/sootr/media/media_files/2025/10/08/whispering-palms-2-2025-10-08-19-35-59.jpg)
Photograph: (THESOOTR)
BHOPAL. भोपाल की VVIP कॉलोनी व्हिस्परिंग पॉम्स में अवैध निर्माण का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। पूर्व सीएस, बड़े अफसरों और बड़े व्यापारियों की इस कॉलोनी में कई तरह की अनियमतताएं बरतने के आरोप हैं। इतना ही नहीं भोपाल विकास योजना 2005 के खुलेआम उल्लंघन और कलियासोत बांध के जलग्रहण क्षेत्र में अनुमत सीमा से कई गुना अधिक निर्माण होने का आरोप भी लगाया गया है।
कोर्ट ने स्वीकार की याचिका
महेश सिंह परिहार और राज बहादुर प्रसाद ने जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। जिसमें Bhopal Development Plan 2005 के खुले उल्लंघन और कलियासोत बांध के जलग्रहण क्षेत्र में अनुमत सीमा से कई गुना अधिक निर्माण होने का आरोप है।
बता दें कि कोर्ट ने मामले को सुनवाई योग्य मानते हुए नोटिस जारी कर दिए हैं। इस केस की सुनवाई 24 नवंबर को होगी। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के मामले में कोर्ट की सख्ती को देखते हुए यह चर्चा तेज हो गई है कि व्हिस्परिंग पॉम्स पर भी बुलडोजर चल सकता है। हालांकि, फैसला आने में समय लग सकता है।
याचिकाकर्ताओं के एडवोकेट हर्षवर्धन तिवारी और एडवोकेट राहुल दिवाकर ने बताया कि हाईकोर्ट से व्हिस्परिंग पाम्स भोपाल (Whispering Palms) में अवैध निर्माण रोकने, विस्तृत सर्वे कराए जाने और नियमों का उल्लंघन करने वाले ढांचों को ध्वस्त करने की मांग की गई है।
बता दें कि कॉलोनी को कम घनत्व वाले आवासीय क्षेत्र के रूप में स्वीकृत किया गया था, लेकिन यहां एक अवैध शॉपिंग सेंटर समेत भारी निर्माण किया गया और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुमति की अवधि भी खत्म हो चुकी है।
इन लोगों को बनाया गया व्हिस्परिंग पॉम्स मामले में पार्टी-
- पूर्व मुख्य सचिव, IAS एसआर मोहंती
- रिटा. आईएएस राधेश्याम जुलानिया
- एसएस रियल्टी- व्हिस्परिंग पाम्स
- नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग मध्यप्रदेश
- भोपाल नगर निगम (बीएमसी)
- नगर एवं ग्राम नियोजन निदेशालय
- चंदरभान लालचंदानी
आइए पहले 5 प्वाइंट में ऐसे समझें पूरा मामला...👉 महेश सिंह परिहार और राज बहादुर प्रसाद ने जबलपुर हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दायर की है। 👉 वे भोपाल की व्हिस्परिंग पॉम्स कॉलोनी में हो रहे कथित अवैध निर्माण को चुनौती दे रहे हैं। 👉 आरोप है कि भोपाल विकास योजना 2005 और नियमों का उल्लंघन कर अनुमत सीमा से आठ गुना अधिक निर्माण किया गया है। 👉 यह VVIP कालोनी भोपाल के कलियासोत डैम के कैचमेंट एरिया के पास है, जिसमें कई अफसरों और व्यापारियों की कोठियां हैं। 👉 कॉलोनी को कम घनत्व आवासीय क्षेत्र के लिए स्वीकृत किया गया था, लेकिन यहां भारी निर्माण और अवैध शॉपिंग सेंटर बनाया गया, जबकि अनुमति की अवधि भी खत्म हो चुकी है। |
नियमों को धता बताती- व्हिस्परिंग पाल्म्स कॉलोनी
अतिविशिष्ट कॉलोनियों में शुमार व्हिस्परिंग पाल्म्स कॉलोनी निर्माण भोपाल के पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र, कलियासोत बांध के जलग्रहण क्षेत्र (catchment zone) के पास हुआ है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि डेवलपर्स और निवासियों ने शहर के विकास के लिए बनाए गए महत्वपूर्ण नियमों को जमकर तोड़ा है। इससे पर्यावरण और आसपास के निवासियों के लिए खतरा पैदा हो गया है।
नियमों का उल्लंघन: आरोप क्या हैं?
