इंदौर की आस्था फाउंडेशन में फर्जी वोटर लिस्ट मामले में 21 सदस्यों पर एफआईआर
इंदौर के न्यू पलासिया स्थित एक निजी संस्था में दस्तावेजों की फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया है। संस्था की सचिव श्वेता चौकसे ने फर्जी संस्था बनाकर सरकारी दफ्तरों में फर्जी कागजात जमा किए।
इंदौर की एक संस्था आस्था फाउंडेशन फॉर एजुकेशन सोसायटी में फर्जीवाड़े को लेकर एक बार फिर मामला सामने आया है। संस्था के सचिव अनिल संघवी ने पंढ़रीनाथ थाने में संस्था के 21 सदस्यों के खिलाफ चुनाव में फर्जीवाड़ा किए जाने को लेकर शिकायत की थी। पुलिस ने जांच के बाद आरोपियों के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471, 34 के तहत एफआईआर दर्ज की है। इसमें बताया गया है कि संस्था के सदस्यों ने चुनाव प्रक्रिया के दौरान सदस्यों की वोटर लिस्ट आदि में फर्जीवाड़ा किया गया था। यह मामला हाईकोर्ट गया और कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव कराए जा चुके हैं और अब शिकायतकर्ता अनिल संघवी इस संस्था में अध्यक्ष हैं। संस्था में सचिव के पद पर रहते उन्होंने यह शिकायत की थी। उसमें जांच के बाद पुलिस ने अब एफआईआर दर्ज की है।
संस्था भी फर्जी बनाए और गलत कागज किए जमा
इंदौर के न्यू पलासिया स्थित एक निजी संस्था में दस्तावेजों की फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया है। संस्था की सचिव श्वेता चौकसे ने फर्जी संस्था बनाकर सरकारी दफ्तरों में फर्जी कागजात जमा किए। पंढरीनाथ थाना पुलिस ने शनिवार को इस मामले में केस दर्ज किया है। शिकायत आस्था फाउंडेशन फॉर एजुकेशन सोसायटी के सचिव अनिल संघवी की ओर से की गई थी। उन्होंने बताया कि संस्था की जनरल मीटिंग में वर्ष 2016 में उन्हें सचिव और रमेश बदलानी को अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। इसके बाद उन्होंने संबंधित दस्तावेज सहायक पंजीयक कार्यालय में जमा किए थे।
अनिल संघवी ने भोपाल सहित अन्य कार्यालयों में भी शिकायत की थी। पुलिस ने जांच के बाद जिन 21 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है उसमें श्वेता चौकसे, धर्मेंद्र गुप्ता, पूजा चौकसे, आशीष जायसवाल, अशोक राय, बीएल राय, विशाल शिवहरे, संदीप शिवहरे, ललित मंदनानी, राकेश सहदेव, धनराज मीणा, वेदप्रकाश भार्गव, भूपेन्द्र बघेल, विराट जायसवाल, उपेन्द्र तोमर, मनोज, राजेश अग्रवाल, विजेंद्र ओझा, रत्नेश मिश्रा, सागर शिवहरे और संजीव उपाध्याय के खिलाफ कूटरचित दस्तावेज बनाने और उनके दुरुपयोग का मामला दर्ज किया है। मामले की जांच जारी है।
संघवी द्वारा पंढ़रीनाथ पुलिस में की एफआईआर के अनुसार, 2016 के बाद संस्था में कोई चुनाव नहीं हुआ। बावजूद इसके, डॉक्टर रमेश बदलानी ने अन्य गैर-सदस्यों के साथ मिलकर फर्जी जानकारी दी और नए सदस्य जोड़कर कार्यकारिणी बना ली। इस दौरान सरकारी सील और पंजीयक के हस्ताक्षर की भी नकल की गई।
उन्हाेंने आरोप लगाए हैं कि 16 जनवरी 2021 को संस्था की दो अलग-अलग चुनावी सूचियां तैयार की गईं। एक सूची पंजीयक कार्यालय में जमा हुई, जबकि दूसरी में फर्जी सील लगाकर अन्य सरकारी कार्यालयों में प्रस्तुत की गई।
इस मामले में बाद में डॉक्टर आनंद राय की रिट याचिका पर सुनवाई के दौरान सोसायटी की अध्यक्ष श्वेता चौकसे और अन्य सदस्यों ने हाईकोर्ट को यह जानकारी दी कि संस्था में कोई वैध चुनाव नहीं हुआ था, लेकिन फर्जी दस्तावेज तैयार कर पदभार सौंपा गया।