लघु वनोपज प्रसंस्करण एवं अनुसंधान केंद्र के एक अधिकारी ने 22 लाख रुपए सरकारी पैसा खर्च कर अपने नाम से 3 किताबें छपवा लीं। इन किताबों का कॉपीराइट भी IFS अधिकारी डॉ. दिलीप कुमार के पास है। विधानसभा सत्र के दौरान वन मंत्री नागर सिंह चौहान ने इस बात की जानकारी दी। द सूत्र ने पहले ही यह मामला उठाया था।
22 लाख सरकारी खर्च से छपी किताबें
IFS अधिकारी डॉ. दिलीप कुमार ने 2022 और 2023 में कुल 3 किताबें छपवाईं। जब किताबें छपवाई गईं तब दिलीप कुमार लघु वनोपज प्रसंस्करण में प्रबंध संचालक थे। ये तीनों ही किताबें सरकारी पैसों से छपीं, जबकि इसके भुगतान के लिए शासन से किसी तरह की इजाजत नहीं ली गई। इतना ही नहीं अधिकारी ने प्राइवेट पब्लिशर से ये किताबें छपवाईं।
पहली किताब हर्ब्स एंड ट्राइब ( Herbs and Tribes ) 2022 में प्रकाशित हुई थी। इस पर 3.88 लाख रुपए का खर्च आया। इसके बाद एंडेमिक स्पीशीज ऑफ इंडिया का वॉल्यूम 1 ( Endemic Species of India Volume - 1 ) और वॉल्यूम 2 ( Endemic Species of India Volume - 1 ) 2023 में आया। पहले वॉल्यूम के प्रकाशन पर 10.74 और दूसरे पर 7.38 लाख का खर्च आया है। इस तरह कुल मिलाकर इन किताबों के प्रकाशन में 22 लाख रुपए सरकारी पैसे खर्च हुए हैं। इतने पैसे खर्च होने के बाद भी इन किताबों का कॉपीराइट सरकार के पास नहीं बल्कि अधिकारी डॉ. दिलीप कुमार के पास है।
विधानसभा में विधायक नारायण पट्टा ने इस संबंध में सवाल पूछा था। वन मंत्री नागर सिंह चौहान ने इस मामले में जवाब दिया। उन्होंने बताया कि मामले के कार्रवाई की जा रही है।
द सूत्र ने उठाया था मामला-
जिस किताब का सीएम ने किया था विमोचन, उसमें सरकार से इतनी बड़ी धोखेबाजी
ये खबर भी पढ़िए...
कांग्रेस विधायक ने भरी सभा में कह दी हाथ काटने की बात , मचा हंगामा