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इंदौर के चंदननगर वार्ड दो में मुस्लिम नाम पर गलियों के नाम रखते हुए बोर्ड लगाने के विवाद में जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर सहायक इंजीनियर वैभव देवलासे और सब इंजीनियर राम गुप्ता पर कार्रवाई होगी। लेकिन ठेकेदार का बचाव हो सकता है या मामूली ढिलमुल कार्रवाई कर इतिश्री की जाएगी, क्योंकि वह एक बड़े नेता के करीबी है। यह खबर रविवार को ही द सूत्र ने प्रकाशित की थी और अब औपचारिक यह हो चुका है।
यह की गई कार्रवाई
- ट्रैफिक विभाग के तत्कालीन इंजीनियर वैभव देवलासे को सस्पेंड किया गया
- विभाग के सब इंजीनियर मनीष राणा को भी सस्पेंड
- प्रभारी सब इंजीनियर राम गुप्ता की सेवाएं समाप्त
- अपर आयुक्त नरेंद्र पांडे से ट्रैफिक का प्रभार लेकर अभय राजनगांवकर को दिया
नेताजी के रिश्तेदार ठेकेदार पर कार्रवाई नहीं
उधर बोर्ड लगाने वाले नीलकंठ इंटरप्राइजेस ठेकेदार शर्मा पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई। उन्हें भुगतान भी आनन-फानन में किया गया था। इसके लिए तर्क दिए गए हैं कि उन्होंने काम करने के अधिकारियों के आदेश बता दिए, इसलिए उनकी गलती नहीं है। जबकि द सूत्र ने पहले ही बता दिया था कि वह नगर निगम के एक बड़े नेताजी के रिश्ते में लगते हैं उन्हीं के कार्यकाल में यह कंपनी इन काम के लिए अधिकृत भी हुई है। यानी पूरी मेहरबानी है, इसलिए कार्रवाई का तो सवाल ही नहीं होता। यदि दबाव होता तो ढुलमुल कुछ करके इतिश्री कर ली जाती।
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पार्षद को घेरने चले थे, खुद उलझा निगम
इस मामले में बोर्ड का विवाद उठने पर तत्काल नगर निगम के नेताओं ने क्षेत्र की कांग्रेस पार्षद फातिमा रफीक खान को घेरना शुरू किया और बयान दिया कि उन पर एफआईआर की जाएगी। बिना एमआईसी प्रस्ताव के वह बोर्ड नहीं लगवा सकती थी। लेकिन जब जांच हुई थी पूरी निगम की पोल खुल गई। खुद निगम ने बोर्ड मंजूर किए और ठेकेदार को आदेश देकर लगवाए। इसके बाद अब निगम बैकफुट पर आ गया।
कमेटी की रिपोर्ट में इस तरह मांगी गई गलतियां
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जनवरी माह में हुआ विवाद, लेकिन दबा दिया
इस पूरे विवाद की शुरुआत जनवरी माह में हुई थी, जैसा कि द सूत्र ने विवाद के बाद इनसाइड स्टोरी में खुलासा किया था। इसमें मई-जून 2024 में नाम के बोर्ड लगाने का चला एक पूर्व पत्र था, इसके आधार पर जनवरी 2025 में बोर्ड लगाने की रनिंग फाइल चली, जो अन्य काम के साथ ही चलाई गई।
ठेकेदार शर्मा ने दौरा किया और फिर डिजाइन बनाकर देवलासे और गुप्ता को दी, इसमें जो नाम लिखे थे, उसे ही दोनों ने मंजूर किया। फिर इसे दोनों ने बोर्ड की डिजाइन को 21 जनवरी को मंजूर कर लिया
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इसके बाद 22 जनवरी से बोर्ड लगने शुरू हो गए
फिर यह 26-27 जनवरी के दौरान विवाद हुआ। इसकी खबर महापौर पुष्यमित्र भार्गव के पास पहुंची। उन्होंने निगम अधिकारियों को कार्रवाई का बोला। इस पर टीम गई और कुछ बोर्ड हटाए गए लेकिन इसी दौरान भीड़ जमा हुई और विवाद शुरू हुए। इसके बाद टीम बाकी बोर्ड छोड़कर लौट आई। इस पूरे विवाद की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को नहीं दी गई। मामला वहीं दबा दिया गया
इसके बाद फरवरी माह में इस बोर्ड के साथ अन्य काम के भी ठेकेदार ने बिल लगाए जो करीब पांच लाख रुपए के थे, इसमें बोर्ड लगाने का करीब 45 हजार का बिल था, इसे पास कर दिया गया और भुगतान हो गया।
फिर अगस्त में यह विवाद तब उठा जब पूर्व विधायक व मंत्री पुत्र आकाश विजयवर्गीय ने महापौर के नाम पत्र लिखकर इन बोर्ड को लेकर कार्रवाई की बात कही।
इसके बाद आननफानन में टीम भेजी गई और बोर्ड हटाए गए। साथ ही महापौर ने इस मामले में पार्षद और जिम्मेदारों पर केस कराने की बात तक कह दी। उधर पार्षद पति रफीक खान की सफाई का वीडियो आया और कहा कि यह पहले से ही तय नाम है। बता दें कि जांच रिपोर्ट के बाद निगमायुक्त शिवम वर्मा ने कार्रवाई की है।
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