NEET PG परीक्षा के नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया पर HC का सवाल, NBE को नोटिस

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET PG) 2023 के सामान्यीकरण प्रक्रिया (Normalization Process) पर गंभीर सवाल उठाए हैं।

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Neel Tiwari
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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET PG) 2023 के सामान्यीकरण प्रक्रिया (Normalization Process) पर गंभीर सवाल उठाए हैं। यह मामला तब सामने आया जब परीक्षा में शामिल कई छात्रों ने शिकायत की कि सामान्यीकरण प्रक्रिया के कारण उनकी रैंकिंग प्रभावित हुई और उन्हें उनकी मेहनत के अनुसार रैंक नहीं मिली। याचिकाकर्ताओं ने जबलपुर हाईकोर्ट का रुख करते हुए इस प्रक्रिया को चुनौती दी, जिसमें उन्होंने दावा किया कि सामान्यीकरण प्रक्रिया पारदर्शी नहीं थी और इसका परिणाम छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने जैसा है। हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन फॉर मेडिकल साइंसेज (NBE) को नोटिस जारी कर जवाब देने के निर्देश दिए।

नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया में हुआ अभ्यर्थियों से भेदभाव

याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि NEET PG 2023 परीक्षा की सामान्यीकरण प्रक्रिया में जिस मैथमेटिकल मॉडल और आंकड़ों का उपयोग किया गया, वह स्पष्ट नहीं है। परीक्षा कई शिफ्टों में आयोजित की गई थी, और हर शिफ्ट में प्रश्नपत्र का कठिनाई का स्तर अलग था। सामान्यीकरण का उद्देश्य था कि सभी शिफ्टों के परीक्षार्थियों को समान अवसर मिल सके, लेकिन याचिकाकर्ताओं के अनुसार, यह प्रक्रिया अपने उद्देश्य में विफल रही। उन्होंने तर्क दिया कि सामान्यीकरण के नाम पर कुछ परीक्षार्थियों को अन्यायपूर्ण लाभ मिला, जबकि कई मेहनती छात्रों को नुकसान हुआ। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि सामान्यीकरण प्रक्रिया के परिणाम और इसका तरीका सार्वजनिक नहीं किया गया, जिससे इसकी पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल उठता है।

नॉर्मलाइजेशन का फार्मूला बताएं NBE

इस मामले की सुनवाई जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने की। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने सामान्यीकरण प्रक्रिया के लागू किए जाने के फॉर्मूले पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रतियोगी परीक्षाओं में निष्पक्षता और पारदर्शिता बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। कोर्ट ने कहा कि परीक्षाओं में अगर प्रक्रियाओं पर सवाल उठते हैं, तो यह छात्रों के विश्वास को कमजोर करता है और भविष्य के लिए नकारात्मक उदाहरण बन सकता है। कोर्ट ने NBE को निर्देश दिया कि वह यह स्पष्ट करे कि सामान्यीकरण प्रक्रिया को लागू करने के लिए कौन-सा वैज्ञानिक आधार अपनाया गया था और इसके लिए कोर्ट ने कुछ विद्यार्थियों का उदाहरण भी देने के लिए बोर्ड को आदेशित किया था। बोर्ड के द्वारा विद्यार्थियों की मेरिट लिस्ट को गोपनीय रखने की मांग पर कोर्ट ने यह स्पष्ट किया था किया रिजल्ट गोपनीय रखा जाएगा।

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NBE को नोटिस और अगली सुनवाई की तारीख