याचिका में सबसे बड़ा आरोप यह है कि व्हिस्परिंग पाल्म्स में नियमों का घोर उल्लंघन किया गया है। जहां विकास योजना के अनुसार भूखंड के केवल 6% हिस्से पर निर्माण की अनुमति थी, वहीं याचिका के अनुसार, कुछ निवासियों और डेवलपर्स ने भूखंडों के 50% से अधिक हिस्से पर निर्माण कर लिया है। यह एप्रूव्ड सीमा से "आठ गुना अधिक" है, जो एक मामूली चूक नहीं, बल्कि नियमों का एक बड़ा उल्लंघन है।
याचिका में एक और बड़ा उल्लंघन उजागर किया गया है: एक बड़े "सुविधाजनक खरीदारी" (convenience shopping) केंद्र को अवैध रूप से मंजूरी देना। आइए इसे सरल तरीके से समझते हैं कि यह उल्लंघन कितना बड़ा है।
- पहला कदम: आबादी का अनुमान लगाएं। राष्ट्रीय भवन संहिता (National Building Code) के अनुसार, एक व्यक्ति के लिए औसतन 12.5 वर्ग मीटर जगह की आवश्यकता होती है। व्हिस्परिंग पाल्म्स में 68 भूखंड हैं, और प्रत्येक पर अधिकतम 600 वर्ग फुट (लगभग 56 वर्ग मीटर) निर्माण की अनुमति है। इस हिसाब से, कॉलोनी की कुल अनुमानित आबादी लगभग 340 लोग होगी।
- दूसरा कदम: नियम देखें। भोपाल विकास योजना के अनुसार, "सुविधाजनक खरीदारी" केंद्र के लिए प्रति 1,000 लोगों पर केवल 220 वर्ग मीटर वाणिज्यिक क्षेत्र की अनुमति है।
- तीसरा कदम: गणना करें। 340 लोगों की आबादी के लिए, अनुमेय वाणिज्यिक क्षेत्र केवल लगभग 75 वर्ग मीटर होगा।
- चौथा कदम: उल्लंघन देखें। इसके विपरीत, अधिकारियों ने 3,363.41 वर्ग मीटर के वाणिज्यिक क्षेत्र को मंजूरी दे दी, जो अनुमेय सीमा से 45 गुना अधिक है।
यह केवल नियमों का उल्लंघन नहीं है। याचिका में यह भी उल्लेख है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी "स्थापना की सहमति" (Consent to Establish) 2021 में समाप्त हो गई थी और परियोजना के पास अनिवार्य "पर्यावरणीय मंजूरी" (Environmental Clearance) भी नहीं है।
याचिकाकर्ता अदालत से क्या चाहते हैं?
याचिका में अदालत से निम्नलिखित तीन मुख्य कार्रवाइयों का अनुरोध किया गया है-
- तत्काल रोक: कॉलोनी में चल रहे सभी निर्माण कार्यों को तुरंत रोका जाए।
- अवैध निर्माण को ध्वस्त करना: अनुमत 6% सीमा से अधिक किए गए सभी निर्माण को गिराया जाए।
- जवाबदेही तय करना: उन अधिकारियों और डेवलपर्स के खिलाफ कार्रवाई की जाए जो इस अवैध निर्माण की अनुमति देने या करने के लिए जिम्मेदार हैं।
निष्कर्ष: एक बड़ा सबक
व्हिस्परिंग पाल्म्स का मामला केवल कुछ इमारतों के अवैध निर्माण के बारे में नहीं है। यह मामला भोपाल जैसे बढ़ते शहर के लिए एक महत्वपूर्ण सबक है। यह हमें याद दिलाता है कि कानून का शासन, पर्यावरण संरक्षण और नियोजित विकास किसी भी शहर के स्वस्थ और टिकाऊ भविष्य के लिए कितने आवश्यक हैं। यदि इन सिद्धांतों को नजरअंदाज किया जाता है, तो इसकी कीमत पूरे समाज और आने वाली पीढ़ियों को चुकानी पड़ती है।