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मध्य प्रदेश में प्रमोशन में आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट में चल रहे मामले की सुनवाई एक बार फिर टल गई है। सरकार की ओर से कोर्ट में पेश किए गए कम्पेरेटिव चार्ट पर कोर्ट ने सवाल भी पूछे हैं लेकिन सरकार ने भी अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
सरकार ने आंकड़े तैयार करने के लिए कोर्ट में पेश किया चार्ट
सरकार की ओर से हाईकोर्ट में एक चार्ट पेश किया गया है जिसमें आरक्षित वर्ग के प्रतिनिधित्व के आंकड़े जुटाने की बात है। हाईकोर्ट ने इस पर शासकीय अधिवक्ता से सवाल किया कि आखिर आप यह सेंसेक्स किस तरह से बना रहे हैं?
कोर्ट ने पूछा कि आप प्रदेश में जनसंख्या को आधार रखकर यह आंकड़े बना रहे हैं या डिपार्टमेंट (नौकरी करने वाले) में आरक्षित वर्ग के प्रतिनिधित्व को लेकर? सरकार की ओर से पहले तो यह बताया गया कि वह डिपार्टमेंट में प्रतिनिधित्व को लेकर आंकड़े तैयार कर रहे हैं पर कोर्ट ने इस पर यह साफ कर दिया कि यह तो सुप्रीम कोर्ट के स्टे के दायरे में आता है।
इसके बाद शासन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता रूपराह ने कोर्ट को बताया कि इसके बारे में विस्तृत जानकारी सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सीजी बैजनाथन। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और मध्य प्रदेश शासन के महाधिवक्ता प्रशांत सिंह देंगे जो अगली सुनवाई में मौजूद रहेंगे।
हलफनामा देकर बताएं आंकड़े जुटाने की रूपरेखा - HC
इस मामले में स्पाक्स संगठन की याचिका के अलावा अन्य तीन याचिकाएं भी लग चुकी हैं। अब इस मामले में मंत्रालय सहित महिला बाल विकास और शिक्षक भी याचिकाकर्ता हैं, इन सभी की ओर से अधिवक्ता सुयश मोहन गुरु पैरवी कर रहे हैं। आज इस मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा ने कोर्ट में मौखिक टिप्पणी करते हुए शासकीय अधिवक्ता से यह कहा कि आप इस सेंसेक्स को तैयार करने के लिए यह बातें नोट कर लें कि यह जरूर ध्यान में रहे कि इस जनसंख्या के आधार पर बनाया जा रहा है या डिपार्टमेंट में प्रतिनिधित्व के आधार पर।
कोर्ट ने उदाहरण देते हुए कहा कि यदि डिपार्टमेंट में अनारक्षित वर्ग एक का रिप्रेजेंटेशन 20% है और उसे आरक्षण 15% मिला है तो क्या आप उसे आरक्षण को काम करेंगे? इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि जनसंख्या की गणना के आधार पर जनरल कैटिगरी 80% निकल जाती है तो क्या फिर उसे आधार पर रिजर्वेशन दिया जाएगा। इस पर सरकार की ओर से अभी कोई जवाब नहीं दिया गया है। कोर्ट ने यह आदेश दिया है कि सरकार अगली सुनवाई में एक हलफनामा भी पेश करेगी जिसमें इन आंकड़ों को जताने की रूपरेखा बताई जाएगी।
खबर यह भी...प्रमोशन में आरक्षण पर कानूनी लड़ाई लंबी खिंचने के आसार
9 सितंबर को होगी मामले की अगली सुनवाई
सरकार की ओर से कोर्ट में यह तर्क दिया गया कि वरिष्ठ अधिवक्ता सीजी बैजनाथन और अधिवक्ता तुषार मेहता इस मामले में पक्ष रखेंगे और वह खुद कोर्ट में मौजूद रहेंगे। इसी आधार पर इस मामले की सुनवाई 9 सितंबर तय करने का कोर्ट से निवेदन किया गया और कोर्ट ने इसे स्वीकार कर लिया है। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता सुयश मोहन गुरु ने कोर्ट से यह निवेदन किया कि प्रमोशन में आरक्षण मामले में जो स्टे मिला हुआ है उसे कंटीन्यू किया जाए। कोर्ट ने यह साफ कर दिया है कि यह स्टे कंटीन्यू रहेगा।
लंबा खिंच सकता है प्रमोशन में आरक्षण का मामला
सरकार के दिए गए चार्ट और आंकड़े इकट्ठे करने की कार्य योजना के आधार पर अगर जनसंख्या के आधार पर आंकड़े इकट्ठे होंगे तो यह मामला लंबा टल सकता है। क्योंकि जनगणना सेंसेक्स बनाने में अभी बहुत समय है और कोर्ट यह भी स्पष्ट कर चुका है कि जब तक इस मामले में स्पष्टता नहीं आती तब तक स्थगन आदेश वापस नहीं लिया जाएगा। इसके साथ यदि सरकार सिर्फ विभाग में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के आंकड़े एकत्र करती है तो यह आंकड़े भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर तथ्यात्मक नहीं माने जाने वाले। इससे यह साफ है कि अभी प्रमोशन में आरक्षण की डगर आसान नहीं है।
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