पन्ना, जो अपने हीरे के खनन के लिए प्रसिद्ध है, अब अवैध खनन के कारण चर्चा में है। पन्ना शहर के आसपास के गांवों में, जैसे सरकोहा, जनकपुर, राधापुर, कृष्णा और अन्य, में किसानों ने खेतों को खोदकर हीरे की खोज शुरू कर दी है। ये किसान खनन के लिए अपनी जमीन को दूसरों को किराए पर देते हैं और इसके बदले में उन्हें हीरे की कीमत का 30 से 35 फीसदी हिस्सा देना होता है। यह प्रक्रिया बिना किसी सरकारी अनुमति के चल रही है और इसमें खतरनाक तरीके से जमीन खोदी जा रही है।
अवैध खदानों का विस्तार और सरकारी नीतियों का अभाव
पन्ना में हीरा खनन के लिए अधिकतम 20 फीट तक खुदाई की अनुमति है, लेकिन यहां 100 फीट तक गहरे गड्ढे किए जा रहे हैं। सरकारी अधिकारियों के अनुसार, पन्ना में 255 खदानों को वैध पट्टे दिए गए हैं, लेकिन सैकड़ों अवैध खदानें भी चल रही हैं। पन्ना में हीरे की खोज के लिए दो हीरा इंस्पेक्टर और कुछ पुलिसकर्मी हैं, लेकिन उनकी टीम की सीमित संख्या और संसाधनों के कारण अवैध खनन पर काबू पाना मुश्किल हो रहा है।
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किसान और स्थानीय लोग अवैध खनन में संलिप्त
सरकोहा गांव में 60 एकड़ से ज्यादा जमीन पर 150 से अधिक अवैध खदानें चल रही हैं। यहां के किसान और स्थानीय लोग 20 फीट से नीचे खुदाई करके हीरे की तलाश करते हैं। हाल ही में स्वामीदीन पाल को 32 कैरेट का हीरा मिला, जिसके बाद यहां खनन की गतिविधियों में और तेजी आई है।
गहरी खदानें और पर्यावरणीय जोखिम
पन्ना में दो तरह की खदानें हैं - उथली और गहरी। गहरी खदानों में 100 फीट तक खुदाई की जाती है, लेकिन यह अवैध है। एनएमडीसी द्वारा संचालित खदानें भी पर्यावरणीय मंजूरी न मिलने के कारण कुछ समय के लिए बंद कर दी गई थीं, लेकिन अब पुनः शुरू हो गई हैं।
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नदी किनारे भी हो रहा अवैध खनन
पन्ना से अजयगढ़ मार्ग पर रुंझ नदी के किनारे भी कई लोग रेत और पत्थरों को छानकर हीरे की खोज कर रहे हैं। यहां सुबह से लेकर शाम तक परिवारों की भारी संख्या में मौजूदगी है, जो खुदाई के उपकरणों के साथ नदी के किनारे काम कर रहे हैं।
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