मध्य प्रदेश में कानफोड़ू डीजे साउंड सिस्टम को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है। हाईकोर्ट एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पूछा है कि सरकार तेज आवाज वाले डीजे पर प्रतिबंध लगाने के लिए क्या कदम उठा रही है। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि इस बढ़ते ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) को रोकने के लिए क्या कार्रवाई की गई। साथ ही डीजे की कितनी आवाज होना चाहिए। इस दौरान अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता ने कोर्ट में मोबाइल से डेमो भी दिया। कोर्ट ने राज्य सरकार को दो हफ्ते के भीतर इस मामले में जवाब देने का आदेश दिया है और अगली सुनवाई 21 मार्च को तय की है।
कानफोड़ू साउंड सिस्टम पर HC सख्त
दरअसल, अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता ने इस मामले में एक याचिका दायर की थी, जिसमें डीजे साउंड को पर्यावरण और सामाजिक समरसता के लिए हानिकारक बताया गया था। याचिकाकर्ता ने कोर्ट के सामने प्रैक्टिकल कर ध्वनि प्रदूषण का असर भी दिखाया। उन्होंने बताया कि तेज आवाज में बजने वाले डीजे पर प्रतिबंध लगाने के लिए मौजूदा कानून असक्षम हैं। इसके कारण न केवल स्वास्थ्य को नुकसान हो रहा है बल्कि समाज में तनाव और दंगे भी बढ़ रहे हैं। न्यायालय ने इस मामले में गंभीरता दिखाई है।
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100 डेसिबल तक बजाए जा रहे डीजे
इस याचिका में दावा किया गया कि मध्य प्रदेश में 100 डेसिबल तक डीजे बजाए जा रहे हैं। अमिताभ गुप्ता ने यह भी कहा कि धार्मिक कार्यक्रमों में तेज आवाज वाले डीजे बजाने से सांप्रदायिक तनाव पैदा हो रहे हैं। याचिका में दावा किया गया कि मध्य प्रदेश में 100 डेसिबल तक डीजे बजाए जा रहे हैं, जबकि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत रहवासी क्षेत्रों में साउंड सिस्टम की अधिकतम सीमा दिन में 55 डेसिबल और रात में 45 डेसिबल होनी चाहिए।
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हाईकोर्ट ने दिया आदेश
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि सरकार इस साउंड पॉल्यूशन को रोकने के लिए क्या कार्रवाई कर रही है और तेज आवाज वाले डीजे पर प्रतिबंध लगाने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं। कोर्ट ने सरकार को दो हफ्ते के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया है और मामले की अगली सुनवाई 21 मार्च को तय की है।
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