संजय शर्मा, BHOPAL. विवादों में घिरे रहे CAA कानून यानी सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट के लागू होने से प्रदेश के हजारों सिंधी परिवार (Sindhi family ) सीधे तौर पर लाभान्वित होंगे। पाकिस्तान के सिंध प्रांत से पलायन करके आए ये परिवार चार-पांच दशकों से शरणार्थियों की तरह रह रहे हैं। इनके पास अब तक नागरिकता नहीं है और निवास वृद्धि के सहारे हैं। इसके लिए भी इन परिवारों को बड़ी मशक्कत का सामना करते हुए बार- बार दिल्ली के चक्कर काटने पड़ते थे और सरकार की योजनाओं का भी उन्हें लाभ नहीं मिल पा रहा था। अब इन परिवारों को CAA एक्ट किसी उम्मीद की किरण की तरह नजर आ रहा है। आज हम आपको बता रहे हैं, प्रदेश में शरणार्थियों का जीवन बिता रहे ऐसे ही परिवारों की कहानी...
नागरिकता होती तो बहन का इलाज करा पाता
ये कहानियां संवेदनाओं से भरी हैं और भावुक कर देती हैं। ऐसी ही कहानी हैं रामचंद्र आहूजा की। आजादी के बाद इनके पुरखे पाकिस्तान के सिंध प्रांत में ही रह गए थे, लेकिन कट्टरपंथियों के कारण 1978 में उनके माता- पिता भारत आ गए थे। रामचंद्र का परिवार सागर जिले के सिंधी कैंप में रह रहा है और भोजनालय चलाता है। पकिस्तानी नागरिक होने का कलंक कई दशक तक उनके परिवार पर लगा रहा। नागरिकता ना होने के कारण भारत में रहने के लिए इन्हें निवास वृद्धि कराने दिल्ली के चक्कर काटने पड़ते थे। पुलिस वेरिफिकेशन और निवास वृद्धि भी एक-एक साल की ही मिलती थी और बार -बार वीसा- पासपोर्ट का रिनुअल भी मजबूरी बन गया था। नागरिकता नहीं थी तो सरकारी योजनाओं का लाभ लेने से भी दूर रहे। रामचंद्र कहते हैं मेरी बहन काफी बीमार है, लेकिन छोटे से भोजनालय से उतना नहीं कमा पाते की बड़े अस्पताल में इलाज करा सकें। आयुष्मान कार्ड बनवाने का सोचा, लेकिन फिर नागरिकता का रोड़ा अटक गया। अब उम्मीद है हमें भी ये सब लाभ मिलेगा।
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35 साल से नागरिकता की आस में
विदिशा जिले में नानकराम का परिवार 35 साल से शरणार्थी की तरह रह रहा है। नानकराम बताते हैं वे अपने भाई हश्मत राय और लालचंद माधवानी के साथ आए थे। 1990 में जब पकिस्तान में रहना मुश्किल हो गया था। रिश्तेदारों की मदद से नया ठिकाना तो मिल गया था, लेकिन नागरिकता नहीं मिली। भोपाल से लेकर दिल्ली तक 35 साल से चक्कर काट रहे हैं। अब कुछ उम्मीद है। पुराने दिनों को याद कर नानक बताते हैं, उन्हें हर साल पुलिस वेरिफिकेशन कराने के बाद निवास और पासपोर्ट की समय अवधि बढ़वाने दिल्ली जाना पड़ता था। यह आसान काम नहीं है, विदेश मंत्रालय के चक्कर काटने पड़ते हैं। कई सवालों का जवाब देना पड़ता है फिर कहीं निवास वृद्धि हो पाती है।अपने ही लोगों के बीच रहना और पाकिस्तान का नागरिक कहलाना बहुत दर्द देता था, लेकिन अब शायद इस कलंक से मुक्ति मिल जाएगी।
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हजारों परिवारों को मिलेगा लाभ
जब दूसरे लोग CAA का विरोध कर रहे हैं तो क्यों सिंधी समाज इसके पक्ष में खड़ा है। सिंधी समाज के चंद्रप्रकाश इसरानी बताते हैं। अब तक जो लोग पाकिस्तान से आने के बाद से नागरिकता के लिए परेशान हैं, उन्हें भटकने से निजात मिल जाएगी। अब जल्दी नागरिकता मिलने से पासपोर्ट और निवास वृद्धि का झंझट भी नहीं हरेगा।
हम बताते हैं प्रदेश में सिंधी समाज की स्थिति और CAA लागू होने से कितने परिवारों को इसका फायदा होगा। भोपाल के बैरागढ़ में डेढ़ लाख, जबलपुर में सवा लाख और इंदौर में ढाई लाख सहित प्रदेश में 25 लाख से ज्यादा आबादी सिंधी समाज की है। इनमें से 5 हजार से ज्यादा लोग ऐसे हैं जो आज भी नागरिकता के लिए भटकते हुए शरणार्थी बने हुए हैं। साल में 2 महीने तो इनको पुलिस वेरिफिकेशन और पासपोर्ट -निवास वृद्धि की सीमा बढ़ाने में लग जाता है। इनमें ज्यादातर लोग छोटे- मोटे काम धंधों में लगे हैं और आर्थिक रूप से बहुत मजबूत नहीं हैं। ऐसे में इन सभी परिवारों के लिए CAA कानून नई रोशनी बनकर आया है।
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मध्य प्रदेश के किस शहर में कितने सिंधी समाज
शहर | सिंधी समाज |
भोपाल | 56000 |
बैरागढ़ | 1,05,000 |
इंदौर | 2,55,000 |
जबलपुर | 1,10,500 |
कटनी | 49,500 |
सतना | 22,000 |
सागर | 15,000 |
खंडवा | 17,000 |
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