प्रमोशन में आरक्षण पर कानूनी लड़ाई लंबी खिंचने के आसार

मध्य प्रदेश में प्रमोशन में आरक्षण को लेकर कोर्ट में जारी कानूनी लड़ाई लंबी खिंचती नजर आ रही है। मध्य प्रदेश सरकार अब सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट को ला सकती है।

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Sanjay Sharma
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BHOPAL. प्रमोशन में आरक्षण को लेकर कोर्ट में जारी कानूनी लड़ाई लंबी खिंचती नजर आ रही है। मध्य प्रदेश सरकार अब सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट को ला सकती है। पहले से सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन प्रकरण में स्टेट्स-को आदेश के चलते पक्ष कमजोर रहने पर सरकार नई रणनीति बना रही है।

विधि विशेषज्ञों से महीने भर से जारी मंत्रणा के बाद सरकार 12 अगस्त को जबलपुर हाईकोर्ट में दिल्ली से बुलाए वकील के जरिए अपना पक्ष रख सकती है। वहीं आरक्षण के आधार पर पदोन्नति के विरोध में हाईकोर्ट की शरण लेने वाले कर्मचारी भी सरकार के रुख के आधार पर अपनी रणनीति में बदलाव करने की तैयारी कर चुके हैं। यानी रक्षाबंधन के बाद भी दोनों पक्षों के बीच कानूनी लड़ाई थमती नजर नहीं आ रही है। 10 साल से रुकी पदोन्नति के लिए कर्मचारियों को लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। 

खटाई में पड़ी नई प्लानिंग 

मध्यप्रदेश में बीते 10 साल से पदोन्नतियां रुकी हुई हैं। सरकारी विभागों में नियुक्ति के बाद लाखों कर्मचारी इस अवधि में बिना पदोन्नति के ही सेवानिवृत्त हो चुके हैं। प्रदेश में पदोन्नति नहीं होने से विभागों में कर्मचारियों के पद खाली नहीं हो पा रहे हैं और सेवानिृवत्त के कारण शीर्ष पद रिक्त पड़े हैं।

इसका असर विभाग के कामकाज पर भी पड़ रहा है। इस स्थिति को देखते हुए सीएम डॉ.मोहन यादव ने प्रदेश में पदोन्नति का रास्ता खोला है। सरकार ने पदोन्नति में आरक्षण पर पहले से चल रहे विवाद को टालने के लिए नई नीति भी बनाई है, लेकिन अब यह भी खटाई में पड़ गई है। 

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सरकार के जवाब पर टिका मामला

पदोन्नति का रास्ता खोलने मध्यप्रदेश सरकार ने जो नीति बनाई है सामान्य, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग के कर्मचारी संगठन उसके विरोध में हाईकोर्ट पहुंच चुके हैं। उनकी याचिका पर जबलपुर हाईकोर्ट ने पदोन्नति पर सुनवाई पूरी होने तक रोक लगाई है।

इस मामले में हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया था जिसे सरकार की ओर से लिखित में पेश किया जा चुका है। अब इस मामले में 12 अगस्त को सुनवाई संभावित है। पिछली सुनवाई के दौरान सरकार का पक्ष कमजोर रहा था।

सरकार के वकील भी हाईकोर्ट के सामने पदोन्नति के नए और पुराने नियमों में अंतर स्पष्ट नहीं कर पाए थे। इस वजह से हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई से पहले पदोन्नति की प्रक्रिया को रोकने का आदेश दिया था। 

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सुप्रीम कोर्ट से वकील बुलाने की तैयारी

सरकार अब इस मामले में कानून के जानकारों से मंत्रणा कर रही है। हाईकोर्ट में पेश करने के लिए विधि विशेषज्ञों की राय लेकर जवाब तैयार कराया गया है। यह जवाब हाईकोर्ट में पेश किया जा चुका है। वहीं 12 अगस्त को संभावित सुनवाई में सरकार पदोन्नति के नए नियमों पर अपने पक्ष को मजबूती से रखने के लिए दिल्ली से सीनियर एडवोकेट को बुलाने पर मंथन कर रही है।

जानकारी है कि सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल सीएस वैद्यनाथम सरकार की पैरवी करने अगली सुनवाई पर जबलपुर पहुंच सकते हैं। वहीं सरकार की इन तैयारियों को देखते हुए अनारक्षित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग के कर्मचारियों का संगठन सपाक्स भी सुप्रीम कोर्ट से वरिष्ठ अधिवक्ता को सुनवाई पर अपने पक्ष को पेश करने के लिए ला सकता है।

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