आरोपी मंत्री विजय शाह के नाम के आगे FIR से अब नहीं हटेगा श्री, टाइमिंग में भी हुआ खेल

मंत्री विजय शाह के खिलाफ पुलिस ने हाईकोर्ट जबलपुर के आदेश के बाद 14 मई की रात 11:27 बजे मानपुर थाने में एफआईआर दर्ज कर ली थी। हालांकि इस एफआईआर में कई अनियमितताएं और खेल देखने को मिले, जिनपर हाईकोर्ट ने 15 मई को सुनवाई के दौरान कड़ी निंदा की।

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Sanjay Gupta
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MP Nwes : हाईकोर्ट जबलपुर के आदेश से मंत्री विजय शाह के खिलाफ पुलिस ने 14 मई की रात 11 बजकर 27 मिनट पर मानपुर थाने में एफआईआर तो कर ली लेकिन इसमें जमकर खेल किया गया है। इस पर हाईकोर्ट ने अगले ही दिन 15 मई की सुनवाई में जमकर फटकार लगाई। लेकिन अब इस एफआईआर का कुछ नहीं किया जा सकता है। जो भी हिस्सा जुड़ेगा वह केस डायरी में ही आएगा और इसे एफआईआर से संलग्न माना जाएगा लेकिन मूल एफआईआर अब फ्रिज हो चुकी है। इसमें कई तथ्यों पर तो हाईकोर्ट ने आपत्ति ली है और लेकिन कई और खेल इसमें किए गए हैं। यानी एफआईआर में विजय शाह के आगे लिखा श्री, अब नहीं हटेगा, यह हमेशा के लिए रिकार्ड में रहेगा।

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आओ समझें FIR में पुलिस ने क्या-क्या गुल खिलाए

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 1- पुलिस ने आरोपी के नाम के आगे श्री लिखा। इसमें लिखा है कि – उक्त कार्यक्रम में श्री विजय शाह द्वारा आमसभा को संबोधित किया गया।

2- आरोपी विजय शाह का पता ही नहीं लिखा है, जबकि इंदौर जिले में ही उनका आवास मौजूद है, वहीं भोपाल में सरकारी आवास है। लेकिन आवास के नाम पर भोपाल, शहरी मप्र भारत लिखा है। फिर पुलिस को जरूरत हुई तो आरोपी को कहां से पकड़ेगी

3- आरोपी के पिता का नाम भी नहीं लिखा है, जो हर जगह रिकार्ड में मौजूद है

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 4- सबसे बड़ा खेल टाइमिंग में किया है। हाईकोर्ट ने डीजीपी को शाम को एफआईआर के आदेश दिए थे। लेकिन एफआईआर हुई रात 11.27 बजे। लेकिन हाईकोर्ट के आदेश का पालन हुआ यह दिखाने के लिए एफआईआर में घटना की सूचना थाने में मिलने का समय रात 7 बजकर 55 मिनट दिखाया है। जबकि सूचना मिलने के आधे घंटे के भीतर यह केस दर्ज हो जाता है। द सूत्र के पास ऐसी कई एफआईआर मौजूद है जिसमें सूचना मिलने के आधे घंटे के भीतर ताने में एफआईआर दर्ज हो गई। यही बात एजी प्रशांत सिंह ने सरकार के बचाव में हाईकोर्ट की सुनवाई के दौरान भी कही कि एफआईआर रात 7.55 पर हो गई, जबकि वह सूचना मिलने का समय है, एफआईआर तो रात 11.27 पर हुई है। 

5- जिस बात पर सबसे ज्यादा हाईकोर्ट नाराज हुआ, एफआईआर में आरोपी ने क्या कांड किया है वह फैक्ट डाले ही नहीं, केवल हाईकोर्ट के 14 मई के आदेश का अंतिमा पैरा ले लिया और उसे वैसे का वैसा लिख दिया। हाईकोर्ट ने इसी पर आपत्ति ली कि इसमें जब आरोपी ने क्या किया और क्यों इन धाराओं में केस हो रहा है यह फैक्ट ही पूरे नहीं डाले तो ऐसे में आरोपी को 482 के तहत एफआईआर क्वैश कराने की छूट दी जा रही है। 

6- जबकि हाईकोर्ट ने अपने लंबे आदेश में एक-एक कृत्य आरोपी शाह के लिखे थे कि उनकी स्पीच से किन-किन धाराओं का उल्लंघन हुआ है और केस दर्ज होना चाहिए। इसमें गंभीर धाराएं बीएनएस 152, 196(1)(बी) और 197(1)(सी) लगी है। लेकिन एफआईआर में इन धाराओं के तहत किए गए मंत्री के कृत्य नहीं लिखे गए हैं। 

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हाईकोर्ट ने यह भी सख्त रुख अपनाया है

हाईकोर्ट ने सख्ती से कहा – “अगर सिर्फ आदेश ही लिखना था, तो पूरी FIR में ऊपर कुछ और लिखने की जरूरत ही क्या थी? पूरी FIR सिर्फ आदेश की फोटोकॉपी बना दी जाती।”अदालत ने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि FIR इस तरह से तैयार की गई है मानो आरोपी को कानूनी राहत दिलाने के लिए ही ऐसा किया गया हो। कोर्ट का कहना था कि यदि इस FIR को सीआरपीसी की धारा 482 के अंतर्गत चुनौती दी जाती है, तो इसमें अपराध के तत्वों का अभाव होने के कारण इसे रद्द करना बहुत आसान होगा। कोर्ट ने यह भी संकेत दिए कि जानबूझकर अपराध के विवरण को नजरअंदाज किया गया, ताकि आरोपी को बाद में कानूनी छूट मिल सके। यह एक गंभीर आरोप है जो सरकार की निष्पक्षता और जांच की नियत पर प्रश्नचिह्न लगाता है।

