इंदौर पुलिस ने 2000 करोड़ की आस्था एजुकेशन में संघवी के कहने पर की FIR, उन्हें HC ने किया बाहर

इंदौर की श्री आस्था फाउंडेशन फॉर एजुकेशन सोसायटी, जिसकी संपत्ति लगभग 2000 करोड़ रुपये है, इस समय विवादों में घिर गई है। पूर्व अध्यक्ष अनिल संघवी के कहने पर पंढरीनाथ थाने में...

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Sanjay Gupta
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इंदौर की चर्चित श्री आस्था फाउंडेशन फॉर एजुकेशन सोसायटी जिसके पास करीब दो हजार करोड़ की संपत्ति है, इसमें अनिल संघवी को तगड़ा झटका लग गया है। साथ ही इंदौर पुलिस द्वारा की गई एफआईआर से उन पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। कारण है सोसायटी के पूर्व प्रेसीडेंट व बिल्डर अनिल संघवी के कहने पर पंढरीनाथ पुलिस ने रात 12 बजकर 16 मिनट पर केस दर्ज किया, हाईकोर्ट ने उन्हें वैध सदस्य ही नहीं माना और बाहर का रास्ता दिखा दिया। संघवी ने जिस पर केस दर्ज कराया, उन एलएनसीटी ग्रुप के चौकसे गुट को वैध सदस्य माना गया है।

तीसरी बार आया हाईकोर्ट से फैसला

इस सोसायटी को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हाईकोर्ट द्वारा की गई सुनवाई पर अब यह तीसरी बार फैसला आया है, जिसमें 15 मार्च 2024 की वोटर लिस्ट पर चुनाव कराने के आदेश हो गए हैं। इस लिस्ट में संघवी नहीं है, अब संघवी बाहर हो गए हैं और एलएनसीटी भोपाल के चौकसे ग्रुप इस सोसायटी में अंदर आ चुका है जो पहले बाहर हो गया था। हाईकोर्ट ने आदेश दिनांक से चार सप्ताह यानी 22 मई तक सोसायटी के चुनाव कराने के आदेश फर्म एंड सोसायटी को दिए हैं।

डीसीपी मीणा, एडि. डीसीपी यादव, टीआई शर्मा ने क्या किया

लेकिन हाईकोर्ट के इस आदेश से अब सवाल पुलिस पर उठ गए हैं। पुलिस ने अनिल संघवी के 2021 के आवेदन के आदेश पर सात अप्रैल को चौकसे गुट पर धोखाधड़ी का केस दर्ज कर लिया, जबकि इस सोसायटी में संघवी किसी पद पर नहीं थे और सुप्रीम कोर्ट उन्हें हटाकर हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस शांतनु केमकर को प्रशासक बना चुका था। उधर हाईकोर्ट ने भी अब संघवी को बाहर कर दिया और चौकसे को ही वैध सदस्य मानते हुए फिर से चुनाव कराने के आदेश दे दिए। इस पूरी घटना में टीआई पंढरीनाथ कपिल शर्मा (जिन्हें उनकी हरकतों के कारण अटैच किया गया है), एडिशनल डीसीपी आनंद यादव और डीसीपी ऋषिकेश मीणा इनकी कार्यशैली पर सवाल खड़े हो गए हैं। वैसे भी 5 अप्रैल की रात 12 बजकर 16 मिनट पर यह केस दर्ज किया गया। पुलिस हाईप्रोफाइल मामलों में और गोपनीयता बनाए रखने के लिए ही रात 12 बजे बाद केस दर्ज करती है। हालांकि डीसीपी ने इस मामले में द सूत्र को पहले कहा था कि जब एफआईआर हुई वह छुट्टी पर थे और केस डायरी दिखवा रहे हैं लेकिन इसके बाद उन्होंने क्या किया इस पर पूछने पर भी कोई जवाब नहीं दिया। वैसे भी चार सौ बीसी की एफआईआर बिना डीसीपी की मंजूरी के होती ही नहीं है। यानी साफ है कि उन्होंने भी कहीं न कहीं इसके लिए मंजूरी दी थी।

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अब इन सदस्यों की लिस्ट पर होंगे चुनाव

