नील तिवारी, JABALPUR.
शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले ।
वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा।
जगदंबा प्रसाद मिश्र 'हितैषी' की यह कविता मध्यप्रदेश के जबलपुर में झूठी साबित हो ही रही थी कि हाइकोर्ट ने इस मामले में संज्ञान ले लिया है। पुलवामा हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ जवान अश्विनी काछी के परिवार से किया वादा सरकार ने पांच साल बाद भी पूरा नहीं किया था। हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई जनहित के रूप में करने के निर्देश दिए थे। हाईकोर्ट ने इसके पहले भी शहीद के पिता को अनावेदक बनाने के निर्देश जारी किए थे। मामले में आगे सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमथ और जस्टिस जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने शहीद के पिता सुकरू काछी को फ्रेश नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं।
जवान की शहादत को शासन-प्रशासन ने भुलाया
2019 में हुए पुलवामा हमले में सीआरपीएफ जवान अश्विनी काछी को शहादत मिली थी, जिसके बाद शहीद के परिवार ने अपने खर्च से शहीद अश्वनी की मूर्ति स्थापित की थी। मूर्ति के अनावरण कर मौके पर परिवार से शहीद के नाम पर स्कूल और मूर्ति स्थल पर पार्क बनाने का वादा किया था, लेकिन वादा पूरा करना तो दूर, शहीद की पांचवीं बरसी पर सरकार को कोई नुमानिन्दा या किसी जनप्रतिनिधी ने इसकी सुध तक नहीं ली। इसके बाद यह मामला खबरों में आया कि पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए जवान अश्विनी काछी को शासन व प्रशासन ने भुला दिया। पुलवामा हमले की पांचवीं बरसी पर शहीद की प्रतिमा में माल्यार्पण करने परिजनों के साथ सेना के अधिकारी तथा गांव के लोग ही पहुंचे। परिजनों ने शहीदों की याद में कन्याभोज का आयोजन में भी जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों में से कोई नहीं पहुंचा था।
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शहीद के नाम की गई घोषणाएं अब तक पूरी नहीं की
शहीद के भाई सुमंत काछी तथा भतीजी प्रियंका काछी ने बताया कि अश्विन की प्रतिमा की स्थापना उनके परिवार ने अपने व्यय से करवाई थी। प्रतिमा निर्माण में साढ़े 6 लाख रुपये व्यय हुए थे। अंतिम संस्कार और प्रतिमा अनावरण के समय प्रशासनिक अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों ने शहीद के नाम पर स्कूल तथा प्रतिमा स्थल में पार्क बनाने की घोषणा की थी, जो अभी तक पूरी नहीं हुई। शहादत दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कोई प्रशासनिक अधिकारी और जनप्रतिनिधि नहीं आए। सेना के अधिकारी, सेवानिवृत्त सैनिक और ग्रामीणों ने कार्यक्रम में सम्मिलित होकर शहीद की प्रतिमा में श्रद्धा सुमन अर्पित किए। शहीद के परिजनों का आरोप था कि जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक अधिकारियों से जब पार्क निर्माण और स्कूल के नामकरण की बात करते हैं तो वह कहते है एक करोड़ रुपये मिल तो गए। क्या किसी जवान की शहादत का मूल्यांकन रुपयों से किया जाना चाहिए।
शहीद के पिता को अनावेदक बनाने नए नोटिस जारी
मामले की पिछली सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से विभिन्न दस्तावेज के साथ जवाब पेश किया गया था। युगलपीठ ने शहीद के पिता को अनावेदक बनाने के निर्देश जारी किए थे। मामले में आगे सुनवाई करते हुए न्यायालय ने अनावेदक बनाए गए शहीद के पिता को पुन: नोटिस जारी करने के आदेश जारी किए हैं।