MP के इन छह शहरों में होते हैं सबसे ज्यादा हादसे, एक्सीडेंट रोकने सरकार चलाएगी मिशन

केंद्र सरकार ने सड़क हादसों में सबसे आगे रहने वाले देश के 100 जिलों की सूची बनाई है। अब जिला स्तर पर गंभीर दुर्घटनाओं के कारणों का विश्लेषण किया जाएगा।

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Rohit Sahu
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देशभर में सड़क दुर्घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। इसी को लेकर केंद्र सरकार ने एक सर्वे कराया, जिसमें ऐसे 100 जिलों की लिस्ट बनी जहां सबसे ज्यादा सड़क हादसे हो रहे हैं। 100 शहरों की इस लिस्ट में मध्यप्रदेश के 6 जिले भी शामिल हैं। इन 6 जिलों में सबसे ज्यादा हादसे हो रहे हैं।

हादसे वाले शहरों की लिस्ट में MP के ये शहर

केंद्र के सर्वे में एमपी के 6 शहरों का भी नाम है जिनमें सबसे ज्यादा हादसे होते हैं। इन शहरों में धार, सागर, सतना, रीवा, जबलपुर और खरगोन शामिल हैं। इसमें से सबसे ज्यादा खराब हालत धार के हैं, यहां सबसे गंभीर हादसे होते हैं।

हादसों से निपटने के लिए केंद्र का ये प्लान

केंद्र सरकार ने तय किया है कि इन जिलों में एक खास अभियान चलाया जाएगा जिसका नाम है। Zero Fatality District Program। इसका मतलब है, हादसों को पूरी तरह रोकने की कोशिश करना। इसके लिए हर जिले में सड़क दुर्घटना के कारणों को ढूंढा जाएगा और उस हिसाब से सुधार किए जाएंगे।

प्रशासन, पुलिस और इंजीनियर मिलकर तैयार करेंगे एक्शन प्लान

सड़क दुर्घटनाओं पर रोक लगाने के लिए जिला प्रशासन, सड़क एजेंसियों के इंजीनियर और स्थानीय पुलिस मिलकर योजना बनाएंगे। संभावित दुर्घटना स्थलों और कॉरिडोर को चिन्हित किया जाएगा, जहां बार-बार हादसे हो रहे हैं या भविष्य में हो सकते हैं। यह जानकारी स्थानीय निकाय, आमजन और पुलिस से लेकर NIC के E-DAR पोर्टल पर भी चढ़ाई जाएगी। सभी चयनित स्थानों का व्यक्तिगत रूप से निरीक्षण किया जाएगा।

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E-DAR पोर्टल क्या है?

ई-डीएआर (e-DAR) का पूरा नाम है "ई-विस्तृत दुर्घटना रिपोर्ट"। यह एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जिसे सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) द्वारा तैयार किया गया है। इस प्लेटफॉर्म का मकसद सड़क दुर्घटनाओं से जुड़ी जानकारियों को ऑनलाइन दर्ज करना और एकत्रित करना है। इसका मुख्य उद्देश्य सड़क सुरक्षा को बेहतर बनाना और दुर्घटना पीड़ितों को समय पर मुआवजा एवं अन्य सहायता उपलब्ध कराना है।

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IIT मद्रास की मदद से बनेगी माइक्रो प्लानिंग

IIT मद्रास के Center of Excellence for Road Safety ने सुझाव दिए हैं कि दुर्घटना स्थलों पर माइक्रो इंटरवेंशन यानी स्थानीय और कम लागत के उपाय लागू किए जाएं। इसी आधार पर इंजीनियर उन स्पॉट्स पर सुधार कार्य करेंगे।

फिर इन उपायों का प्रस्तुतीकरण जिला सड़क सुरक्षा समिति में किया जाएगा, जिसमें कलेक्टर, नोडल अफसर और तकनीकी अधिकारी शामिल रहेंगे।

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कम लागत वाले उपायों के लिए फंडिंग का भी रास्ता साफ

इन सुधार कामों में आने वाले खर्च को लेकर लोक निर्माण विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि सभी ज़िलों में बजट सुनिश्चित किया जाए। 

यह फंड जिला खनिज प्रतिष्ठान निधि (DMF), सांसद निधि और विधायक निधि से भी जुटाया जा सकता है। मुख्य सचिव द्वारा इस पूरे अभियान की नियमित समीक्षा की जा रही है, और कलेक्टर्स को पूरी जिम्मेदारी सौंपी गई है।

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