हाईकोर्ट जस्टिस सुबोध अभ्यंकर और जस्टिस प्रेमनारायण सिंह द्वारा दिए गए फैसले के आधार पर सोसायटी और फर्म एंड सोसायटी के बीच हुए अंतिम पत्र व्यवहार के आधार पर 15 मार्च 2024 की लिस्ट पर चुनाव होंगे। इसमें कुल 18 सदस्य हैं जिसमें जय नारायण चौकसे, अनुपम चौकसे, पूनम चौकसे, श्वेता चौकसे, पूजाश्री चौकसे, धर्मेंद्र गुप्ता, आशीष जायसवाल, राकेश धाकरे, बीएल राय, वीरेंद्र राय, मोहित पंड्या, पवन चौकसे, उपेंद्र सिंह तोमर, उजमा खान, रामेश्वर चौकसे, शोभा चौकसे, सुनील चौकसे, जेपी शर्मा हैं। यही 18 मेंबर वोट कर सकेंगे।

इसके पहले हाईकोर्ट ने 30 जनवरी 2016 की लिस्ट पर कराए चुनाव

इसके पहले हाईकोर्ट इंदौर ने अक्टूबर 2024 में फर्म एंड सोसायटी को आदेश दिए थे कि वह 30 जनवरी 2016 की लिस्ट के आधार पर चुनाव कराएं। यह चुनाव आठ दिन में हो गए और इसमें अनिल संघवी प्रेसीडेंट बन गए, पूरे ग्रुप पर संघवी का कब्जा हो गया। इस वोटर लिस्ट में डॉ. रमेश बदलानी, अनिल संघवी, मनीष खतवानी, शंकुतला बदलानी, विजय लक्ष्मी खतवानी, चंदन संघवी, भारती नवलानी, रजत संघवी, राहिल संघवी, अनूप संघवी, संध्या संघवी, आदित्य संघवी, आशी संघवी, अंबर संघवी, राजेश जैन, अशोक सोनी, डॉ. तृप्ति मूरलत, हेमलता मालू, पुष्पा चेलावत, डॉ. वीके मालू, डॉ. राबुल मालू कुल 21 सदस्य शामिल थे।

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सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासक नियुक्त कर दिया

सुप्रीम कोर्ट में यह मामला दो बार गया, पहली बार में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिए कि चुनाव 30 जनवरी 2016 की वोटर लिस्ट पर नहीं किए जाएं और बाकी मुद्दे पर हाईकोर्ट सुनवाई करे लेकिन हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2024 में 30 जनवरी की ही लिस्ट पर ही चुनाव कराने के आदेश दे दिए। जब चुनाव हो गए तो फिर चौकसे गुट सुप्रीम कोर्ट गया और वहां सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर हैरानी जताई और 30 जनवरी 2016 की लिस्ट पर हुए चुनाव को खारिज कर शून्य कर दिया और हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस शांतनु केमकर को प्रशासक नियुक्त कर दिया और साथ ही रिटायर्ड जस्टिस वेदप्रकाश, सीए एसोसिएशन के पूर्व प्रेसीडेंट सीए मनोज फणडवीस, रिटायर्ड एडीएम ओपी श्रीवास्तव व अन्य की कमेटी बतौर प्रशासक नियुक्त पांच सदस्यीय कमेटी बना दी। इसके साथ ही हाईकोर्ट को फिर से मामला सुनने के लिए भेजा। इसके बाद हाईकोर्ट ने एक बार फिर मामले की मार्च माह में सुनवाई की और आदेश रिजर्व रख लिया, जिस पर अब आदेश आ गया है।

संघवी की शिकायत पर पंढरीनाथ पुलिस ने कर ली एफआईआर

पांच अप्रैल को पूर्व प्रेसीडेंट अनिल संघवी की शिकायत पर इस ग्रुप पर पूर्व में काबिज एलएनसीटी ग्रुप के चौकसे परिवार के कई सदस्यों के साथ कुल 21 लोगों पर पंढरीनाथ थाने में रात 12 बजकर 16 मिनट पर चार सौ बीसी की एफआईआर कर ली थी। मामला एलएनसीटी विद्यापीठ, सेवाकुंज अस्पताल और ग्रुप की करीब दो हजार करोड़ की संपत्तियों का है। ऐसे में बिना मौजूदा कमेटी की मंजूरी लिए पुलिस ने साल 2021 की एक शिकायत की आनन-फानन में जांच की और इसमें चौकसे गुट के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली।

