मध्यप्रदेश के रीवा में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। शादी के सात महीने बाद सड़क हादसे में पति की मौत हो गई। पति की मौत के दो दिन बाद पत्नी नेहा सिंह ने ऐसी मांग की जिससे पुलिस और डॉक्टर सभी हैरान रह गए। नेहा ने अपने पति जितेन्द्र सिंह गहरवार के स्पर्म को प्रिजर्व (Preserve) करने की मांग की, ताकि वह आधुनिक तकनीक से मां बन सके।
पत्नी की क्या थी मांग?
नेहा का कहना था कि पति की यादों को जीवित रखने का यह तरीका उसके लिए सबसे खास होगा। लेकिन मेडिकल विशेषज्ञों ने बताया कि किसी व्यक्ति की मौत के 24 घंटे के भीतर ही स्पर्म को सुरक्षित रखा जा सकता है। जितेन्द्र की मौत को 48 घंटे से अधिक समय बीत चुका था, जिससे यह प्रक्रिया संभव नहीं हो सकी।
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मेडिकल कॉलेज में जमकर हंगामा
नेहा का आरोप है कि पति की मौत के कुछ ही घंटों बाद उसने पुलिस और डॉक्टर से यह मांग की थी, लेकिन उनकी लापरवाही के कारण समय पर यह कदम नहीं उठाया गया। इस पर नेहा ने रीवा के संजय गांधी मेडिकल कॉलेज में जमकर हंगामा किया।
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रीवा एसपी ने क्या कहा?
रीवा एसपी विवेक सिंह ने कहा कि दुर्घटना में युवक की मौत हो गई थी। पत्नी ने पति का स्पर्म प्रिजर्व करने की मांग की थी, लेकिन तकनीकी कारणों से यह संभव नहीं हो पाया। दो दिन बाद पीएम (पोस्टमार्टम) के बाद शव को परिवार को सौंप दिया गया।
क्या है स्पर्म प्रिजर्व?
स्पर्म प्रिजर्व का अर्थ शुक्राणु संरक्षण करना होता है। यह एक प्रक्रिया है, जिसमें पुरुष के शुक्राणुओं को संग्रहित किया जाता है ताकि उन्हें भविष्य में इस्तेमाल किया जा सके। यह प्रक्रिया विशेष रूप से उन पुरुषों के लिए उपयोगी होती है, जो चिकित्सा उपचार (जैसे कि कैंसर की कीमोथेरपी या सर्जरी) के कारण अपनी प्रजनन क्षमता खोने का खतरा महसूस करते हैं, या जो किसी कारणवश बच्चों का जन्म बाद में करना चाहते हैं।
स्पर्म प्रिजर्वेशन में शुक्राणुओं को एक कूलिंग प्रक्रिया द्वारा ठंडा किया जाता है और फिर एक तरल नाइट्रोजन में संग्रहित किया जाता है, जिससे वे लंबे समय तक जीवित रह सकते हैं। यह प्रक्रिया किसी पुरुष की प्रजनन क्षमता को सुरक्षित रखने में मदद करती है, ताकि भविष्य में जब वह चाहे, शुक्राणुओं का उपयोग करके कृत्रिम गर्भधारण या अन्य प्रजनन तकनीकों का सहारा लिया जा सके।
स्पर्म प्रिजर्वेशन का उपयोग कई कारणों से किया जा सकता है
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चिकित्सा उपचार (जैसे कि कीमोथेरेपी) के दौरान प्रजनन क्षमता को बचाना।
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पेशेवर या व्यक्तिगत कारणों से प्रजनन का फैसला बाद में लेना।
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प्रजनन क्षमता को जोखिम में डालने वाले किसी अन्य कारण के लिए।
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यह प्रक्रिया मेडिकल सेंटर में विशेषज्ञों द्वारा की जाती है और इसमें कुछ समय और सही देखभाल की आवश्यकता होती है।
स्पर्म को 24 घंटे तक ही सुरक्षित रखा जा सकता
हालांकि, रीवा के मामले को देखें तो कुछ ऐसा ही लगता है। दरअसल, डॉक्टरों के मुताबिक, मृत व्यक्ति के स्पर्म को सिर्फ 24 घंटे तक ही सुरक्षित रखा जा सकता है। अगर यह तय समय बीत गया तो इसका कोई फायदा नहीं है। इसीलिए डॉक्टरों ने नेहा के पति का स्पर्म नहीं निकाला।
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