संजय शुक्ला, विशाल पटेल, दरबार, संघवी के आने से वोट के लिहाज से बीजेपी को कितना होगा फायदा?

संजय शुक्ला 2018 में यहां से विधायक रह चुके हैं। खासकर उनके आने से ब्राह्मण वोट पूरी तरह बीजेपी के पास जाएंगे। वहीं शुक्ला का खुद का एक वोट बैंक है। अभी चुनाव में कैलाश विजयवर्गीय को यहां पर 1.58 लाख वोट मिले तो शुक्ला को भी एक लाख मिले थे।

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Pratibha ranaa
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संजय शुक्ला, विशाल पटेल, अंतर सिंह दरबार, पकंज संघवी

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संजय गुप्ता, INDORE. कांग्रेस से बीजेपी में जाने का दौर जारी है। पूर्व विधायक संजय शुक्ला ( Sanjay Shukla ) और विशाल पटेल ( Vishal Patel ) के बाद अब कांग्रेस के पूर्व विधायक अंतर सिंह दरबार और कांग्रेस के टिकट पर विधायक, महापौर, सांसद का चुनाव लड़ चुके पकंज संघवी भी शुक्रवार को बीजेपी के हो गए। लोकसभा चुनाव की उलटी गिनती चल रही है, इन नेताओं के जाने से आखिर धार और इंदौर लोकसभा सीटों पर बीजेपी को क्या लाभ होगा? इसका गणित विधानसभ चुनाव के हिसाब से समझते हैं।

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दरबार के आने से बीजेपी के लिए धार हुआ सुरक्षित

धार संसदीय सीट एसटी है। इसमें धार जिले की सातों विधानसभा सरदारपुर, गंधवानी, बदनावर, धार, कुक्षी, धरमपुरी के साथ इंदौर जिले की महू सीट शामिल है। विधानसभा चुनाव के हिसाब से बीजेपी के पास धरमपुरी, धार और केवल महू ही यानि यहां कांग्रेस पांच विधानसभा में आगे हैं। बीजेपी की पूरी कोशिश खासकर अपने कब्जे वाली सीट धार, महू औ धरमपुरी से भारी लीड लेने की है। महू से ही बीजेपी को 35 हजार की लीड मिली थी। बीजेपी की उषा ठाकुर को एक लाख वोट मिले और दूसरे नंबर पर थे निर्दलीय लड़ने वाले अतंर सिंह दरबार जिन्हें 68 हजार से ज्यादा वोट मिले थे। यह दरबार का खुद का वोट बैंक है, कांग्रेस को मात्र 29 हजार वोट मिले थे। यानि साफ है कि महू से ही बीजेपी एक लाख वोट की लीड लेने का जो लक्ष्य लेकर चल रही थी। इसमें दरबार के आने से ब़डी सफलता मिलने की उम्मीद है। 

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संजय शुक्ला के आने से इंदौर 1 से ही एक लाख की लीड

संजय शुक्ला 2018 में यहां से विधायक रह चुके हैं। खासकर उनके आने से ब्राह्मण वोट पूरी तरह बीजेपी के पास जाएंगे। वहीं शुक्ला का खुद का एक वोट बैंक है। अभी चुनाव में कैलाश विजयवर्गीय को यहां पर 1.58 लाख वोट मिले तो शुक्ला को भी एक लाख मिले थे। हालांकि शुक्ला के कारण कांग्रेस का अल्पसंख्यक वाला परंपरागत वोट शिफ्ट होना मुश्किल है, लेकिन ब्राहमण व झुग्गी बस्तियों वाला वोट बैंक आने की पूरी संभावना है। इस बार बीजेपी यहां से लोकसभा में एक लाख वोट की लीड ले तो तोई बड़ी बात नहीं है। 

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विशाल पटेल के आने से 80 हजार तक की भारी लीड

देपालपुर में विशाल पटेल 2018 में विधायक रह चुके हैं। साल 2023 के चुनाव में भी वह मात्र 14 हजार वोट से ही हारे थे। निर्दलीय प्रत्याशी ही 37920 वोट ले गया था। बीजेपी को यहां से 95 हजार से ज्यादा वोट और पटेल को 81879 वोट मिले थे। कांग्रेस के पंरपरागत वोट को छोड़ भी दें तो विशाल पटेल के आने से उन्हें मिलने वाले 50 फीसदी वोट का स्विंग बीजेपी की ओर जाना संभावित है। निर्दलीय भी इस बार स्थानीय स्तर पर प्रभाव डालेगा यह मुश्किल है। ऐसे में बीजेपी यहां से 80 हजार से ज्यादा की लीड ले सकती है। 

पंकज संघवी से बीजेपी को कोई खास लाभ होना मुश्किल

पंकज संघवी अभी तक हर चुनाव हारे हैं, हालांकि महापौर का चुनाव वह बहुत ही कम वोट से हारे थे। विधानसभा पांच में वह सक्रिय जरूर रहे, लेकिन अब यहां पर सत्यनारायण पटेल अधिक सक्रिय है, जो अभी भई कांग्रेस के साथ ही है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में वही बीजेपी के शंकर लालवानी के सामने थे। इसमें डले 16.24 लाख वोट में लालवानी को 10.68 लाख वोट मिले वहीं संघवी को केवल 5.20 लाख वोट। लालवानी की जीत ही 5.47 लाख वोट से हुई इतने तो संघवी को वोट भी नहीं मिले। यानि संघवी को केवल कांग्रेस का परंपरागत वोट ही मिला था, उनका खुद का कोई वोट बैंक नहीं है। बीजेपी को फायदा केवल यह होगा कि गुजराती समाज पूरी तरह उनके साथ होगा, वहीं आर्थिक रूप से संघवी परिवार जो कांग्रेस की करता था, वह भी अब उसके लिए मुश्किल होगी। वोट बैंक के लिहाज से कोई बड़ा फायदा बीजेपी को वह नहीं कर पाएंगे।

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