बिना मान्यता के चल रहे लॉ कॉलेज पर हाईकोर्ट सख्त, सुनवाई टालने पर सरकार को फटकार

जबलपुर में चल रहे सेंट्रल इंडिया लॉ कॉलेज से पढ़ाई पूरी करने वाले कानून के छात्रों को बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन ना दिए जाने के बाद यह मामला हाईकोर्ट पहुंचा था।

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Neel Tiwari
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बिना मान्यता के चल रहे लॉ कॉलेज के मामले में हाईकोर्ट ने सख्त रवैया अपनाते हुए राज्य सरकार को फटकार लगाई है। अब इस मामले में जवाब देने के लिए हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल सेक्रेटरी को अगली सुनवाई में खुद कोर्ट में मौजूद रहना पड़ेगा।

जबलपुर में चल रहे सेंट्रल इंडिया लॉ कॉलेज से पढ़ाई पूरी करने वाले कानून के छात्रों को बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन ना दिए जाने के बाद यह मामला हाईकोर्ट पहुंचा था। व्योम गर्ग, रागिनी गर्ग और शिखा पटेल ने इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए न्याय की गुहार लगाई थी। जिसके बाद यह सामने आया था कि यह इंस्टीट्यूट मध्य प्रदेश स्टेट बार काउंसिल से मान्यता प्राप्त नहीं है। उसके बाद भी लगातार छात्र-छात्राओं को एडमिशन देकर उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है। इसके साथ ही इस इंस्टीट्यूट के छात्र-छात्राओं को रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय से डिग्री भी जारी की जा रही है। जो पढ़ाई पूरी करने के बाद भी उनके किसी काम नहीं आ रही।

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पिछली सुनवाई में दिया गया था कार्रवाई का आदेश

इस मामले में हुई पिछली सुनवाई के दौरान स्टेट बार काउंसिल की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि यह कॉलेज बार काउंसिल से मान्यता प्राप्त ही नहीं है। इसके बाद कोर्ट ने यह आदेश दिया था यदि प्रतिवादी सेंट्रल इंडिया लॉ इंस्टीट्यूट को मान्यता प्रदान नहीं की गई है, तो राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग को इस कॉलेज सहित उन अन्य सभी कॉलेजों के विरुद्ध कार्रवाई करने का निर्देश दिया जाता है। वहीं जिनके पास मध्य प्रदेश राज्य बार काउंसिल से मान्यता नहीं है और जो छात्रों को प्रवेश दे रहे थे और विश्वविद्यालय जो ऐसे कॉलेजों के छात्रों को विधि की डिग्री प्रदान कर रहे थे। इस कार्रवाई की रिपोर्ट अगली सुनवाई की तारीख तक दाखिल करने का भी आदेश कोर्ट ने दिया था।

सुनवाई टालने की कोशिश पर हाईकोर्ट हुआ सख्त

इस मामले में उच्च शिक्षा विभाग को लगभग एक माह का समय कार्रवाई कर रिपोर्ट सौंपने के लिए मिला था। उसके बाद भी आज जब शासकीय पक्ष की ओर से अधिवक्ता कोर्ट के समक्ष पेश हुए तो उन्होंने एक हफ्ते का और समय मांगा। इस पर कोर्ट ने सख्त लहजे पर फटकार लगाते हुए यह कहा कि उन्हें हाईकोर्ट के आदेश की बिल्कुल भी परवाह नहीं है और इस तरह का लापरवाह रवैया बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह छात्रों के भविष्य से जुड़ा हुआ मुद्दा है और इस तरह तारीख पर तारीख नहीं दी जाएगी।

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प्रिंसिपल सेक्रेटरी हाजिर होकर बताएं...

इस मामले में याचिकाकर्ता ने अपना पक्ष कोर्ट के सामने खुद रखा। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की डिविजनल बेंच ने अपने आदेश में यह लिखा कि 23 जनवरी 2025 को कोर्ट के आदेश के अनुसार सरकार की ओर से उच्च शिक्षा विभाग को कार्रवाई की रिपोर्ट कोर्ट में पेश करनी थी। लेकिन ऐसा ना करना यह दर्शा रहा है कि प्रतिवादी को कोर्ट के आदेश का कोई सम्मान नहीं है। यह उनकी ओर से लापरवाहीपूर्ण रवैया है। इसलिए कोर्ट स्वतः संज्ञान लेते हुए कोर्ट की अवमानना का नोटिस जारी करता है। इस मामले की अगली सुनवाई में प्रिंसिपल सेक्रेटरी उच्च शिक्षा विभाग खुद कोर्ट के सामने हाजिर होकर यह बताएंगे कि उन पर अब मान्यता की कार्यवाही क्यों ना की जाए। अब इस मामले की सुनवाई 5 मार्च को तय की गई है।

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