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कोरोना महामारी के दौरान प्रदेश में 87 सरकारी अस्पतालों में आईसीयू की सुविधा स्थापित की गई थी, ताकि गंभीर मरीजों को तत्काल उपचार मिल सके। पांच साल बाद भी इनमें से 38 आईसीयू चालू नहीं हो पाए हैं। बताया जा रहा है कि इन अस्पतालों में किसी मरीज को भर्ती करने की तो बात छोड़िए, इनका ताला तक नहीं खोला गया। जो कुछ आईसीयू चल भी रहे हैं, उनका उपयोग भी वीआईपी वार्ड के तौर पर किया जा रहा है। सरकारी अस्पतालों के अधिकांश सिविल सर्जन, सीबीएमओ (Chief Medical and Health Officer) और आईसीयू इंचार्ज के निजी अस्पताल हैं। डॉक्टरों के निजी अस्पतालों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकारी आईसीयू को चालू नहीं किया जा रहा है।
सरकारी अस्पतालों में आईसीयू की कमी
मार्च 2023 से फरवरी 2025 तक नर्मदापुरम, विदिशा, रायसेन और सीहोर के सरकारी अस्पतालों से लगभग 9 हजार मरीजों को रेफर किया गया। जिनमें से 2 हजार 260 मरीजों को केवल ICU की कमी के कारण अन्य अस्पतालों में भेजा गया।
नर्मदापुरम जिला अस्पताल
नर्मदापुरम में एक करोड़ की लागत से कोरोना के समय एक आईसीयू बनाया गया। इसमें अब तक एक भी मरीज भर्ती नहीं किया गया। आईसीयू का प्रभार एमडी मेडिसिन डॉ. अंश चुघ के पास है, जिनका खुद का मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल है। सवाल उठता है कि डॉ. चुघ के निजी अस्पताल को फायदा पहुंचाने के लिए सरकारी आईसीयू को क्यों बंद रखा गया है।
रायसेन का जिला अस्पताल
रायसेन में भी एक करोड़ की लागत से आईसीयू तैयार किया गया था, लेकिन यह अब तक बंद पड़ा हुआ है। यहां के डॉक्टरों का आरोप है कि वे निजी अस्पतालों में भी काम कर रहे हैं। जिसके कारण सरकारी अस्पताल का आईसीयू चालू नहीं हो पा रहा है।
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निजी अस्पतालों में भर्ती
सरकारी अस्पताल में आने वाले मरीजों को निजी अस्पतालों में भेजने का मामला सामने आ रहा है। एक घटना में, नर्मदापुरम जिला अस्पताल में एक मरीज गंभीर स्थिति में पहुंचा था और उसे सीटी स्कैन के बाद निजी अस्पताल में भर्ती करवा दिया गया, जो कि अस्पताल के एमडी मेडिसिन डॉ. अंश चुघ के भाई के नाम पर था। सिविल सर्जन डॉ. सुनीता कामले ने इसे गंभीर मामला बताते हुए जांच की बात कही है।
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निजी अस्पतालों से जुड़ा मामला
रायसेन के बेगमगंज में नए सिविल अस्पताल की शिफ्टिंग के दौरान आईसीयू को नए भवन में शिफ्ट करने का मामला सामने आया। पूर्व सीबीएमओ डॉ. दिनेश गुप्ता ने एनएचएम के अधिकारियों को नए भवन में आईसीयू के शिफ्ट होने की जानकारी नहीं दी। इसका मुख्य कारण उनका निजी नर्सिंग होम बताया गया, जिससे सरकारी आईसीयू बंद रखने का फायदा उनके निजी अस्पताल को हुआ।