इन पर की गई एफआईआर

पुलिस ने श्वेता पत्नी अनुपम चौकसे, धर्मेंद्र गुप्ता, पूजा चौकसे, आशीष जायसवाल, अशोक राय, बीएल राय, विशाल शिवहरे, संदीप शिवहरे, ललित मंदनानी, राकेश सहदेव, धनराज मीणा, वेद प्रकाश भार्गव, भूपेंद्र बघेल, विराट जायसवाल, उपेंद्र तोमर, मनोज, राजेश अग्रवाल, विजेंद्र ओझा, रत्नेश मिश्रा, सागर शिवहरे और संजीव उपाध्याय के खिलाफ कूटरचित दस्तावेज बनाने और उनके दुरुपयोग का मामला दर्ज किया।

सुप्रीम कोर्ट से हाईकोर्ट तक यह केस अभी

इस मामले में संस्था के चुनाव को लेकर कई केस लगे, अनिल संघवी की याचिका पर हाईकोर्ट ने 30 जनवरी 2016 की स्थिति में वोटर लिस्ट (21 सदस्य) के आधार पर चुनाव कराने के आदेश दिए। इस पर मामला सुप्रीम कोर्ट गया और सुप्रीम कोर्ट ने इसमें साफ कहा कि 30 जनवरी 2016 की वोटर लिस्ट पर चुनाव नहीं होंगे, हाईकोर्ट फिर से पक्ष सुनकर इसमें आदेश जारी करे। हाईकोर्ट ने फिर 4 अक्टूबर 2024 को ही आदेश जारी फिर से 30 जनवरी 2016 की ही लिस्ट से ही 15 दिन में चुनाव जारी कराने के आदेश दे दिए। इसमें 8 अक्टूबर 2024 को ही फर्म एंड सोसायटी से चुनाव हो गए और संघवी प्रेसीडेंट बन गए व उनके गुट के अन्य सचिव व मेंबर बन गए। इस पर चौकसे ग्रुप (श्वेता पत्नी अनुपम चौकसे व अन्य) सुप्रीम कोर्ट गए। वहां हाईकोर्ट के आदेश पर गहरी नाराजगी जाहिर की गई और साफ कहा कि जब 30 जनवरी 2016 की लिस्ट पर चुनाव नहीं होने थे फिर कैसे हुए, उन्होंने संघवी व अन्य चुने गए पदाधिकारियों के चुनाव को खारिज कर दिया और रिटायर्ड जस्टिस केमकर को प्रशासक बना दिया। साथ ही पूर्व में हाईकोर्ट में सुनवाई कर खिलाफ आदेश देने वाली बेंच को इसकी फिर से सुनवाई पर रोक लगा दी। यह आदेश चार फरवरी 2025 को हुए। इसके बाद वहां प्रशासक मौजूद हैं। हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी और आदेश के बाद फिर इस केस में नए सिरे से सुनवाई की और आदेश रिजर्व रख लिया था जो अब जारी हो गया है।

सेवाकुंज अस्पताल, सोसायटी की संपत्ति की ख्वाहिश

संस्था में 2016 की स्थिति में बदलानी प्रेसीडेंट थे। इसमें अनिल संघवी, चंदन संघवी, मनीष खतवानी और भारती नवलानी 4 जनवरी 2016 को नए मेंबर बने। अभय सुराणा, विमल छजलानी, विमल सुराणा और दिलीप रिटायर्ड हुए। फिर 30 जनवरी को चुनाव हुए और बदलानी प्रेसीडेंट और संघवी सचिव, खतवानी कोषाध्यक्ष बने। इसके बाद इसमें 2020 में ग्वालियर के पुनिल अग्रवाल व अन्य की एंट्री होती है। वह इस ग्रुप को टेकओवर करते हैं। लेकिन 2021 में वह बाहर होते हैं और इसमें जयनारायण चौकसे, उनके पुत्र अनुपम चौकसे, अनुपम की पत्नी श्वेता चौकसे व उनके करीबी इंटर होते हैं, अग्रवाल ग्रुप और उनके बीच के समझौते से यह होता है और यह ग्रुप बदलानी, अग्रवाल से होते हुए चौकसे के पास पहुंच जाता है। लेकिन इसमें सदस्यता सूची को संघवी चैलेंज करते हैं और कहते हैं कि यह सदस्यता सूची ही गलत थी।

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