उच्च माध्यमिक शिक्षक की भर्ती का मामला अब एक सप्ताह में सुलझने की ओर है। ईडब्ल्यूएस के 848 पदों की भर्ती विवाद के कारण यह 2023 की भर्ती भी ऐनवक्त पर रुक गई है। इसके चलते स्कूल शिक्षक विहीन है और शैक्षणिक सत्र के तीन माह गुजर चुके हैं। इस मामले में जबलपुर हाईकोर्ट डबल बैंच में गुरुवार को सुनवाई हुई।
सुनवाई में यह हुआ
सुनवाई में कुल चार याचिकाएं लगी हुई थी। इसमें एक्टिंग चीफ जस्टिस की डबल बैंच ने सुनवाई की और इसे अंतिम बहस के लिए 19 सितंबर को रखने का आदेश दिया। हालांकि, याचिकाकर्ताओं की ओर से यह कहा गया कि स्कूलों में इसके चलते भर्ती रुकी हुई है और शिक्षक और बच्चों दोनों के भविष्य पर संकट आ गया है। इस पर बैंच ने कहा कि जल्द इसे 19 सितंबर को फाइनल हियरिंग करेंगे।
क्या है यह केस
दरअसल यह केस 848 ईडब्ल्यूएस के पदों को लेकर साल 2018 की भर्ती परीक्षा का है। जब परीक्षा नोटिफिकेशन आया तब यह ईडब्ल्यूएस पद नहीं थे, लेकिन बाद में इसका नोटिफिकेशन हुआ। इसमें पहली काउंसलिंग में तो इन पदों पर भर्ती हो गई, लेकिन बाद में दूसरी काउंसलिंग में विवाद हुआ और कुछ लोगों ने यह विरोध किया कि जब नोटिफिकेशन के समय यह पद नहीं थे तो भर्ती नहीं होना चाहिए। विवाद कोर्ट में गया जिसमें 23 फरवरी 2024 को जस्टिस ने आदेश दिए कि इसमें पात्रता परीक्षा में 75 अंक लाने वालों की मेरिट बनाने की प्रक्रिया करने और तब तक भर्ती पर रोक के लिए कहा।
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डीपीआई चला गया अपील में
इस आदेश के खिलाफ डीपीआई अपील में चला गया। उधर कुछ अन्य याचिकाकर्ता भी चले गए। इस तरह चार याचिकाएं इस केस को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट में चल रही है। इसमें सुनवाई के दौरान लिखित में तो नहीं, लेकिन मौखिक तौर पर निर्देश दिए गए कि सिंगल बैंच के आर्डर पर यथास्थिति बनाए रखिएगा। इसके बाद शासन ने भर्ती परीक्षा 2023 में पास हुए उम्मीदवारों के दस्तावेज सत्यापन के काम तो करा लिए, लेकिन जॉइनिंग लैटर देना रोक लिया। तभी से यह जॉइनिंग रुकी हुई है।
डीपीआई कोर्ट में दे चुका अब 2018 की कोई भर्ती नहीं बची
उधर डीपीआई आयुक्त शिल्पा गुप्ता तो कोर्ट में जुलाई 2024 की सुनवाई के दौरान लिखित में दे चुकी है कि वर्तमान में 2018 की भर्ती परीक्षा को लेकर किसी तरह की भर्ती नहीं बची है। ऐसे में अब कोर्ट को तय करना है कि 848 ईडब्ल्यूएस भर्ती का क्या किया जाना है और जो 2023 की भर्ती रुकी पड़ी है इसमें आगे क्या किया जाना है। इस संबंध में याचिकाकर्ताओं ने गुरुवार की सुनवाई में यह दलील भी दी कि शैक्षणिक सत्र के तीन माह बीत चुके हैं, स्कूल और बच्चे दोनों अंधेरे में है। इस पर 19 सितंबर को फाइनल सुनवाई की बात कही गई।
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