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सिंगर हनी सिंह के कंसर्ट की मंजूरी देने और नहीं देने के 48 घंटे के ड्रामे में पुलिस और नगर निगम के अधिकारियों ने महापौर पुष्यमित्र भार्गव और एमआईसी मेंबर निरंजन सिंह चौहान की जमकर फजीहत करा दी। इस मामले में महापौर आयोजन के 30 घंटे पहले शुक्रवार दोपहर में यहां तक आदेश दे गए कि जाकर आयोजन की तैयारियां बंद करा दो, लेकिन कुछ नहीं हुआ। कुल मिलाकर महापौर की ना तो पुलिस ने सुनी और ना ही उनके ही निगम ने। अब विपक्ष के नेता भी इस पर तंज कस रहे हैं। आयोजन की मंजूरी 7 मार्च को देर रात पुलिस ने जारी कर दी है ।
महापौर ने लिखे सीपी, निगमायुक्त को पत्र
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इस मामले में महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने पुलिस कमिशनर संतोष सिंह को पत्र लिखा। इसमें मांग की गई कि जब तक निगम को सभी टैक्स की प्राप्ति नहीं हो जाए और इसकी कॉपी नहीं हो, 8 मार्च के आयोजन को मंजूरी नहीं मिले।
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यह पत्र महापौर ने एमआईसी मेंबर निरंजन सिंह चौहान के पत्र के आधार पर लिखी, जिसमें उन्होंने बिना टैक्स लिए आयोजन नहीं करने देने की मांग की थी और ऐसा नहीं होने पर लोकायुक्त तक शिकायत की बात कही।
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साथ ही महापौर ने निगमायुक्त को भी पत्र लिखा और यही कहा, बिना टैक्स लिए मंजूरी नहीं हो।
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लेकिन इधर यह जारी रही तैयारी
लेकिन इन पत्रों के बीच भी कंसर्ट आयोजकों ने जहां मैदान पर पूरी तैयारी और टिकट की बुकिंग जारी रखी, वहीं पुलिस ने भी ट्रैफिक रूट पर प्लान तैयार कर लिया। मंजूरी जारी होने के पहले ही दिन 7 मार्च को ही यह प्लान भी जारी कर दिया, जबकि उस दौरान निगम में टैक्स विवाद जारी था। इसी दौरान आयोजकों को दो बार निगम ने टैक्स जमा करने का नोटिस भी जारी कर दिया था।
तैयारी बंद कराओ, तब भी कुछ नहीं हुआ
इसके बाद महापौर झुंझला गए। उन्होंने सात मार्च की दोपहर में निगमायुक्त शिवम वर्मा को साफ कह दिया कि टीम भेजो और आयोजन पर चल रही तैयारियों को अभी रूकवाओ। यह जानकारी खुद निरंजन सिंह चौहान ने मीडिया को दी। लेकिन इसके बाद भी नगर निगम ने मौके पर काम नहीं रूकवाया और तैयारी जोर-शोर से जारी रही।
बैठक में मिला चिंदी सा टैक्स
जहां यह सब चल रहा था वहीं आयोजकों और निगम के बीच में समझौता बैठक हो गई। इसमें आयोजकों ने 67 लाख की आय का हिसाब रख दिया। वहीं सूत्रों के अनुसार न्यूनतम टिकट दर ढाई हजार रुपए हैं और टिकटों से ही कमाई तीन करोड़ से कम की नहीं है, साथ ही एड व अन्य माध्यम से भी कमाई है, वह भी मनोरंजन कर के दायरे में आती है। कोई भी कंसर्ट 5-10 करोड़ से कम का नहीं होता है, दिलजीत का तो करीब 20 करोड़ रुपए का था, इसमें अलग से मंहगी वीवीआईपी टेबल भी थी। निगम को मात्र 6.70 लाख टैक्स ही मिला। इतने से टैक्स के लिए इतना हो हल्ला मचा था। यह तो आयोजक पहले से ही भरने के लिए तैयार थे। बस एक और एफिडेविट निगम को मिल गया जो आयोजकों ने दे दिया।
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इधर निगम प्रतिपक्ष नेता चौकसे यह बोले
वहीं इस मामले में इंदौर नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने कहा है कि हनी सिंह के शो के लिए अनुमति देने के मामले में महापौर पुष्यमित्र भार्गव के द्वारा जो रुख अपनाया गया उससे पूरे शहर में इंदौर नगर निगम मजाक बनकर रह गया है। इस पूरे घटनाक्रम से बीजेपी की गुटबाजी और अधिकारियों के साथ समन्वय की कमी उभर कर सामने आई है। नगर निगम के द्वारा यह कहा गया कि जब तक उन्हें इस शो के बेचे गए टिकट के पैसे में से मनोरंजन कर की राशि नहीं मिलेगी तब तक इस शो को अनुमति नहीं दी जाएगी। नगर निगम अपनी बात ही कहता रहा और दूसरी तरफ दूसरे विभागों के द्वारा इस शो को अनुमति दे दी गई। महापौर ने नगर निगम आयुक्त को कहा कि जाकर शो की तैयारी रूकवाओ। पुलिस और प्रशासन के बगैर जाकर निगम भला इस शो को कैसे रुकवा सकता है। चौकसे ने कहा कि इस शो के मामले में मनोरंजन कर के शुल्क के रूप में जितनी छोटी राशि प्राप्त करके इंदौर नगर निगम संतुष्ट हुआ है उससे सारे शहर में नगर निगम को लेकर गलत संदेश गया है। हकीकत में देखा जाए तो महापौर ने निगम को मजाक का पात्र बना कर रख दिया है।
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