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इंदौर एग्रीकल्चर कॉलेज के डीन डॉ. भरत सिंह के खिलाफ छात्रों की चल रही लंबी लड़ाई के बाद सात जुलाई को डीन को हटाने के आदेश भोपाल से हो गए थे। साथ ही इनके खिलाफ विस्तृत जांच के भी आदेश हुए थे। कृषि मंत्री के आदेश पर विभाग से यह पत्र शासन से जारी हुआ। इसके खिलाफ डीन सिंह ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन उनकी याचिका खारिज हो गई है।
हाईकोर्ट में डीन ने दिए थे तर्क
इस मामले में डीन ने तर्क दिए थे कि मध्य प्रदेश शासन को विश्वविद्यालय के काम में दखल देने का अधिकार नहीं है। ऐसे में उन्हें हटाने का यह पत्र वह जारी नहीं कर सकते हैं। इसलिए आदेश पर रोक लगनी चाहिए। सात जुलाई को मध्य प्रदेश किसान कल्याण व कृषि विकास विभाग के उप सचिव संतोष वर्मा ने इस संबंध में राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि महाविद्यालय ग्वालियर के कुलसचिव को पत्र भेजा था।
इसमें कहा गया कि- प्रस्ताव बनाकर डीन डॉ. भरत सिंह को अन्य किसी एग्रीकल्चर कॉलेज में या फिर कृषि विश्वविद्यालय में ट्रांसफर किया जाए। साथ ही विस्तृत जांच प्रतिवेदन भी पेश किया जाए। डीन डॉ. सिंह के खिलाफ राजभवन, मुख्यमंत्री कार्यालय, मंत्री, मुख्य सचिव कार्यालय आदि के जरिए प्राप्त शिकायतों पर मध्य प्रदेश शासन स्तर से जांच समिति गठित की गई थी। शिकायतें समिति को दी गईं थीं।
इसकी जांच में डीन डॉ. भरत सिंह को प्रथमदृष्टया दोषी पाया गया। इसका प्रतिवेदन विभाग को मिला है। इस पर मंत्री किसान कल्याण व कृषि विभाग ने आदेश दिए हैं कि डीन को तत्काल वहां से हटाया जाए ताकि मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच की निष्पक्षता और गोपनीयता बनी रहे।
इस पर हाईकोर्ट में शासन ने यह दिया जवाब
इस मामले में शासन की ओर से साफ कहा गया कि विश्वविद्यालय मध्य प्रदेश शासन के विश्वविद्यालय एक्ट 2009 के तहत स्थापित है। इसकी धारा 11 के तहत शासन निरीक्षण कर सकता है। वहीं यह भी बात उठी कि यह पत्र वैसे भी डीन को नहीं भेजा गया था, बल्कि शासन ने कुलसचिव को भेजा था, जब पत्र उन्हें संबोधित ही नहीं था तो उन्हें कैसे मिला और अभी तो सरकार ने कोई कार्रवाई भी नहीं की है तो फिर वह कैसे याचिका लगा सकते हैं।
मुझे पत्र छात्रों से मिला
वहीं डीन ने कहा कि उन्हें यह पत्र शासन से नहीं मिला है, लेकिन यह छात्रों के बीच सर्कुलेट हो रहा था और वहीं से यह पत्र मिला है। उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है, जबकि शासन का क्षेत्राधिकार नहीं है, इसलिए स्टे मिलना चाहिए। वहीं सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने इस याचिका को प्रीमैच्योर बताते हुए खारिज कर दिया। डीन को कोई राहत नहीं मिली है।
इंदौर एग्रीकल्चर कॉलेज के डीन डॉ. भरत सिंह के मामला एक नजर में
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छात्रों ने उठाई थी डीन के खिलाफ जांच की मांग
यह आदेश कृषि महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं द्वारा लंबे समय से उठाई जा रही आवाज और शिकायतों का परिणाम है। डॉ. भरत सिंह पर कैंपस को राजनीति का अखाड़ा बनाने, छात्रों को चिन्हित करके पक्षपातपूर्ण कार्रवाई करने, महिला प्रोफेसर के साथ दुर्व्यवहार करने के आरोप लगे थे।
कृषि महाविद्यालय इंदौर के छात्रों का कहना है कि हम इस निर्णय का स्वागत करते हैं। इसे छात्र-युवाओं की आवाज और एकजुट संघर्ष की जीत मानते हैं। यह हमारी उस लगातार चल रही मुहिम का हिस्सा है। इसमें हमने शिक्षा संस्थानों में पारदर्शिता, जवाबदेही और छात्र अधिकारों की रक्षा के लिए निरंतर संघर्ष किया है। हमारी सरकार से प्रार्थना है कि इंदौर कृषि महाविद्यालय में नया अधिष्ठाता योग्यता और ईमानदारी के आधार पर नियुक्त किया जाए।
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