हाईकोर्ट ने NBE से जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया है। बोर्ड को निर्देश दिया गया है कि वह यह स्पष्ट करे कि सामान्यीकरण प्रक्रिया के लिए कौन-से मानदंड अपनाए गए और क्या इस प्रक्रिया से सभी परीक्षार्थियों को समान अवसर मिला। कोर्ट ने बोर्ड से यह भी पूछा कि क्या सामान्यीकरण प्रक्रिया लागू करते समय विभिन्न शिफ्टों में हुए एग्जाम में प्रश्नों की जटिलता को संतुलित करने का प्रयास सबके लिए एक बराबर किया गया था या इससे किसी एक वर्ग को लाभ मिला है। 5 दिसंबर को ही मामले की सुनवाई में कोर्ट के द्वारा बोर्ड को यह आदेश दिया गया था कि कुछ अभ्यर्थियों का नॉर्मलाइजेशन का उदाहरण देकर बोर्ड यह बताएं कि किस तरह से अलग-अलग शिफ्ट के अभ्यर्थियों के रिजल्ट को नॉर्मलाइज किया गया है। इस मामले में बोर्ड को 6 दिसंबर को जवाब देना था लेकिन अब हाई कोर्ट के पोर्टल में इसकी अगली सुनवाई  15 दिसंबर 2024 को निर्धारित की गई दिखाई दे रही है। तो अब अगली सुनवाई इस दौरान बोर्ड को अपने जवाब के साथ उपस्थित होना होगा।

नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया में हाई कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग

याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट से यह मांग की है कि NEET PG 2023 के परिणाम को रद्द कर दिया जाए और एक नई पारदर्शी और निष्पक्ष प्रक्रिया के तहत परिणाम जारी किए जाएं। उन्होंने अदालत से मांग की है कि भविष्य में सामान्यीकरण प्रक्रिया के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश तैयार किए जाएं, जिससे ऐसी गड़बड़ियां दोहराई ना जाए। याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि परीक्षा में शामिल हर छात्र को उनकी वास्तविक मेहनत और योग्यता के आधार पर ही रिजल्ट भी मिलना चाहिए।

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रैंकिंग को लेकर हजारों छात्रों का भविष्य दांव पर

इस विवाद ने परीक्षा में शामिल हजारों छात्रों को गहरी चिंता में डाल दिया है। कई छात्रों का कहना है कि उन्होंने अपनी मेहनत और तैयारी के बल पर परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन सामान्यीकरण प्रक्रिया ने उनकी रैंकिंग को प्रभावित किया। इससे उनकी मेडिकल स्नातकोत्तर सीट पाने की संभावनाएं कम हो गईं। छात्रों ने आरोप लगाया कि सामान्यीकरण के नाम पर एक जटिल मैथमेटिकल मॉडल का उपयोग किया गया, जो उनकी मेहनत को सही तरीके से परखने में असफल रहा है और यह मामला उनके करियर पर भी बुरा असर डाल रहा है।

क्या है सामान्यीकरण या नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया?

सामान्यीकरण प्रक्रिया आम तौर पर उन परीक्षाओं में अपनाई जाती है, जो अलग-अलग शिफ्टों में आयोजित की जाती हैं। इसका उद्देश्य अलग-अलग शिफ्टों में प्रश्नों की कठिनाई के स्तर को बराबर करना है ताकि सभी परीक्षार्थियों को समान अवसर मिल सके। इस प्रक्रिया के तहत एक मॉडल का उपयोग किया जाता है, जो छात्रों के प्रदर्शन और परीक्षा के कठिनाई स्तर के आधार पर उनकी रैंकिंग तय करता है। हालांकि, जब इस प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता ना हो, तो यह छात्रों के असल प्रदर्शन को प्रभावित कर सकता है और उनकी रैंकिंग पर बड़ा असर डाल सकता है।

NEET PG परीक्षा में हर साल हजारों छात्र हिस्सा लेते हैं, जो स्नातकोत्तर मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश पाने की उम्मीद रखते हैं। सामान्यीकरण प्रक्रिया को लेकर विवाद का प्रभाव न केवल इन छात्रों बल्कि पूरे मेडिकल शिक्षा तंत्र पर पड़ सकता है। यदि कोर्ट सामान्यीकरण प्रक्रिया में खामी पाती है, तो इससे भविष्य की परीक्षाओं के रिजल्ट और मेरिट लिस्ट पर बड़ा असर हो सकता है।

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