sahu
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एमपी हाईकोर्ट के आदेश के बाद अमेरिकी अदालत का आदेश बेअसर हो गया है। दरअसर HC की ग्वालियर बेंच में अमेरिका में रहने वाले एक व्यक्ति हैबियस कॉर्पस ने बेटे की कस्टडी के लिए याचिका लगाई थी। कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में उन्होंने अपने 10 साल के बेटे की कस्टडी मांगी थी। बेटा इस समय मां के साथ सीहोर में रह रहा है। कोर्ट ने कस्टडी देने से इनकार कर दिया। 

अमेरिकी अदालत का आदेश बेटे के हित से ऊपर नहीं

मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस आनंद पाठक और जस्टिस राजेन्द्र कुमार वानी की बेंच ने कहा कि बच्चे का कल्याण सबसे अहम है। विदेशी अदालत का आदेश इसके ऊपर नहीं हो सकता। दरअसल इस संबंध में न्यू जर्सी की अदालत ने 4 अप्रैल 2023 को पिता को बेटे की एकमात्र कस्टडी दी है। अब एमपी हाईकोर्ट के फैसले से ये आदेश बेअसर हो गया है।

मां की मर्जी से ही मिल सकेगी कस्टडी

कोर्ट ने कहा कि पिता चाहें तो अपनी पत्नी से संपर्क कर बेटे से मिलने की इजाजत मांग सकते हैं। हालांकि यह पूरी तरह पत्नी की इच्छा पर निर्भर होगा। अगर मां उचित समझे तो मुलाकात करने दे या वीडियो कॉल पर बात करा सकती है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि वह इस बारे में कोई आदेश जारी नहीं कर रहा। यह मामला पति-पत्नी के व्यक्तिगत संबंधों से जुड़ा है और बेटे की कस्टडी में मां की मर्जी सर्वोपरि होगी।

बेटे को जबरन भारत में रखा गया, पति का आरोप

याचिकाकर्ता पिता ने दलील दी कि उसका बेटा अमेरिका का नागरिक है और उसे बिना किसी वैधानिक प्राधिकरण के भारत में जबरन रखा गया है। साथ ही यह भी कहा गया कि बच्चे को भारतीय नागरिकों को मिलने वाले अधिकारों और राहतों से वंचित किया जा रहा है।

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2013 में शादी, 2018 से भारत में रह रही है पत्नी

अदालत में पेश की जानकारी के अनुसार, याचिकाकर्ता और उसकी पत्नी की शादी 2013 में विदिशा में हिंदू रीति-रिवाजों से हुई थी।
इसके बाद दोनों अमेरिका में रहने लग गए। उनका बेटा 2015 में अमेरिका में पैदा हुआ और उसे वहीं की नागरिता मिल गई। पति पत्नी के आपसी विवाद के चलते पत्नी जुलाई 2018 में बेटे के साथ सीहोर लौट आई। बेटा तब से पत्नी के साथ रह रहा था, अब पति ने कोर्ट से कस्टडी मांगी। हालांकि कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।

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बाल अधिकार संरक्षण आयोग और जिलाधिकारी से की थी शिकायत

याचिकाकर्ता ने इस संबंध में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR), जिला कलेक्टर सीहोर, चाइल्ड वेलफेयर कमेटी और चाइल्ड वेलफेयर कमीशन से भी संपर्क किया था। 

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