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INDORE. इंदौर से भोपाल तक का सफर अब और महंगा होगा। इंदौर से देवास तक का हिस्सा जहां नेशनल हाईवे अथॉरिटी के हिस्से में आता है, वही देवास से भोपाल तक का रोड राज्य सरकार का है। देवास से भोपाल तक का टोल तो पहले ही दस रुपए बढ़ चुका था, अब इंदौर से देवास के बीच का हिस्सा 30 रुपए महंगा हो गया है।
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इस तरह अब लग रहा टोल
यदि इंदौर से बायपास होकर देवास और भोपाल की ओर जाते हैं तो देवास के पहले टोल अब 95 रुपए होगा, जो पहले कार के लिए 65 रुपए था। वहीं मांगलिया की ओर से आते हैं तो कार के लिए टोल 25 रुपए होगा, जो पहले 20 रुपए था।
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इंदौर से देवास के बीच टोल अब यह-
बायपास टोल पर
कार के लिए पहले 65 रुपए था, जो अब 95 रुपए होगा।
कमर्शियल वाहन के लिए पहले 225 रुपए था, अब 360 रुपए।
बस व ट्रक के लिए पहले 105 रुपए थे, अब यह 155 रुपए होगा।
मांगलिया टोल पर
कार के लिए पहले 29 रुपए था, जो अब 25 रुपए होगा।
कमर्शियल वाहन के लिए पहले 30 रुपए था, अब 40 रुपए।
बस व ट्रक के लिए पहले 65 रुपए थे, अब यह 80 रुपए होगा।
वहीं देवास से भोपाल तक लग रहा टोल
भोपाल से देवास मार्ग पर तीन टोल प्लाजा हैं। पहले बैरियर फंदा पर कार के 35 रुपए लगेंगे, जो एक अप्रैल से पहले 33 रुपए थे। वहीं दूसरे टोल पर पहले 42 रुपए लगते थे, जो अब 45 रुपए हो चुके हैं और वहीं तीसरे टोल पर पहले 72 थे, जो अब 77 रुपए हो चुके हैं। इस तरह देवास से भोपाल के बीच 157 रुपए एक ओर के टोल में लग जाते हैं।
इस तरह पांच गुना अधिक वसूल चुके टोल
हाल ही में विधानसभा में हुए एक सवाल के जवाब में पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह ने देवास-भोपाल, लेबड़- जावरा और जावरा-नयागांव के बीच टोल वसूली का हिसाब-किताब दिया था। इस अधिक वसूली को लेकर निर्दलीय विधायक पारस सखलेचा भी याचिका दायर कर चुके हैं। वहीं विधानसत्रा में मंत्री द्वारा दिए गए जवाब के अनुसार मप्र के तीन टोल पर इस तरह वसूली हो रही है।
1. देवास से भोपाल के बीच में टोल 2007 में स्वीकृत हुआ था। इस रोड की लागत 345 करोड़ रुपए थी और इस पर कंपनी ने घाटा बताते हुए सरकार से वाइबिलिटी गैप फंड यानी वीजीएफ के नाम पर 81 करोड़ भी अलग से लिया था। कंपनी अभी तक इस पर 1710 करोड़ रुपए वसूल चुकी है, यानी लागत का 5 गुना। अभी कंपनी और अक्तूबर 2033 तक वसूली करेगी। वहीं इंडियन टोल एक्ट के अनुसार अवधि के 15 साल तक ही किसी रोड पर टोल होना चाहिए। लेकिन मप्र सरकार लगातार कंपनी को टोल राशि की खुली छूट दे रही है और इसमें हर साल इजाफा हो रहा है।
2. विधानसभा में ही मिली जानकारी के अनुसार देवास से भोपाल के बीच हर साल कंपनी औसतन 280 करोड़ रुपए वसूलेगी, यानी यह कंपनी अक्तूबर 2033 तक 2200 करोड़ और वाहन चालकों से वसूल चुकी होगी। इस तरह रोड बनने के बाद से टोल खत्म होने तक कंपनी की वसूली करीब 4000 करोड़ रुपए होगी, जो रोड बनाने की लागत का 11 गुना से अधिक होगा।
3. इसी तरह लेबड़-जावरा रोड पर 589 करोड़ रुपए की लागत आई थी और इसमें कंपनी अभी तक 2004 करोड़ रुपए वसूल चुकी है, यानी लागत का करीब साढ़े तीन गुना अधिक और अभी कंपनी अप्रैल 2038 तक वसूली करेगी।
वहीं जावरा-नयागांव रोड की लागत 425 करोड़ रुपए थी और कंपनी अभी तक यहां 2271 करोड़ रुपए वसूल चुकी है, लागत का करीब साढ़े पांच गुना अधिक और यह वसूली भी अक्तूबर 2033 तक जारी रहेगी।