इंदौर के विवादित बिल्डर में शामिल और अब चार सौ बीसी की एफआईआर के बाद श्री 420 के नाम से पहचान रखने वाले संजय दासौद की धांधली बाजार में जारी है। वह भले ही पुलिस से बचते फिर रहे हैं और अग्रिम जमानत की कोशिश में लगे हुए हैं, लेकिन उनके एजेंट और व्यक्तिगत ग्रुप सॉलिटेयर की कॉलोनियों में बुकिंग का खेल जारी है। जबकि इसमें से कुछ प्रोजेक्ट में तो अभी तक विकास मंजूर से लेकर रेरा तक कुछ भी नहीं है।
उधर, दासौद अभी केवल एक ही कॉलोनी में धोखाधड़ी करने में फंसे है, बाकी अन्य प्रोजेक्ट की जांच जारी है। इसके लिए दासौद हर जगह से जोर लगा रहे हैं कि आगे कैसे भी करके कार्रवाई नहीं हो। उन्हें बचाने के लिए इंदौर से लेकर भोपाल तक उनके खास लोग लगे हुए हैं।
वर्क इस वर्कशिप का लगाया है आदर्श वाक्य
सॉलिटेयर ग्रुप, संजय दासौद द्वारा बनाया गया क्योंकि दासौद की हरकतें देखते हुए ही बहुत पहले ही इनके पार्टनर इनसे अलग हो चुके हैं। संजय दासौद ही मुख्य कर्ताधर्ता है। इस ग्रुप का आदर्श वाक्य संजय दासौद ने बनाया है- वर्क इस वर्कशिप, यानी काम ही पूजा है। वहीं मैदान में दासौद की धोखाधड़ी का आलम यह है कि प्लाटधारक तो छोड़िए अब तो सरकार को ही बंधक प्लाट बेचकर चूना लगा दिया है।
सॉलिटेयर ग्रुप के दो ही प्रोजेक्ट रेरा में
इस ग्रुप के दो ही प्रोजेक्ट सालिटेयर कॉरीडोर और शंखेशवर विहार को रेरा से मंजूरी मिली है। इसके अलावा दासौद ने सिम्बा, शिवनगरी और एफिल सिटी में बुकिंग जारी रखी है। इनके लिए एजेंट खुलकर बाजार में घूम रहे हैं और कागजों पर बुकिंग ले रहे हैं। बताया जा रहा है कि 60 फीसदी से ज्यादा माल कागजों यानी रसीदों पर (अब डायरी बंद कर दी) बेचा जा चुका है।
उधर किसानों ने सौदे रद्द कर दिए
दासौद के आने वाले प्रोजेक्ट में भूमाफिया चंपू अजमेरा जैसी समस्या आने वाली है। कारण है कि जिस तरह चंपू ने किसानों से दिखावटी सौदे किए और टोकन राशि भर दी और किसानों की जमीन पर प्लाट बुकिंग कर रुपए हजम कर लिए और किसान से सौदा पूरा नही किया, वहीं अब दासौद कर रहा है।
दासौद के साथ शिवनगरी व अन्य प्रोजेक्ट में राशि पूरी नहीं मिलने के चलते किसानों ने सौदा रद्द करने के नोटिस जारी कर दिए हैं। समस्या यही है कि दासौद तो यह जमीन मिलने का झांसा देकर पहले ही प्लाट काटकर रसीदों पर बेच चुका है।
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