harda factory blast : हरदा में 6 फरवरी 2024 को हुए फैक्ट्री ब्लास्ट में मृतकों और घायलों के परिजनों को दिए जाने वाले मुआवजे पर हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने मृतकों के परिजनों को 15-15 लाख रुपए मुआवजा देने के एनजीटी के आदेश को बरकरार रखा है। इससे फैक्ट्री मालिकों की अपील खारिज हो गई है। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को घायलों और क्षतिग्रस्त मकानों के मुआवजे पर एनजीटी के समक्ष अपनी आपत्तियां पेश करने के निर्देश दिए हैं। इस घटना में 13 लोगों की मौत हो गई थी। 50 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। 60 मकान क्षतिग्रस्त हुए थे, जिससे यह मामला और भी गंभीर हो गया है।
ये है मामला
6 फरवरी 2024 को हरदा जिले में एक पटाखा फैक्ट्री में भीषण विस्फोट हुआ था। विस्फोट में 13 लोगों की मौत हो गई थी और 50 से अधिक लोग घायल हो गए थे। विस्फोट में 60 घर क्षतिग्रस्त हो गए थे, जबकि 100 से अधिक लोग अपने घरों से विस्थापित हो गए थे। इस घटना से पूरे इलाके में अफरातफरी मच गई थी और प्रशासन को मुआवजा बांटने के लिए तेजी से कदम उठाने पड़े थे।
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एनजीटी का मुआवजा आदेश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने इस मामले में फैक्ट्री संचालकों को मुआवजा देने का आदेश जारी किया था। मृतकों के परिजनों को 15-15 लाख, गंभीर रूप से घायलों को 5-5 लाख और अन्य घायलों को तीन-तीन लाख रुपये देने के साथ ही क्षतिग्रस्त मकानों के लिए पांच-पांच लाख और बेघर हुए लोगों को दो-दो लाख रुपये मुआवजा देने का निर्णय लिया गया था। जिला प्रशासन ने इस आदेश पर अमल करते हुए मुआवजा बांटने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
फैक्ट्री मालिकों की याचिका और कोर्ट का निर्णय
फैक्ट्री मालिक राजेश अग्रवाल और सोमेश अग्रवाल ने एनजीटी द्वारा जारी किए गए मुआवजा आदेश को चुनौती दी। फैक्ट्री मालिक ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उनका कहना था कि नुकसान का सही आकलन किए बिना ही मुआवजा वितरित कर दिया गया। कुछ लोग इसका अनुचित फायदा उठा रहे हैं। उन्होंने कलेक्टर द्वारा फैक्ट्री से 15.80 करोड़ रुपए वसूलने और 9 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त करने के फैसले को भी चुनौती दी थी। हालांकि, कोर्ट ने एनजीटी के आदेश को बरकरार रखा और उस पर कोई रोक लगाने से इनकार कर दिया।
आगे की प्रक्रिया
हाईकोर्ट की डबल बेंच ने मृतकों के परिजनों को 15-15 लाख रुपए मुआवजा देने के आदेश को उचित माना। कोर्ट ने फैक्ट्री मालिकों की मुआवजे को लेकर आपत्ति को खारिज करते हुए कहा कि वे एनजीटी के समक्ष अपनी आपत्ति दर्ज करा सकते हैं। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि घायलों और मकानों के मुआवजे को लेकर कोई भी आपत्ति एनजीटी के समक्ष रखी जा सकती है।
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