मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ( Shivraj Singh Chauhan), भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह के खिलाफ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा द्वारा दाखिल मानहानि मामले की सुनवाई जबलपुर हाईकोर्ट में 21 सितंबर को हुई। इस सुनवाई में वरिष्ठ वकील और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने तन्खा का पक्ष रखा। जस्टिस संजय द्विवेदी की एकल पीठ ने इस महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई की, जिसमें तन्खा की प्रतिष्ठा और सार्वजनिक छवि को ठेस पहुंचाने के आरोप के साथ ही वकीलों की प्रतिष्ठा को बचाए रखने पर बहस हुई।
मानहानि मामले में 10 करोड़ का है दावा
इस मामले मे विवेक तन्खा का आरोप है कि शिवराज सिंह चौहान, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह ने सार्वजनिक रूप से विवेक तन्खा पर गंभीर आरोप लगाए थे। यह बयान तन्खा की छवि धूमिल करने के उद्देश्य से दिए गए थे । तन्खा ने इन बयानों को अपनी मानहानि बताते हुए 10 करोड़ रुपए का मानहानि दावा किया।
सिब्बल की दलीलें : प्रतिष्ठा और कानूनी करियर पर प्रभाव
कपिल सिब्बल ने कोर्ट के समक्ष दलील दी कि यह मामला सिर्फ एक राजनीतिक विवाद नहीं है, बल्कि तन्खा की पेशेवर और कानूनी प्रतिष्ठा से संबंधित है। तन्खा, जो सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले सीनियर वकील हैं और एडिशनल सॉलिसिटर जनरल रह चुके हैं, उनकी छवि को इन बयानों से सीधा नुकसान पहुंचा है। सिब्बल ने कहा कि इस तरह की झूठी बयानबाज़ी तन्खा की पेशेवर साख को प्रभावित कर सकती है। सब बोलने आगे बताया कि वकीलों का यह काम है कि वह अपने क्लाइंट के तथ्यों को कोर्ट में रखें पर उसे आधार पर इस तरह की झूठी बयानबाजी कतई मंजूर नहीं की जा सकती। यह मुद्दा व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण है।
आरोपियों को दिया था जवाब देने का पर्याप्त मौका
कपिल सिब्बल ने बताया कि इस मामले में 19 दिसंबर को नोटिस भेज कर इस बयान पर आपत्ति दर्ज कराई गई थी। उसके बाद विवेक तंखा की प्रेस कांफ्रेंस के बाद भी शिवराज सिंह चौहान या अन्य की ओर से कोई जवाब नहीं आया था। जब यह मामला कोर्ट में पहुंचा तब आरोपियों की ओर से यह पक्ष दिया गया कि अखबार में छपी खबर पूरी तरह से उनके बयान नहीं थे। सिब्बल ने तन्खा की प्रतिष्ठा को ध्यान में रखते हुए कोर्ट को बताया कि यह मानहानि सीधे उनके कानूनी करियर को प्रभावित करती है और इससे उनकी साख पर गंभीर असर पड़ा है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि तन्खा को एक सम्मानित वकील के रूप में उनकी पहचान की सुरक्षा और सम्मान मिलना चाहिए।
ओबीसी आरक्षण पर रोक के बाद शुरू हुआ था विवाद
राज्यसभा सदस्य और वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने मध्य प्रदेश में पंचायत और निकाय चुनाव मामले में परिसीमन और रोटेशन की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की थी। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी थी। विवेक तन्खा का आरोप है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भाजपा नेताओं ने इसे गलत ढंग से पेश किया और गलत बयानबाजी करते हुए ओबीसी आरक्षण पर रोक के लिए उन्हें जिम्मेदार बताया था। जिससे उनकी छवि खराब हुई और उन्होंने 10 करोड़ की मानहानि का केस दायर किया था।
एमपी एमएलए कोर्ट से जारी हुआ था गिरफ्तारी वारंट
विवेक तन्खा की ओर से लगाए गए मानहानि केस में एमपी-एमएलए कोर्ट पूर्व में शिवराज सिंह चौहान, वीडी शर्मा और भूपेन्द्र सिंह को जमानती वारंट जारी कर चुकी है। जिसे चुनौती देते हुए तीनों ने एमपी हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी और हाईकोर्ट ने उस वारंट पर अंतरिम रोक लगा दी थी। अब इस मामले में शनिवार को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस मामले में आदेश को सुनवाई के बाद सुरक्षित (heard and reserved) रखा है।
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