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हाईकोर्ट ने यह भी कहा - ये हत्या नहीं, वीडियो सबूत उपलब्ध

जस्टिस श्रीधरन ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह कोई हत्या का जटिल मामला नहीं है, जिसमें गवाहों की तलाश करनी पड़े या परिस्थितिजन्य साक्ष्यों की पड़ताल करनी हो। मंत्री का बयान एक वीडियो के रूप में सार्वजनिक है और उसमें उन्होंने क्या कहा, वह भी स्पष्ट है। ऐसे में FIR में उस वीडियो की सामग्री, वक्तव्य और आपत्तिजनक हिस्सों को क्यों नहीं जोड़ा गया? कोर्ट ने कहा कि जब FIR की बुनियाद ही कमजोर रखी जाएगी, तो भविष्य में यह पूरा मामला आरोपी के पक्ष में झुक जाएगा और न्याय की प्रक्रिया कमजोर हो जाएगी। मामले की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट ने यह निर्देश दिया है कि इस पूरे प्रकरण की जांच अब न्यायालय की निगरानी में होगी। यद्यपि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि वह जांच में प्रत्यक्ष हस्तक्षेप नहीं करेगा, लेकिन प्रत्येक चरण की निगरानी की जाएगी, ताकि निष्पक्ष और तथ्यपरक जांच सुनिश्चित हो सके।

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विजय शाह पहुंचे हैं सुप्रीम कोर्ट

इस मामले में मंत्री विजय शाह सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुके हैं, लेकिन अब इसमें 19 मई को सुनवाई होगी। उधर हाईकोर्ट में 16 मई को होने वाली सुनवाई भी टल गई थी। माना जा रहा है कि अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही शाह का भाग्य तय होगा। शाह ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट का आदेश और एफआईआर क्वैश करने की याचिका लगाई है और इसमें तर्क है कि बिना उनका पक्ष सुने यह आदेश हुए हैं और इसमें प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ है और इससे मेरी प्रतिष्ठा धूमिल हुई है। 

FIR वाले दिन शाम 6 से रात 12 बजे तक थाने में यह सब हुआ

हाईकोर्ट के आदेश के बाद 14 मई को पुलिस मुख्यालय से इंदौर पुलिस अधिकारियों को फोन चला गया कि एफआईआऱ मानपुर थाने में होगी क्योंकि घटना का स्थल मानपुर थाना एरिया है। इसके बाद सभी अधिकारी एसपी हितिका वासल, एडिशनल एसपी रूपेश दिवेदी, एसडीओ पी दिलीप चौधरी और टीआई मानपुर सभी थाने पर पहुंच गए। लेकिन इसके बाद आदेश आए कि इस मामले में एफआईआर की ड्राफ्टिंग भोपाल से भेजी जाएगी, इसमें एक भी शब्द गलत नहीं हो, वही का वही पूरा लिखना है। तैयारी रखिएगा। इसके बाद भोपाल में डीपीओ, एडपीओ व अन्य विधि जानकारों की पूरी टीम बैठी, उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश को लेकऱ एफआईआर की ड्राफ्टिंग बताई। इसमें दो मुख्य मुद्दे थे

- पहली बात थी ड्राफ्टिंग ऐसी हो कि हाईकोर्ट का आदेश पूरा हो जाए और डीजीपी पर भी कुछ नहीं आ जाए।
- दूसरा एफआईआर में ऐसा कुछ नहीं आए जिससे बीजेपी को डैमेज हो। 

इसलिए ड्राफ्टिंग में बीजेपी के मंत्री विजय शाह के बयान को लिखा ही नहीं गया और ना ही धाराओं को लेकर लिखा कि मंत्री के बोलने से देश की एकता, अखंडता पर खतरा आए और इन धाराओं का उल्लंघन किया। केवल पूरा का पूरा हाईकोर्ट के आदेश का बॉक्स एफआईआर में लिख दिया गया और साथ में दो लाइन जोड़ दी गई कि हाईकोर्ट के आदेश से इन धाराओं में केस दर्ज किया जाता है। 

थाने को यहां तक निर्देश थे 12 बजे से पहले निकालना

पुलिस अधिकारियों को भोपाल से यहां तक आदेश आ गए थे कि रात 12 बजे से पहले केस होना है. इसके लिए तैयारी रखिएगा जैसे ही ड्राफ्ट आए तत्काल एफआईआर दर्ज कर निकाल ली जाए। बिजली की व्यवस्था रखिएगा बाद में यह मत कहना लाइट चली गई। इसके चलते थाने में अतिरिक्त जनरेटर बुलाकर भी रखा गया, ताकि पॉवर बैकअप रखा जा सके।

रात 11.27 पर हुई एफआईआर

हाईकोर्ट ने शाम को इसमें एफआईआर के आदेश दिए थे लेकिन इसी ड्राफ्टिंग के चलते इसमें देरी हुई। रात करीब 11 बजे यह ड्राफ्टिंग पुलिस अधिकारियों को मिली, जिसे टाइप कर रात 11.27 बजे एफआईआर दर्ज कर दी गई। इसी दौरान रात 11.36 बजे सीएम डॉ. मोहन यादव के आफिस से  टिव्ट हुआ कि माननीय मप्र हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए माननीय मुख्यमंत्रीजी ने कैबिनेट मंत्री विजय शाह के बयान के संदर्भ में कार्ऱवाई के निर्देश दिए हैं।

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