महाराष्ट्र से लेकर मध्य प्रदेश तक श्रद्धालुओं से हो रही अवैध वसूली, विधायक ने हटवाई चेक पोस्ट

महाकुंभ के दर्शन के लिए परिवार के साथ निकले श्रद्धालु की बॉर्डर पर गाड़ी रोकी गई और कहा गया कि सुरक्षा शुल्क के तौर पर 500 रुपये जमा करने होंगे। श्रद्धालुओं ने जब नियमों के बारे में पूछा तो हमें डांट-फटकार कर आगे बढ़ा दिया गया।

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Neel Tiwari
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Maharashtra Madhya Pradesh MLA
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महाकुंभ दर्शन करने दूसरे प्रदेशों से आ रहे हैं श्रद्धालुओं पर वसूलीखोरों की नजर गिद्ध की तरह जम हुई है। चेकिंग के नाम पर प्रदेश बॉर्डर क्रॉस करने वाले श्रद्धालुओं से 500 रुपए की अवैध वसूली की जा रही है। जिसकी जानकारी उन्होंने जबलपुर के विधायक इंदु तिवारी को दी।

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चेकिंग के नाम पर अवैध वसूली का जाल

श्रद्धालुओं के अनुसार जैसे ही वे मध्य प्रदेश की सीमा में प्रवेश करते हैं, कुछ लोग वर्दी और सादे कपड़ों में खड़े होकर गाड़ियों को रोकते हैं। दस्तावेज़ जांच के बहाने 500 रुपये की पर्ची थमा दी जाती है। अवैध वसूली के बदले जो पर्ची दी गई है उसमें ढाबे की सील लगी हुई नज़र आ रही है। इन पर्चियों में न तो किसी सरकारी विभाग की मुहर है और न ही कोई वैध प्रमाण। यदि श्रद्धालु सवाल पूछने का प्रयास करते हैं, तो उन्हें ‘सरकारी नियमों’ का हवाला देते हुए डरा-धमकाकर पैसे वसूल किए जाते हैं। कई बार परिवार के साथ यात्रा कर रहे श्रद्धालु झगड़े के डर से चुपचाप पैसे देकर आगे बढ़ जाते हैं।

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श्रद्धालुओं की आपबीती, डर और मजबूरी का खेल

महाकुंभ के दर्शन के लिए परिवार के साथ निकले श्रद्धालु की बॉर्डर पर गाड़ी रोकी गई और कहा गया कि सुरक्षा शुल्क के तौर पर 500 रुपये जमा करने होंगे। श्रद्धालुओं ने जब नियमों के बारे में पूछा तो हमें डांट-फटकार कर आगे बढ़ा दिया गया। डर के मारे हमने पैसे दे दिए। बाद में पता चला कि यह सब अवैध वसूली थी। यह बेहद शर्मनाक है कि आस्था के नाम पर भी अब लोगों से पैसा वसूला जा रहा है। जब श्रद्धालुओं ने विरोध किया तो कहा गया कि गाड़ी जब्त कर ली जाएगी।

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महाराष्ट्र बॉर्डर पर मांगे 18 हजार और 200 रुपए में छोड़ा

महाराष्ट्र की बॉर्डर पर एक गंभीर मुद्दा सामने आया है, जहां परमिट होने के बावजूद यात्रियों की गाड़ियां रोकी जा रही हैं और उन्हें अवैध रूप से पैसे देने के लिए मजबूर किया जा रहा है। खबरों के मुताबिक, करवड़ा चौराहे पर श्रद्धालुओं को रोका गया और उनसे कहा गया कि उनके पास स्थानीय परमिट नहीं है, जिसके कारण उन्हें आगे जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके बाद, श्रद्धालुओं से 18 हजार रुपए की मांग की गई। जब उनके पास इतनी राशि नहीं थी, तो उन्हें 200 रुपए देने के बाद ही जाने दिया गया। अधिकारीगण न केवल रिश्वत लेने में लिप्त थे, बल्कि श्रद्धालुओं से गाली-गलौज भी की गई। यह घटना उस वक्त घटित हुई जब श्रद्धालु केवल अपनी धार्मिक यात्रा पर थे, और उन्हें इस तरह के अप्रत्याशित उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। आश्चर्य की बात यह है कि इस पूरे लेन-देन का कोई आधिकारिक दस्तावेज या रसीद भी नहीं दी गई।

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विधायक ने शिकायत पर बंद कराया चेक पोस्ट

पनागर के विधायक सुशील इंदु तिवारी के द्वारा प्रयागराज श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन किया गया था। दूसरे प्रदेशों से आने वाले श्रद्धालुओं ने यहां पर मीडिया के सामने विधायक से इस अवैध वसूली की शिकायत करते हुए अवैध पर्चियां दिखाई। इसके बाद इंदु तिवारी ने आरटीओ से संपर्क कर चेकपोस्ट को हटवा तो दिया लेकिन वह यह कहते हुए नजर आए कि किसी एक व्यक्ति की गलती के कारण पूरे विभाग को बदनाम नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि, इस मामले में अवैध वसूली कर रहे पुलिस कर्मियों या अन्य के खिलाफ किसी भी कार्यवाही की कोई बात विधायक जी ने नहीं की है।

प्रशासन पर उठते सवाल

अवैध चेक पोस्ट में वसूली के बड़े नेटवर्क का पहले भी खुलासा हो चुका है। ऐसे में महाकुंभ के दौरान प्रशासन की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठने लगे हैं। आखिर राज्य की बॉर्डर में की जा रही अवैध वसूली अधिकारियों की नजरों से कैसे बची हुई है। जिस तरीके से खुलेआम यह अवैध वसूली की गई तो उससे तो यही नजर आ रहा है कि इसमें ऊपर से लेकर नीचे तक मिली भगत के साथ बंदरबांट भी होती होगी। ये सवाल न केवल प्रशासन की जिम्मेदारी पर सवाल खड़े करते हैं, बल्कि इस पूरे मामले में उनके नकारात्मक रवैये और लापरवाही को भी उजागर करते हैं। प्रशासन के लिए अब इन सवालों का जवाब देना और कार्रवाई करना एक बड़ी चुनौती बन चुका है, क्योंकि श्रद्धालुओं का भरोसा और कानून-व्यवस्था दोनों ही दांव पर लगे हैं।

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