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Photograph: (The Sootr)
INDORE. इंदौर के चंदननगर वार्ड दो में मुस्लिम नाम पर गलियों के नाम रखते हुए बोर्ड लगाने के विवाद में जांच कमेटी की रिपोर्ट आ चुकी है। इस रिपोर्ट के आधार पर तय है कि इसमें सहायक इंजीनियर वैभव देवलासे और सब इंजीनियर राम गुप्ता पर कार्रवाई होगी। लेकिन ठेकेदार का बचाव हो सकता है या मामूली ढिलमुल कार्रवाई कर इतिश्री की जाएगी, क्योंकि वह एक बड़े नेता के करीबी है।
वहीं इस मामले में जो पहले क्षेत्र की कांग्रेस पार्षद फातिमा रफीक खान पर कार्रवाई की बात हो रही थी, उसका अब कोई कानूनी आधार नहीं बचा है। इसलिए केस नहीं होगा। जांच अपर आयुक्त अभय राजनगांवकर की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने की थी और यह रिपोर्ट निगमायुक्त शिवम वर्मा को दे दी गई।
कमेटी की रिपोर्ट में इस तरह मानी गई गलतियां
- सहायक इंजीनियर वैभव देवलासे - गलत नाम होने के बाद भी ठेकेदार की डिजाइन को मंजूरी दी। विवाद की जानकरी वरिष्ठ अधिकारियों को नहीं दी
- राम गुप्ता सब इंजीनियर - बोर्ड की डिजाइन देखी और एप्रूव किया। विवाद की जानकारी नहीं दी
- नीलकंठ इंटरप्राइजेस ठेकेदार - नाम की जानकारी दिए बिना डिजाइन बनवाई और वाट्सअप पर मंजूरी ली और लगा दिया।
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इंदौर चंदननगर में मुस्लिम नाम पर बोर्ड विवाद: 5 मुख्य बातेंविवाद की शुरुआत और घटना: इंदौर के चंदननगर वार्ड दो में मुस्लिम नामों से गलियों के बोर्ड लगाने का विवाद जनवरी 2025 में शुरू हुआ था। इस विवाद में ग़लत नाम होने के बावजूद ठेकेदार की डिजाइन को मंजूरी दी गई थी। जांच रिपोर्ट और कार्रवाई: जांच कमेटी की रिपोर्ट में सहायक इंजीनियर वैभव देवलासे और सब इंजीनियर राम गुप्ता पर कार्रवाई की सिफारिश की गई है। ठेकेदार नीलकंठ इंटरप्राइजेस के खिलाफ मामूली कार्रवाई की संभावना है क्योंकि वह एक बड़े नेता के करीबी हैं। कांग्रेस पार्षद पर कार्रवाई नहीं: पहले कांग्रेस पार्षद फातिमा रफीक खान पर कार्रवाई की संभावना जताई गई थी, लेकिन अब उस पर कोई कानूनी आधार नहीं बचा है, इसलिए कोई केस नहीं होगा। मामला दबा दिया गया था: जनवरी में विवाद की जानकारी महापौर पुष्यमित्र भार्गव तक पहुंची थी, लेकिन कार्रवाई करने के बाद भी मामला दबा दिया गया था और विवाद की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को नहीं दी गई थी। विवाद और कार्रवाई: अगस्त में पूर्व विधायक आकाश विजयवर्गीय के पत्र के बाद फिर से विवाद उठने पर बोर्ड हटाए गए। महापौर ने पार्षद और जिम्मेदार अधिकारियों पर केस करने की बात की थी। |
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जनवरी माह में हुआ विवाद, लेकिन दबा दिया
इस पूरे विवाद की शुरूआत जनवरी माह में हुई थी, जैसा कि द सूत्र ने विवाद के बाद इनसाइड स्टोरी में खुलासा किया था। इसमें मई-जून 2024 में नाम के बोर्ड लगाने का चला एक पूर्व पत्र था, इसके आधार पर जनवरी 2025 में बोर्ड लगाने की रनिंग फाइल चली, जो अन्य काम के साथ ही चलाई गई।
ठेकेदार शर्मा ने दौरा किया और फिर डिजाइन बनाकर देवलासे और गुप्ता को दी, इसमें जो नाम लिखे थे, उसे ही दोनों ने मंजूर किया। फिर इसे दोनों ने बोर्ड की डिजाइन को 21 जनवरी को मंजूर कर लिया। इसके बाद 22 जनवरी से बोर्ड लगने शुरू हो गए।
इसके बाद फिर यह 26-27 जनवरी के दौरान विवाद हुआ। इसकी खबर महापौर पुष्यमित्र भार्गव के पास पहुंची। उन्होंने निगम अधिकारियों को कार्रवाई का बोला। इस पर टीम गई और कुछ बोर्ड हटाए गए, लेकिन इसी दौरान भीड़ जमा हुई और विवाद शुरू हुए।
इसके बाद टीम बाकी बोर्ड छोड़कर लौट आई। इस पूरे विवाद की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को नहीं दी गई। मामला वहीं दबा दिया गया।
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5 लाख का हो गया भुगतान
इसके बाद फरवरी माह में इस बोर्ड के साध अन्य काम के भी ठेकेदार ने बिल लगाए जो करीब पांच लाख रुपए के थे। इसमें बोर्ड लगाने का करीब 45 हजार का बिल था इसे पास कर दिया गया और भुगतान हो गया। इसके बाद अगस्त में यह विवाद तब उठा जब पूर्व विधायक व मंत्री पुत्र आकाश विजयवर्गीय ने महापौर के नाम पत्र लिखकर इन बोर्ड को लेकर कार्रवाई की बात कही।
महापौर ने की थी पार्षद-जिम्मेदारों पर केस कराने की बात
इसके बाद आनन-फानन में टीम भेजी गई और बोर्ड हटाए गए। साथ ही इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने इस मामले में पार्षद और जिम्मेदारों पर केस कराने की बात तक कह दी। उधर पार्षद पति रफीक खान की सफाई का वीडियो आया और कहा कि यह पहले से ही तय नाम है।
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