Christian society के कार्यक्रम पर हिंदू संगठनों ने धर्मांतरण की जताई आशंका, कार्यक्रम की मंजूरी निरस्त, हाईकोर्ट से भी याचिका खारिज

मध्यप्रदेश के इंदौर में होने वाले ईसाई समाज के आयोजन की मंजूरी को लेकर दायर याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। इस पर हिंदू संगठनों ने आपत्ति लेते हुए कहा था कि यह आयोजन प्रार्थना सभा के लिए नहीं धर्मांतरण के लिए किया जा रहा है... 

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Jitendra Shrivastava
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संजय गुप्ता, INDORE. ईसाई समाज ( Christian society ) की 10 अप्रैल को होने वाली वृहद प्रार्थना सभा की मंजूरी निरस्त करने के जिला प्रशासन के आदेश पर हाईकोर्ट इंदौर की भी मुहर लग गई है। हाईकोर्ट ने इस मामले में आयोजक सुरेश कार्लटन की लगी याचिका पर सुनवाई कर सोमवार को इसे खारिज कर दिया। 

यह होना था कार्यक्रम

दस अप्रैल को अभय प्रशाल में शाम साढे पांच से रात साढ़े नौ बजे तक यह आयोजन होना था। जिसके लिए प्रशासन की ओर से पहले 22 मार्च को फिर संशोधित कर 5 अप्रैल को मंजूरी जारी की गई। लेकिन इसमें हिंदू संगठनों की ओर से गृह विभाग मप्र शासन के साथ ही जिला प्रशासन पर लंबा-चौड़ा 83 पन्नों का शिकायत का पुलिंदा भेजा गया। इसमें आयोजकों से लेकर इसमें आने वाले लोगों के अपराध व अन्य कामों का जिक्र था। इसके बाद असिस्टेंट रिटर्निंग ऑफीसर ने 7 अप्रैल को यह मंजूरी निरस्त कर दी। इस पर कार्लटन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की जिस पर 8 अप्रैल को हाईकोर्ट ने भी आवेदन को खारिज कर दिया गया। 

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हिंदू संगठनों ने यह लगाए गंभीर आरोप

इस आयोजन में मुख्य रूप से पाल दिनकरन आ रहे थे। हिंदू संगठनों ने शिकायत में बताया कि यह वही है जिन पर अरूणाचल प्रदेश में केस दर्ज है। वहीं कोएंबटूर में इनकी संस्था जिजस कॉल पर 118 करोड़ की फंडिंग को लेकर ईडी, आईटी की जांच चल रही है। श्रीलंका ने भी इन्हें प्रवेश देने से रोक लगा दी थी। कालर्टन पर साल 2000 में संयोगितागंज थाने में केस है। वहीं इनके साथी यशवंत नेतराम पर कुक्षी में धर्मांतरण संबंधी केस है। इसी तरह इस कार्यक्रम आने वाले अन्य कई पर धर्मांतरण सहित अन्य केस है। ऐसे में यह प्रार्थना सभा नहीं होकर धर्मांतरण के लिए हो रहा आयोजन है, जिसे रोका जाए। 

हाईकोर्ट ने कहा आचार संहिता में प्रशासन की बात सही

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इस मामले में हाईकोर्ट जस्टिस के सामने शासन, प्रशासन के साथ ही चुनाव आयोग की ओर से भी बात रखी गई। इसमें बताया गया कि आचार संहिता के चलते किसी भी धार्मिक इस तरह के आयोजन की मंजूरी नहीं दी जा सकती है। इसलिए इसे निरस्त किया गया, लॉ एंड आर्डर भी देखना है। हाईकोर्ट ने आदेश में कहा कि आयोजक की भावना प्रार्थना सभा की होगी, लेकिन आयोग की आचार संहिता के नियम, लॉ एंड आर्डर को देखते हुए मंजूरी निरस्त के खिलाफ लगी याचिका को खारिज किया जाता है।

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