इंदौर में बोले पर्यावरणविद- शहर की सांसें मत रोकिए- हुकुमचंद मिल सिटी फॉरेस्ट को बचाने उतरे सड़क पर

संस्था सेवा सुरभि द्वारा आयकर कॉलोनी में आयोजित एक कार्यक्रम में नगर निगम के सफाईकर्मियों का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। इस दौरान महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि शहर के लगभग 200 साल से भी पुराने पेड़ों को संरक्षित किए जाने के प्रयास करेगा।

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Vishwanath Singh
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इंदौर के हुकुमचंद मिल परिसर में बसे प्राकृतिक सिटी फॉरेस्ट को बचाने के लिए बड़ी मुहिम शुरू हो गई है। इसमें इंदौर के पर्यावरणविद एकजुट होकर अब सड़क पर उतर गए हैं। हाउसिंग बोर्ड द्वारा यहां पेड़ों की कटाई कर निर्माण कार्य किए जाने की योजना है। इसके विरोध में पर्यावरण प्रेमियों ने राजवाड़ा चौक पर मानव श्रृंखला बनाकर प्रदर्शन किया है।

नगर निगम की 5 पेड़ बचाने की नौटंकी

संस्था सेवा सुरभि द्वारा आयकर कॉलोनी में आयोजित एक कार्यक्रम में नगर निगम के सफाईकर्मियों का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। इस दौरान महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि शहर के लगभग 200 साल से भी पुराने पेड़ों को संरक्षित किए जाने के प्रयास करेगा। इस मौके पर सांसद शंकर लालवानी, मंत्री तुलसी सिलावट और निगमायुक्त शिवम वर्मा भी मौजूद थे। हुकुमचंद मिल की जमीन पर लगे 5 हजार पेड़ों को कटने से बचाने के लिए आंदोलन कर रहे पर्यावरणविदों ने नगर निगम की 5 पेड़ों को संरक्षित करने की इस घोषणा को नौटंकी बताया है। उनका कहना है कि 6 महीने से पूरे शहर के प्रबुद्धजन 5 हजार पेड़ों को बचाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं। सीएम और पीएम तक को पत्र भी लिख चुके हैं, लेकिन एक नेता जनप्रतिनिधि अभी तक पूछ–परख करने नहीं आया है। 

पर्यावरणविद बोले, जरूरी है सिटी फॉरेस्ट

स्थानीय निवासियों का कहना है कि हुकुमचंद मिल का यह हरा-भरा क्षेत्र केवल पेड़ों का समूह नहीं, बल्कि हजारों पक्षियों और जीव-जंतुओं का आश्रय स्थल है। यह फॉरेस्ट शहर की आबोहवा को स्वच्छ रखने में भी बड़ी भूमिका निभाता है। नागरिकों ने चेतावनी दी कि यदि यह वन क्षेत्र उजड़ा तो आने वाली पीढ़ियां प्रदूषण और कंक्रीट के जंगल में जीने को मजबूर होंगी।

हमें फ्लैट नहीं ऑक्सीजन चाहिए

शहर के पर्यावरणविद और नागरिकाें ने इस पहल में नागरिकों ने हाथों में तख्तियां लेकर संदेश दिया। जिसमें लिखा था कि पेड़ बचेंगे तो इंदौर बचेगा, हमें फ्लैट नहीं, हमें ऑक्सीजन चाहिए। उनका कहना है कि शहर में काफी कम जगह बची हैं जहां पर कि इस तरह के सिटी फॉरेस्ट के जैसे ही स्थान हैं। इन्हें सहेजने की जरूरत है।

नागरिकों की भागीदारी

मानव श्रृंखला में ओपी जोशी, शिवाजी मोहिते, रामेश्वर गुप्ता, दिलीप वाघेला, अजय लागू, अभय जैन, अरविंद पोरवाल, विश्वनाथ कदम, शैला शिंत्रे, संदीप खानवलकर, प्रकाश पाठक, रामस्वरूप मंत्री, प्रणीता दीक्षित, स्वप्निल व्यास, मनीष काले, प्रमोद नामदेव, डॉ. सम्यक जैन, शबाना पारेख, चन्द्रशेखर गवली, प्रकाश सोनी, जावेद आलम, आराध्य दीक्षित, आशीष राय, डॉ. श्रष्ठी सहित बड़ी संख्या में पर्यावरण प्रेमी मौजूद रहे। 

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प्रशासन से मांग

नागरिकों ने प्रशासन से मांग की है कि हुकुमचंद मिल सिटी फॉरेस्ट को स्थायी रूप से संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाए। यहां किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य तुरंत रोका जाए।

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