IIM Indore : आईआईएम इंदौर के 788 डिग्री धारकों में 12 टॉपर्स, इस बार लड़कों ने मारी बाजी

आईआईएम इंदौर का 26वां वार्षिक दीक्षांत समारोह हाल में हुआ, जिसमें छात्रों को सात अलग-अलग प्रोग्राम के तहत अवॉर्ड्स दिए गए और इंडस्ट्री स्पॉन्सर्ड स्कॉलरशिप और एनबीएफए पुरस्कारों की घोषणा भी की गई।

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Reena sharma vijayvargiya
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MP News : आईआईएम इंदौर का 26वां वार्षिक दीक्षांत समारोह हाल में हुआ, जिसमें छात्रों को सात अलग-अलग प्रोग्राम के तहत अवॉर्ड्स दिए गए और इंडस्ट्री स्पॉन्सर्ड स्कॉलरशिप और एनबीएफए पुरस्कारों की घोषणा भी की गई। आईआईएम के दीक्षांत समारोह में 788 छात्र-छात्राओं को डिग्री दी गई।

आईआईएम इंदौर के निदेशक प्रो. हिमांशु राय ने बताया कि कुछ ही दिन में प्लेसमेंट रिपोर्ट आते ही प्लेसमेंट की स्थिति भी स्पष्ट हो जाएगी। उम्मीद जताई जा रही है कि इस वर्ष प्लेसमेंट बढ़ेगा और वेतन में भी बढ़ोतरी होगी। प्रो. राय ने बताया कि छात्रों को अलग-अलग रैंक में गोल्ड मेडल दिए गए थे। इस दौरान सभी ने अपने-अपने संघर्ष की कहानी और उपलब्धियों को साझा किया। उन्होंने कहा, हर साल 50 फीसदी से ज्यादा लड़कियों को डिग्री मिलती है लेकिन इस वर्ष 12 छात्र-छात्राएं टॉपर्स में रहे। इस दौरान कुछ छात्रों ने अपनी संघर्ष और सक्सेस स्टोरी 'द सूत्र' के साथ साझा की।

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खास जानकारी:

  • संस्थान के प्रमुख शैक्षणिक कार्यक्रमों के 788 प्रतिभागियों को डिग्री दी गई।

  • 500 करोड़ रुपए की लागत से 10 एकड़ एरिया में एक शैक्षणिक भवन का निर्माण होगा।

इन सात प्रोग्राम के अंतर्गत स्टूडेंट्स को मिले अवॉर्ड्स

  • पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम इन मैनेजमेंट (पीजीपी)

  • पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम इन ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट (पीजीपीएचआरएम)

  • फाइव-ईयर इंटीग्रेटेड प्रोग्राम इन मैनेजमेंट (आईपीएम)

  • एग्जीक्यूटिव पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम इन मैनेजमेंट (ईपीजीपी)

  • पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम इन मैनेजमेंट फॉर वर्किंग एग्जीक्यूटिव्स (पीजीपीएमएक्स)

  • डॉक्टोरल प्रोग्राम इन मैनेजमेंट (डीपीएम)

  • एग्जीक्यूटिव डॉक्टोरल प्रोग्राम इन मैनेजमेंट (ईडीपीएम) शामिल हैं।

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इन्हें मिले पदक

  • बेस्ट डॉक्टोरल स्टूडेंट अवॉर्ड – अभिषेक कुमार झा

  • आईआईएम इंदौर बेस्ट डॉक्टोरल स्टूडेंट अवॉर्ड – दीपक कुमार पांडा

  • रैंक 1 – प्रवीर कुमार

  • रैंक 2 – कपिश जलान

  • रैंक 3 – एस. सुदर्शन वैद्य

  • आईआईएम इंदौर गोल्ड मेडल टू बेस्ट वुमन पार्टिसिपेंट – संजू एस. नायर

  • रैंक 1 – हरलीन कौर

  • रैंक 1 – नंदिनी सेठी

  • रैंक 2 – प्लक्षा अग्रवाल

  • रैंक 1 – पाटिल धनंजय प्रेमराज

  • रैंक 1 (बैच 17) – श्रुति घोष

  • रैंक 1 (बैच 18) – पूजा वैभव

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दृष्टिहीन साक्षी का जीवन एमबीए डिग्री से हुआ रोशन


