BHOPAL. कर्मचारियों को नियुक्ति के बाद तीन साल तक पूरा वेतन न देने के मामले में हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया है। 13 कर्मचारियों की याचिका पर मुख्य सचिव, विभिन्न विभागों के प्रमुख सचिव और प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश मैहर को नोटिस जारी किए गए हैं।
कर्मचारी लंबे समय से सरकार से दूसरे राज्यों की तरह नियुक्ति के बाद पूरा वेतन देने की मांग कर रहे हैं। सरकार की बेरुखी के बाद अब उन्होंने कोर्ट की शरण ली है। अगली सुनवाई 11 अगस्त से शुरू हो रहे सप्ताह में नियत की गई है।
मांग के बाद अब कोर्ट की लड़ाई
सरकारी कर्मचारियों को नियुक्ति के बाद तीन साल की परिवीक्षा अवधि में पूरा वेतन नहीं मिल रहा। कर्मचारियों को इस दौरान पहले साल 70, दूसरे साल 80 और तीसरे साल 90 फीसदी वेतन ही मिलता है। परिवीक्षा पूरी करने के बाद चौथे साल में वे फुल वेतन पाने के अधिकारी बनते हैं।
यह नियम साल 2019 में तत्कालीन कमलनाथ सरकार लाई थी। इस नियम का तब से लगातार विरोध हो रहा है। सरकार गिरने के बाद शिवराज सिंह चौहान भी कर्मचारियों को आश्वासन देते रहे और अब डॉ.मोहन यादव की सरकार भी कर्मचारियों को पूरा वेतन नहीं दे रही।
अपनी मांग को लेकर कर्मचारी आंदोलन भी कर चुके हैं लेकिन सुनवाई नहीं हुई। सरकार की बेरुखी के बाद अब कर्मचारियों ने हाईकोर्ट की शरण ली है।
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परिवीक्षा की विसंगति पर सवाल
विभागों में नियुक्ति के बाद कर्मचारियों की परिवीक्षा अवधि में भी वृद्धि की गई है। 2019 से पहले सरकारी कर्मचारियों को दो साल की परिवीक्षा अवधि तय थी जिस बढ़ाकर तीन साल कर दिया गया है। वहीं अब परीवीक्षा अवधि को उनकी सेवा पुस्तिका में भी नहीं जोड़ा जाता।
वेतन से लेकर सेवाकाल में तीन साल की कटौती को लेकर प्रदेश के 13 कर्मचारियों ने जबलपुर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। ये कर्मचारी कृषि, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, विधि, नगरीय प्रशासन, राजस्व, जल संसाधन, जनजातीय कार्य और कौशल विकास एवं प्रशिक्षण विभाग के कर्मचारी हैं।
उनकी याचिका पर हाईकोर्ट में एक दिन पहले ही सुनवाई हुई है। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता वारिजा घिल्डियाल, मनोज कुमार रजक, प्रदीप कुमार द्विवेदी, हरीशचंद सिंह, आदित्य ठाकुर, कार्णिक सिंह, कपिल शर्मा, अवधेश कुमार अहिरवार ने पक्ष रखा। वहीं प्रतिपक्ष से एडवोकेट जनरल मौजूद रहे।
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सीएस सहित 9 पीएस हैं प्रतिवादी
पूरे वेतन के लिए हाईकोर्ट पहुंची याचिका को स्वीकार कर एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और न्यायाधीश विनय सराफ की पीठ ने मध्यप्रदेश सरकार के 10 अधिकारी और मैहर जिला एवं सत्र न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश को नोटिस जारी कर दिए हैं।
मुख्य सचिव और अन्य अधिकारियों के नोटिस सुनवाई के दौरान पहुंचे उनके अधिवक्ताओं ने स्वीकार किए हैं जबकि प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश को रजिस्ट्रार के माध्यम से नोटिस भेजा गया है।
वेतन में कटौती के मामले में सरकार के प्रमुख सचिव और मुख्य सचिव के साथ ही कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, वित्त विभाग, जलसंसाधन विभाग, जनजातीय कार्य विभाग, आवास एवं पर्यावरण, परिवहन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, कौशल विकास संचालनालय के प्रमुख सचिव के अलावा मैहर के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रतिवादी बनाए गए हैं।
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