पुणे में रहने वाली दृष्टिहीन बालिका साक्षी प्रशांत अमृतकर ने एमबीए की डिग्री पूरी की। उन्होंने पढ़ाई ऑनलाइन और सॉफ्ट कॉपी के नोट्स के माध्यम से की। कैट की तैयारी के लिए अनूठे प्रयोग करते हुए पढ़ाई की। साक्षी ने बताया कि आईआईएम से प्लेसमेंट भी मिला और अब मैं जल्द ही टाटा ग्रुप में नौकरी करूंगी। साक्षी ने बताया कि मैंने अब तक 2 कविता संग्रह लिखे हैं और वे प्रकाशित भी हो चुके हैं।

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11 साल की बेटी को अकेला छोड़ा


श्रुति घोष दो साल तक इंदौर में रहीं। आईआईएम इंदौर में उन्होंने पीजीपीएमएक्स एमबीए डिग्री हासिल की। श्रुति को क्लास में फर्स्ट आने पर गोल्ड मेडल मिला है। उन्होंने कहा, वर्किंग प्रोफेशनल के लिए यह कोर्स बहुत अच्छा रहता है, इसलिए मैंने तमाम परेशानियों के चलते इसे पूरा किया। 11 साल की बेटी को अकेला छोड़कर मैं दो साल तक इंदौर में रही, यह मुश्किल दौर था लेकिन परिवार का सपोर्ट मिला। एमबीए कोर्स के दौरान सिंगापुर की यूनिवर्सिटी भी जाना पड़ा था, उस दौरान बेटी को अकेला छोड़कर जाना आसान नहीं था लेकिन जीवन में जब कुछ हासिल करना हो तो परेशानियों को दरकिनार करना ही पड़ता है।

आउटडोर एक्टिविटी के लिए दस दिन बाहर रही


पीजीपीएमएक्स कोर्स करने के बाद मुझे एग्जीक्यूटिव जनरल एमबीए की डिग्री मिली। यह बात पूजा दांडेकर ने साझा की है। पूजा ने कहा, मैं शादीशुदा हूं और एक कंपनी में वर्किंग भी हूं। इंदौर में रहकर दो साल का कोर्स करना मेरे लिए जितना टफ नहीं था, उससे कहीं ज्यादा टफ टाइम आउटडोर एक्टिविटी के दौरान शहर से दस दिन के लिए बाहर जाना था। दो साल में घर भी ज्यादा नहीं जा पाती थी लेकिन दस दिन तक बिना बात किए परिवार और खासतौर से 8 साल की बेटी और 6 साल के बेटे से दूर रहना बहुत मुश्किल था लेकिन अब मैं किसी बड़ी कंपनी में वर्किंग कर पाऊंगी, यह मेरे लिए खुशी की बात है।

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एक साल होस्टल में रहा

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धनंजय प्रेमराज पाटिल ने बताया, मैं गुरुग्राम में मारुति सुजुकी में रिसर्च डेवलपमेंट ऑफिसर के पद पर कार्यरत हूं। इंदौर आईआईएम के कोर्स के बारे में काफी सुन रखा था, इसलिए मैंने इंदौर से एमबीए ईपीजीपी कोर्स किया जो एक साल का था। इसमें मुझे फर्स्ट रैंक के लिए गोल्ड मेडल मिला है, जिसके चलते अब मैं बड़ी कंपनी में कार्य कर पाऊंगा। धनंजय ने बताया, मैं शादीशुदा हूं और पत्नी की गुजरात गवर्नमेंट में नौकरी है। इंदौर में एक साल तक होस्टल में रहा।

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